जल जीवन मिशन के तहत हर घर को नल द्वारा शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाना विभाग की पहली प्राथमिकता

विनय एक्सप्रेस समाचार, नागौर । स्वच्छ एवं सुरक्षित जल अच्छे स्वास्थ्य की मूलभूत आवश्यकता है, अशुद्ध जल मानव स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर समस्या है इससे होने वाली बीमारियां जैसे उल्टी, दस्त, पेचिश, आंत्रशोध, टाइफाइड़, बुखार, हैजा, पीलिया, पोलियो आदि के प्रकोप से व्यक्ति ग्रसित हो जाते है। इसके अलावा पेयजल में अनावश्यक रसायनों के कारण भी बीमारियां मानव शरीर पर विपरीत प्रभाव डालती है, जैसे आर्सेनिक प्रदूषित जल से चर्म कैंसर का रोग, फ्लोराइड़ प्रदूषण से दांतो एवं हड्डियों का फ्लोरोसिस बीमारी से ग्रसित होना, नाइट्रेट प्रदूषित जल से नवजात शिशुओं में ब्लू बेबी सिंड्रोम बीमारी होना, अत्यधिक घुलनशील ठोस पदार्थो के कारण पानी का अस्वादिष्ट होना भी रोग का एक कारण है। इसके लिए पेयजल की समय-समय पर जांच की जानी बहुत जरूरी है।


जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधीक्षण अभियंता जगदीशचन्द्र व्यास ने बताया कि जल परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित है, जहां पर पेयजल की भौतिक, रासायनिक एवं जीवाणु गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए जांच की जाती है। इसके पेयजल गुणवत्ता जांच एवं निगरानी कार्यक्रम के तहत फिल्ड टेस्ट किट के माध्यम से भी जल की जांच की जाती है, जिसमें पेयजल से संबंधित पीएच (6.5-8.5), टी.डी.एस.(2000 तक), क्लोराइड(1000 मिली ग्राम प्रति लीटर), फ्लोराइड (1.5 तक), नाइट्रेट (45) आदि की जाती है।


अधीक्षण अभियंता ने बताया कि एक फील्ड टेस्ट किट द्वारा 100 जल नमूनों के परीक्षण हेतु आवश्यक उपकरण एवं विलयन उपलब्ध होते है, यदि कोई व्यक्तिगतरूप से जांच करवाता है तो जीवाणु परीक्षण से संबंधित जांच के 200 रूपये और रासायनिक जांच के 400 रूपये प्रयोगशाला द्वारा लिये जाते है। जबकि विभागीय जांचो का कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। जल जीवन मिशन के तहत हर घर को नल द्वारा शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाना विभाग की पहली प्राथमिकता है।
उन्होंने आमजन से अपील करते हुए बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर फिल्ड टेस्ट किट के माध्यम से पानी की जांच करवा सकते है और इसके अलावा विभागीय कार्मिक द्वारा जिला स्तर पर जल जांच प्रयोगशाला में जांच हेतु जल भिजवाया जा सकता है। विभाग जन मानस के स्वास्थ्य के प्रति हमेशा सजग है।