राज्य में 5वें बाघ अभयारण्य की व्यवहार्यता के लिए क्षेत्र सर्वेक्षण जारी – श्रीमती श्रेया गुहा
विनय एक्सप्रेस समाचार, जयपुर।राज्य में 3 बाघ अभ्यारण्य हैं और चौथा रामगढ़ विषधारी में भारत सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया है। भारतीय वन्यजीव संस्थान कुंभलगढ़ में 5वें बाघ अभयारण्य के लिए व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए एक क्षेत्र सर्वेक्षण और अध्ययन कर रहा है। यह जानकारी श्रीमती श्रेया गुहा, प्रमुख सचिव – वन एवं पर्यावरण, राजस्थान सरकार ने दी। उन्होंने उल्लेख किया कि प्रोजेक्ट टाइगर दुनिया भर में सबसे सफल संरक्षण कार्यक्रमों में से एक रहा है। राजस्थान अवैध शिकार, तस्करी आदि की जाँच के लिए इंटरएजेंसी समन्वय समिति बनाने वाले कुछ राज्यों में से एक है। वह अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस की पूर्व संध्या पर फिक्की द्वारा आयोजित “बाघ और पर्यटन” वेबिनार में बोल रही थीं।
श्रीमती गुहा ने उल्लेख किया कि हाल ही में नए डेस्टिनेशंस और प्रोडक्ट्स को विकसित करने, एक्सपेरिएण्टियल टूरिज्म को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इकोटूरिज्म नीति की घोषणा की गई थी। उन्होंने आगे कहा कि विभाग तीन परियोजनाओं पर काम कर रहा है, पहला चंबल अभयारण्य है जो रणथंभौर के विस्तार के रूप में टाइगर सहित पूरे ईको सिस्टम का अनुभव प्रदान करने के लिए कार्य कर सकता है। दूसरा ताल छापर है जहां हम कैपेसिटी बिल्डिंग और रहने के लिए एक ग्रासलैंड वाइल्डलाइफ मैनेजमेंट सेंटर का विकास कर रहे हैं। यह शेखावाटी क्षेत्र के साथ एक सर्किट के रूप में विकसित हो सकता है। तीसरा घना है जहां हम मौजूदा सुविधाओं को बढ़ाने, वेटलैंड टूरिज्म पर प्रशिक्षण केंद्र एवं डिजिटल म्यूजियम विकसित कर रहे हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि रेस्पोंसिबल एंड सस्टेनेबल टूरिज्म हमारी प्राकृतिक विरासत के संरक्षण और प्रदर्शन के लिए भविष्य का रास्ता है।
इस अवसर पर श्री निशांत जैन, निदेशक – पर्यटन, राजस्थान सरकार ने कहा कि बाघ पूरे बिल्ली परिवार में सबसे आकर्षक और दिलचस्प प्रजाति है। उन्होंने कहा कि रिजर्व के बाहर के क्षेत्रों पर बाघों का आर्थिक प्रभाव जबरदस्त रहा है, जिससे पर्यटन, आजीविका और उद्यमिता को समर्थन मिला है। उन्होंने उल्लेख किया कि बाघिन ‘मछली’ जिसकी विश्व में सबसे अधिक फोटो खींची गयी है, जिस पर कई वृत्तचित्र और फिल्में बनाई गईं, यहां तक कि उसके लिए पोस्टल टिकट भी जारी किया गया था। इस सब ने बड़े पैमाने पर पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद की है और ‘बाघिन मछली’ के वंशज हमारे अभ्यारण्य में रह रहे हैं। राजस्थान में 2 और टाइगर रिजर्व आने की संभावना है, इससे पर्यटन को काफी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि पर्यटन विभाग अपने मार्केटिंग कैंपेन में वन्यजीव पर्यटन को भरपूर तरीके से बढ़ावा देगा।
राजस्थान सरकार की पहल की सराहना करते हुए, श्री रवि सिंह, महासचिव और सीईओ, डब्ल्यू.डब्ल्यू.एफ. इंडिया (WWF India) ने कहा कि राजस्थान सरकार द्वारा रामगढ़ विषधारी को टाइगर रिजर्व घोषित करने की जबरदस्त प्रतिबद्धता राज्य में वाइल्डलाइफ टूरिज्म को बढ़ावा देने में एक बड़ा कदम है। भारत में बाघों की संख्या बढ़ाने में राजस्थान का बड़ा योगदान रहा है। राजस्थान में मौजूदा बाघ अभ्यारण्यों को न केवल स्टैंडअलोन क्षेत्रों के रूप में प्रबंधित किया जाना चाहिए, जैसे कि रणथंभौर परिदृश्य में करोली, केलादेवी, धौलपुर, बरेठा से भरतपुर तक गलियारे शामिल होंगे, इन क्षेत्रों को तदनुसार प्रबंधित किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इको-टूरिज्म को स्थानीय मूल्यों को प्रकट करना चाहिए और इको-टूरिज्म के लाभों को स्थानीय समुदायों में जाना चाहिए जहां यह क्षेत्र स्थित है।
प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए, श्री रणधीर विक्रम सिंह, सह-अध्यक्ष, फिक्की राजस्थान और सीएमडी, मंडावा होटल्स ने कहा कि पर्यटन बाघों के संरक्षण में एक महान प्रवर्तक हो सकता है क्योंकि यह रिजर्व के आसपास के समुदायों के लिए आर्थिक अवसर पैदा करता है और उनकी आजीविका वन्यजीवों की रक्षा और उन्हें बढ़ाने में सफलता से जुड़ी हुई है।
समापन भाषण देते हुए शाहपुरा होटल्स के चेयरमैन, श्री सुरेन्द्र सिंह शाहपुरा ने कहा कि इको टूरिज्म नीति, उद्यमों और होटल व्यवसायियों के लिए नए अवसरों के साथ-साथ स्थानीय रोजगार पैदा करने में मदद करेगी।