विनय एक्सप्रेस समाचार, नागौर। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन तहत शुरुआती दौर से जिला स्तर पर बेहतरीन कार्य कर रहे जिला आईईसी समन्वयकों ने रेशनलाइजेशन से मानदेय बढ़ोतरी की मांग की है। स्वास्थ्य विभाग की समस्त योजनाओं एवं स्वास्थ्य सेवाओं का प्रचार-प्रसार इन्हीें समन्वयकों के पास है।
इसी मांग को लेकर नागौर के जिला आईईसी (एनएचएम) समन्वयक हेमन्त उज्जवल ने गुरूवार को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मेहराम महिया को प्रबंध निदेषक, एनएचएम के नाम का ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया गया है कि एनएचएम में संविदा पर लगे जिला आईईसी समन्वयकों ने कोविड में आमजन को जागरूक करने के लिए सशक्त भूमिका अदा की एवं आमजन को कोविड बचाव के प्रति जागरूक करने सहित हर कार्य में योगदान दिया। उक्त कार्मिक एनएचएम के प्रारंभ से ही कार्यरत हैं, लेकिन आज दिनांक तक रेशनलाइजेशन का लाभ नहीं मिला है, जबकि वर्ष 2010 में अन्य पदों यथा राज्यस्तरीय कर्मियों सहित जिला स्तर के अन्य पदों पर मानदेय करीब दोगुना किया गया। इसी तरह माननीय न्यायालय के आदेशों पर वर्ष 2019 में अन्य वंचित पदों यथा बीपीएम, बीएचएस, पीएचएस आदि का मानदेय 20 प्रतिशत बढ़ाया गया। हैरत की बात है कि अन्य सभी की बढ़ोतरी के बीच इस पद से भेदभाव करते हुए रेशनलाइजेशन से वंचित रखा गया, जबकि केंद्र की ओर से सभी के लिए उक्त राशि आवंटित की गई है और आदेश भी दिए गए हैं। वहीं एक अन्य पद आशा समन्वयक का भी मानदेय नहीं बढ़ाया गया है, जो वर्तमान में माननीय न्यायालय की शरण में गए हुए हैं। सूत्रों ने बताया कि पूर्व में ब्लॉक स्तरीय बीपीएम एवं आईईसी तथा आशा समन्वयकों का मानदेय एक समान था लेकिन वर्तमान में आईईसी व आशा समन्वयकों का मानदेय बीपीएम से तीन हजार रुपए कम है। ऐसे में आईईसी व आशा समन्वयकों ने रेशनलाइजेशन के आधार पर 30 फीसदी मानदेय बढ़ोतरी की मांग की है। साथ ही वार्षिक अभिवृद्धि भी संविदा शर्तों अनुसार हर वर्ष 10 फीसदी बढ़ाने की मांग एनएचएम कर्मी कर रहे हैं। क्योंकि वर्तमान में राज्यस्तर से एनएचएम कर्मियों के मानदेय में से 5 फीसदी हिस्सा काटा जा रहा है, जिससे कर्मियों में खासा रोष है।