विनय एक्सप्रेस समाचार, नागौर। राजस्थानी व हिन्दी साहित्य के नामचीन हस्ताक्षर देवकिशन राजपुरोहित अक्टूबर माह में आयोजित होने वाले दो बड़े आयोजनों में सम्मानित होंगे। उन्हें जयपुर में सवाई पुरस्कार और बीकानेर में रोटरी क्लब की ओर से पुरस्कृत किया जाएगा। वे नागौर जिले के पहले ऐसे वरिष्ठ साहित्यकार है जिन्हें एक माह में दो बड़े आयोजनों में सम्मानित किया जाएगा। साहित्यकार राजपुरोहित इससे पहले दर्जनों साहित्यिक पुरस्कार हासिल कर चुके हैं। राजस्थानी व हिन्दी साहित्य की विभिन्न विधाओं में राजपुरोहित ने अब तक 17 उपन्यास और चार दर्जन से अधिक कहानियां लिख चुके हैं। वे बाल साहित्य के लिए भी अनेक किताबें लिख चुके हैं। मीरा बाई की जीवनी भी राजपुरोहित ने ही लिखी है।
ये पुरस्कार मिलेंगे साहित्यकार राजपुरोहित को
साहित्यकार देवकिशन राजपुरोहित को 22 अक्टूबर को जयपुर के सिटी पैलेस में शॉल, कलश, प्रशस्त पत्र और 31 हजार रुपए नकद राशि देकर सम्मानित किया जाएगा। यह आयोजन स्व. ब्रिगेडियर सवाई भवानीसिंह की स्मृति में प्रदान किया जाएगा। इसी तरह दूसरा पुरस्कार उन्हें अक्टूबर माह में ही बीकानेर रोटरी क्लब की ओर से राज्य स्तरीय राजस्थानी भाषा पुरसकार के तहत कला डूंगर कल्याणी राजस्थानी शिखर पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इसमें राजपुरोहित को 51 हजार रुपए नकद राशि के साथ स्मृति चिन्ह आदि दिए जाएंगे।
अनेक पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं राजपुरोहित
वैसे साहित्यकार देवकिशन राजपुरोहित अब तक दर्जनों पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। आप शुरुआती दोर में शिक्षक थे। बाद में पत्रकारिता में उतरे और नवभारत टाइम्स व दैनिक नवज्योति में लंबे समय तक विभिन्न जिलों में ब्यूरो चीफ रहे। उसके बाद राजपुरोहित ने अपना सारा जीवन साहित्य में लगा दिया। वे हिन्दी व राजस्थानी भाषा में अनेक किताबों का प्रकाशन कर चुके हैं। उन्हें महाराणा कुंभा साहित्य पुरस्कार, मारवाड़ रत्न अलंकरण पुरस्कार, महेन्द्र जाजोडिया पुरस्कार, बीकानेर नगर स्थापना दिवस पर भीमराव पुरस्कार, मुंबई में घनश्यामदास सर्राफ सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार, आंध्र प्रदेश में जमनालाल पुरस्कार, गोविंदसिंह राजपुरोहित स्मृति पुरस्कार, राजस्थान सरकार की अकेदमी बीकानेर की ओर से राजस्थानी गद्य पुरस्कार शिवचंद भारतीय पुरस्कार सहित नागौर जिला कलेक्टर भी उन्हें दो बार सम्मानित कर चुके हैं। इस तरह राजपुरोहित अब तक दर्जनों पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं। वे मूल रूप से नागौर जिले के गांव रेण के निकट चंपाखेडी गांव के मूलनिवासी है।