व्यक्ति स्वयं ही अपने सुख-दुख का उत्तरदायी : साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा

विनय एक्सप्रेस समाचार, नागौर। जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में जयमल जैन पौषधशाला में शनिवार को साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा ने प्रवचन में कहा कि जो जैसा करता है, उसका फल उसे अवश्य ही भुगतना पड़ता है। सुख और दुख का दाता कोई दूसरा नहीं बल्कि स्वयं के कारण ही होता है। जो व्यक्ति कर्म भोगते समय किसी की नहीं सुनता, फल भोगते समय उसकी भी कोई नहीं सुनेगा। पाप में किसी की भागीदारी नहीं होती। सुख में सब साथ देते हैं, लेकिन दुख में कोई भी मदद नहीं करता है। समझदार व्यक्ति एक बार ठोकर लगने पर ही संभल जाता है। अपनी गलती का पुनरावर्तन ना करने के लिए संकल्पित बन जाता है। जबकि मूर्ख व्यक्ति अपने गलती से सबक ना लेने के कारण बार-बार ठोकर खाते हुए खेद प्राप्त करता है। इंसान के द्वारा भूल होना स्वाभाविक है। लेकिन भूल को स्वीकार करना ही सच्ची साधना है। कोई व्यक्ति चाहे पाप छिपाने का कितना ही प्रयास करें। लेकिन जिस प्रकार रुई में लिपटी हुई अग्नि लंबे समय तक छुपी नहीं रह सकती।

उसी प्रकार पाप छिपा हुआ नहीं रह सकता। पाप भीरु व्यक्ति छोटे पापों में भी सावधानी बरतते हुए अनावश्यक पाप से बचने का प्रयास करता है। व्यक्ति को पाप से घृणा करनी चाहिए, पापी से नहीं। क्योंकि पापी व्यक्ति में परिवर्तन भी आ सकता है। संचालन संजय पींचा ने किया। इरोड़ से गौतमचंद बाघमार एवं दिल्ली से विमलचंद बाघमार साध्वी वृंद के दर्शनार्थ पधारें। प्रवचन की प्रभावना एवं प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत करने के लाभार्थी चंचलकंवर, हस्तीमल बाघमार परिवार कुचेरा हाल-मुकाम इरोड़ निवासी रहें। दोपहर में चांदनी चतुर्दशी के अवसर पर महाचमत्कारिक जय-जाप का अनुष्ठान किया गया। जाप की प्रभावना विनीता पींचा परिवार की ओर से वितरित की गयीं। प्रवचन में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर पुष्पा ललवानी, प्रेमलता ललवानी, कंचनदेवी मोदी एवं प्रेमचंद चौरड़िया ने दिए। आगंतुकों के भोजन का लाभ प्रकाशचंद, प्रदीप बोहरा परिवार ने लिया। इस मौके पर सुमतीदेवी चौरड़िया, बिरजादेवी ललवानी, तीजादेवी पींचा, शोभादेवी पारख सहित अन्य श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहें।