वरिष्ठ कवि-गीतकार निर्मल शर्मा की तीन पुस्तकों को लोर्कापण

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। वरिष्ठ कवि-गीतकार व बीकानेर मंडल के अपर मंडल रेल प्रबंधक निर्मल कुमार शर्मा की तीन भाषाओं की तीन अलग-अलग कृतियों का लोकार्पण आज बड़े ही गरिमामय कार्यक्रम में रेलवे प्रेक्षागृह में हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार, पत्रकार मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि वरिष्ठ मंडल इंजीनियर एम.एम.उपाध्याय थे वहीं विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार व पूव अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा अधीक्षक रेलेवे डॉ सुलक्षणा राजवंशी दत्ता थीं।

कार्यक्रम में दीप प्रज्जवलन के पश्चात भवानी सिंह राजपुरोहित ने स्वागत उद्बोधन दिया। उसके पश्चात निर्मल की हिन्दी पुस्तक ‘तन्यम रहो लगन में अपनी’ पर कवयित्री-कथाकार ऋतु शर्मा ने, राजस्थानी पुस्तक ‘बीं लिखी कविता’ पर कवि नगेन्द्र नारायण किराडू ने व उर्दू कविताओं की किताब ‘ख़्वाहिश’ पर युवा कवि आशीष पुरोहित ने पत्रवाचन किया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एम.एम. उपाध्याय ने अपना व्यक्तव्य देते हुए कहा कि हम सब पढऩे की आदत को दिनचर्या में शामिल करना चाहिए। निर्मल जी अपने कार्यालयी दायित्वों को निभाते हुए भी अपने रचनात्मकता से समाज को नई दिशा देने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने निर्मल कुमार शर्मा को विलक्षण प्रतिभा का धनी बताया।
वरिष्ठ साहित्यकार सुलक्षणा दत्ता राजवंशी ने कहा कि लेखक और पाठक के बीच सम्बन्ध जीवंत रहने पर ही सृजन की सार्थकता है। निर्मल जी ने तीन अलग-अलग भाषाओं में कविताएं लिखी हैं। तीनों ही भाषाओं में उन्होंने अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है और इसके साथ ही मेरा आग्रह है कि उनकी अगली पुस्तक अंग्रेजी में हो।

अपने लेखकीय व्यक्तव्य में निर्मल कुमार शर्मा ने कहा सृजन तभी सार्थक है जब वह आम लोगों तक पहुंच सके। पढऩे के प्रति रूचि कम होने की वजह से समाज में संस्कारों का क्षरण हो रहा है।साथ ही उन्होंने अपनी तीनों ही पुस्तकों से चुनिंदा रचनाओं को सस्वर पाठ करके उपस्थित श्रोताओं की वाहवाही भी बटोरी

अपने अध्यक्षीय व्यक्तव्य में वरिष्ठ साहित्य व केन्द्रीय साहित्य अकादेमी नई दिल्ली के राजस्थानी भाषा के परामर्श मंडल के संयोजक मधु आचार्य आशावादी ने बताया कि हालांकि बीकानेर में हर दिन पुस्तकों के लोकार्पण के कार्यक्रम होते रहते हैं, लेकिन तीन भाषाओं के तीन पुस्तकों के एक ही दिन में लोकार्पण शायद पहली ही बार हो रहा है। सबसे कठिन काम है कविता लेखन। कवि पीडि़त होकर करूणा भाव से जब लिखता है तो कविता होती है। यह पीड़ा कवि की व्यक्तिगत नहीं होती। बल्कि समाज की विसंगतियां, शोषण और अन्याय को देखकर पैदा होती है। करूणा से संवेदना पनपती है, इस तरह कविता होती है। भाव से भावना बनती है। भावना से विचार आते हैं, विचार से संवेदनाएं जन्म लेती हैं। अगर किसी के साथ ऐसा नहीं होता है तो उसके व्यक्ति होने परभी सवाल है। जिसमें से सब होता है वह कवि है।

कार्यक्रम में किताबों में शब्द-सज्जा व कवर डिजाईंनिंग से जुड़े शंकरसिंह राजपुरोहित, किशन कुमार व्यास, श्याम सुंदर व्यास को सम्मानित किया गया। इसके साथ स्वागत उद्बोधन के लिए भवानीसिंह राजपुरोहित व गायत्री प्रकाशन से गायत्री शर्मा का प्रकाशक के तौर पर सम्मान किया गया। कार्यक्रम में तीनों पत्रवाचकों का भी श्रीफल व स्मृति-चिन्ह देकर सम्मान किया गया।
कार्यक्रम का संचालन कथाकार-पत्रकार हरीश बी शर्मा ने किया। कार्यक्रम में आभार ज्ञापित आर.के..शर्मा ने किया।