विनय एक्सप्रेस समाचार, नागौर। जयमल जैन पौषधशाला में साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा ने बुधवार को प्रवचन में कहा कि हर मानव जीवन में कुछ न कुछ विचार करता ही रहता है। अशुभ भाव जीवन के पतन का कारण बनते हैं। यदि विचारों के वेग को अशुभ से शुभ की दिशा में मोड़ दिया जाता है। तो उस व्यक्ति के जीवन की दशा भी पतन से उत्थान की ओर बढ़ जाती है। इसलिए कहा जाता है कि दिशा बदलते ही दशा भी बदल जाती है। जिस प्रकार पानी को जिस दिशा में बहाना है, उसे उसी दिशा में ले जाया जा सकता है। उसी प्रकार मन को भी मोड़ा जा सकता है। मन में उठने वाले ईर्ष्या, द्वेष, लोभ, तृष्णा, काम, क्रोध व माया आदि दुर्विचारों को त्यागकर भगवान का स्मरण किया जाना चाहिए। अशुभ भाव विनाश का कारण हैं। जबकि शुभ भावों से विकास होता रहता है। मन का दमन नहीं बल्कि ऊर्ध्वगमन होना चाहिए। मन को जितना ज्यादा रोकने का प्रयास किया जाता है, वह उतने ही वेग से उसका विरोध करता है। मानव जिस प्रकार तन की शुद्धि पर बहुत ध्यान देता है, उसी प्रकार मन की शुद्धि पर भी ध्यान देना आवश्यक है। संचालन संजय पींचा ने किया। प्रवचन की प्रभावना मांगीलाल सुराणा, राणावास हाल-मुकाम जोधपुर निवासी द्वारा दी गयीं। जय-जाप की प्रभावना दौलतमल, राजेश सिंघवी कालू-निवासी द्वारा वितरित की गयीं। प्रश्नोत्तरी के विजेताओं को निर्मलचंद चौरड़िया परिवार की ओर से पुरस्कृत किया गया। प्रवचन प्रश्नों के उत्तर विनीता पींचा, संतोष चौरड़िया, दीपक सैनी एवं मनोज ललवानी ने दिए। आगंतुकों के भोजन का लाभ नरपतचंद चौरड़िया परिवार ने लिया। इस मौके पर पांचीदेवी ललवानी, सुशीला नाहटा, संगीता चौरड़िया, समता ललवानी आदि उपस्थित थे।