विनय एक्सप्रेस समाचार, नागौर। अभियान लाडेसर के तहत चिन्हित कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चों और एनीमिक किशोरी बालिकाओं के दूसरे फॉलोअप के पश्चात् शेष रहे कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चों तथा एनीमिया से ग्रस्त किशोरी बालिकाओं को गुरुवार को जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने बाल विकास परियोजना अधिकारी नागौर ग्रामीण के कार्यालय में उपस्थित बच्चों एवं अभिभावकों को भामाशाह प्रबल कुमार द्वारा उपलब्ध करवाए गए लाडेसर पोषण किट वितरित किए।
इस अवसर पर जिला कलक्टर डॉ. सोनी ने कहा कि बच्चे का पालन पोषण माता ही करती है। एक मां को बेटा और बेटी का फर्क दिमाग से निकाल देना चाहिए। सास व बहु दोनों ही महिलाएं हैं, लेकिन बेटे की चाह रखती है तथा बेटी की चाह नहीं रखती है। बेटियां अभिभावकों के लिए ही जीती है। वह अधिक जिम्मेदार होती है तथा माता-पिता की अधिक चिंता करती है। उन्होंने कहा कि लाडेसर अभियान का यही उद्देश्य है कि बच्चा स्वस्थ रहे। उन्होंने कहा कि मातृशक्ति को टीकाकरण निश्चिय ही करवाना चाहिए तथा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से मार्गदर्शन लें व उसके अनुसार पोषण व स्वास्थ्य से संबंधित कार्य करें। डॉ. सोनी ने कहा कि कोरोना की विषम परिस्थितियों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर संपर्क कर बच्चों की स्क्रीनिंग की गई। उन्होंने कहा कि जब तक कुपोषण से युक्त बच्चे स्वस्थ न हों और उनके पोषण स्तर में कमी रहे, तब तक इस लाडेसर अभियान के कार्य को जारी रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि मां की गोद बच्चे के लिए सबसे सुरक्षित जगह है। मां ही बच्चे के स्वास्थ्य व पोषण का ध्यान नहीं रखेगी तो कौन रखेगा। इसलिए बच्चे के पोषण व स्वास्थ्य के संबंध में मां को सब प्रकार की चिंता करनी चाहिए।
इस अवसर पर अपने संबोधन में विभाग के उपनिदेशक सिकरामाराम चोयल ने कहा कि मरुस्थल में अत्यधिक संघर्षशीलता है। यहां अकाल का भी मुकाबला अदम्य साहस के साथ किया जाता है। कोरोना के काल में जिस प्रकार से राजस्थान में अदम्य संघर्ष किया गया वह सराहनीय है। नागौर जिले में कोरोना के विरुद्ध संघर्ष में जनता के सहयोग से जिला प्रशासन द्वारा जो बेहतरीन कार्य किया गया वह प्रदेशभर में चर्चा का विषय है। उन्होंने कहा कि समेकित बाल विकास में 6 परियोजनाएं चलती है, जिसमें 3 बाल विकास से संबंधित व 3 चिकित्सा विभाग से संबंधित स्वास्थ्य गतिविधियां है। उन्होंने कहा कि आईसीडीएस, चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग तथा शिक्षा विभाग का संबंधित कार्यक्रम है लाडेसर अभियान। इस अभियान में 18 वर्ष से कम आयु के बालक-बालिकाओं के स्वास्थ्य व पोषण से संबंधित जांच कर उनके पोषण व स्वास्थ्य से संबंधित कमजोरी दूर करने का प्रयास है।
इस अवसर पर उपस्थित सीडीपीओ दुर्गासिंह उदावत ने पूरे आईसीडीएस विभाग की ओर से जिला कलक्टर डॉ. सोनी का आभार प्रकट करते हुए कहा कि डॉ. सोनी एक सच्चे मायनों में जिलाधीश हैं, उन्होंने नन्हे-मुन्ने बच्चों और किशोरी बालिकाओं में कुपोषण एवं एनीमिया जैसी बीमारियों के बारे में सच्चे दिल से कुछ करने की ठानी, जो अभियान लाडेसर के रूप में एक पावन कार्यक्रम बनकर सामने आया। डॉ. सोनी ने अभियान के दौरान एवं फॉलोअप के दौरान पूरी गंभीरता से अभियान के तहत की जाने वाली गतिविधियों का अपडेट लिया और स्पष्ट निर्देश दिए कि यह केवल आंकड़ों का खेल नहीं होना चाहिए। इस दौरान सीडीपीओ उदावत ने अपने उन्हें आश्वस्त किया कि विभाग पूरी जिम्मेदारी के साथ इस दायित्व का निर्वहन करेगा।
इससे पूर्व महिला पर्यवेक्षक दीपिका सोनी ने अपने प्रतिवेदन में कहा कि अभियान लाडेसर की पोषण किट आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के पर्यवेक्षण व निगरानी में ली गई। जिन बच्चों के लिए इसका प्रयोग किया गया निश्चित रूप से बच्चों के पोषण स्तर में सुधार हुआ है। जिसमें सुधार नहीं हुआ है, ऐसे अभिभावक विशेष रुप से ध्यान रखे व सावचेती बरतें।
द्वितीय फॉलोअप के बाद जिले में कुपोषण की स्थिति निम्नानुसार रही
अभियान लाडेसर के तहत 27 मई से 21 जून तक चिन्हित अतिकुपोषित बच्चे 144 और कुपोषित बच्चे 4010 थे, वही फॉलोअप के बाद मात्र 59 बच्चे अतिकुपोषित श्रेणी में है। इस प्रकार उनके स्तर में 59 प्रतिशत सुधार नजर आया। दूसरी ओर अब जिले में 2881 बच्चे कुपोषित श्रेणी में रह गए हैं और उनमें 28 प्रतिशत सुधार देखा गया, जबकि 2049 किशोरी बालिकाएं अभियान के दौरान एनीमिया से ग्रस्त पाई गई थी। अब इस श्रेणी में 1672 किशोरी बालिकाएं रही है इस तरह से उनके स्वास्थ्य में 18 प्रतिशत सुधार इन 2 महीनों में देखा गया।
इस दौरान प्रशासनिक अधिकारी जगदीश, महिला सरंक्षण अधिकारी राकेश सिरोही, परियोजना की महिला पर्यवेक्षक मंजू जोशी, अंजू शेखावत, शोभा टाक, पिस्ता देवी, मंजू श्रीवास्तव, दीपिका सोनी, कार्यालय कार्मिक दिलीप कुमार, रविता काला, फिरोज खान, उमेश सेन, भवानी सिंह सहित आंगनबाड़ी मानदेयकर्मी उपस्थित रहे।