विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। इंदिरा गांधी नहर परियोजना क्षेत्र में 17 अगस्त प्रातः 6 बजे से 01 सितम्बर प्रातः 6 बजे तक पानी चलाया जायेगा।
क्षेत्रीय विकास आयुक्त इंदिरा गांधी नहर परियोजना भंवर लाल मेहरा ने बताया कि तकनीकी समिति की 16 अगस्त को हुई बैठक में 17 अगस्त से 01 सितम्बर तक 9000 क्यूसेक पानी राजस्थान के लिए रावी व्यास का पानी निर्धारित किया गया है, जिसमें से इंदिरा गांधी नहर नहर परियोजना हेतु 6050 क्यूसेक पानी उपलब्ध हो सकेगा। इसके मद्देनजर उक्त समय में इंदिरा गांधी नहर की बुर्जी 620 के आधार पर अनिवार्य आवश्यकता एवं लोसेज के बाद उपलब्घ पानी को पीने हेतु चलाये जाने प्रस्ताव मुख्य अभियन्ता, इन्दिरा गांधी नहर परियोजना बीकानेर, अतिरिक्त मुख्य अभियन्ता इंगानप जैसलमेर से प्राप्त सहमति के आधार पर पानी वितरण का अनुमोदन किया गया है।
मेहरा ने बताया कि अनिवार्य आवश्यकता के अनुसार रावतसर शाखा के माध्यम से पीने 55 क्यूसेक पानी, सूरतगढ़ ताप बिजलीघर के लिए 75 क्यूसेक पानी, साहवा जलोत्थान नहर के लिए 113.84 क्यूसेक पानी, कंवरसेन जलोत्थान नहर के लिए 148 क्यूसेक पानी, सूरसागर झील बीकानेर शहर में भण्डारण के लिए 02 क्यूसेक पानी, पीने का पानी बीकानेर शहर के लिए शोभासर जलाशय के माध्यम से 76 क्यूसेक, बरंिसंहसर थर्मल प्लांट के लिए 25 क्यूसेक पानी, नागौर लिफ्ट के माध्यम से पीने का पानी 70 क्यूसेक, मै.बी.एस. लिग्नाईट पावर प्रा.प्राई.लिग्नाईट लि. गुढ़ा के लिए 05 क्यूसेक पानी, जोधपुर लिफ्ट कैनाल परियोजना को पीने का पानी 240 क्यूसेक, सोलर पावर प्रोजेक्ट मैसर्स गोदावरी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड को 1.6 क्यूसेक पानी, पोकरण फलसंूड पेयजल योजना को 30 क्यूसेक पानी, रामगढ़ गैस विद्युत परियोजना को 25 क्यूसेक पानी, जैसलमेर शहर को पेयजल के लिए 30 क्यूसेक पानी, जैसलमेर संभाग के ग्रामीण क्षेत्र हेतु पेयजल 70 क्यूसेक पानी, गिराल परियोजना को 24 क्यूसेक पानी, राजवेस्ट परियोजना हेतु 40 क्यूसेक पानी, बाड़मेर लिफ्ट परियोजना हेतु 50 क्यूसेक पानी मिलेगा।
मेहरा ने बताया कि इंदिरा गांधी नहर परियोजना के चक्रीय कार्यक्रम में इंदिरा गांधी फीडर एवं इन्दिरा गांधी मुख्य नहर में 1100 क्यूसेक सीपेज लोस का प्रावधान लिया जाता है। उन्होंने बताया कि अनिवार्य आवश्यकता 1080 क्यूसेक पानी की आपूर्ति के पश्चात लगभग 4970 क्यूसेक पानी सीपेज लोस सहित सभी नहरों में चलाये जाने के लिए शेष रहता है। उन्होंने बताया कि पीने की आवश्यकता के उपरांत अधिशेष पानी को सिंचाई हेतु बारी-बारी से सभी नहरों में प्रवाहित किया जा सकेगा।