तैस्स्तिोरी की 134 वीं जयंती पर दो दिवसीय कार्यक्रम प्रारम्भ

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर । सादूल राजस्थानी रिसर्च इन्स्टीट्यूट , बीकानेर के तत्वावधान में इटली मूल के राजस्थानी विद्वान डॉ. एल. पी. तैस्सितोरी की 134वीं जयंती पर दो दिवसीय कार्यक्रम के तहत प्रथम दिन सोमवार को स्थानीय म्यूजियम परिसर स्थित डॉ. तैस्सितोरी की प्रतिमा पर पुष्पांजली एवं उनके व्यक्तित्व, कृत्तिव्व पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता शिक्षाविद् एवं महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनोद कुमार सिंह ने की, तथा कार्यक्रम की मुख्य अतिथि नगर-निगम की महापौर श्रीमती सुशीला कंवर राजपुरोहित थी और कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी एन.डी.रंगा थे।
कार्यक्रम में अतिथियों , सामाजिक कार्यकर्ताओं , शिक्षाविदों , साहित्यकारों एवं शोधार्थियों ने डॉ. तैस्सितोरी की मूर्ति पर माल्यार्पण किया ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो.विनोद कुमार सिंह ने कहा कि समाज की सहभागिता के बिना किसी भी भाषा के विकास की परिकल्पना नहीं की जा सकती। समाज की उपेक्षा के कारण प्रतिदिन अनेक भाषाएं विलुप्त हो रही हैं। उन्होंने राजस्थानी को विश्व की समृद्धतम भाषाओं में से एक बताया तथा कहा कि इसके संस्कारों को अगली पीढी तक पहुंचाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को इसे आम बोलचाल में अपनाना होगा। युवाओं को इससे जोड़ना होगा। भाषा की विकास के जतन समाज के बिना संभव नहीं है। प्रों. सिंह ने कहा कि व्यक्ति के जीवन में कला,साहित्य एवं संस्कृृति का विशेष महत्व हैं।
मुख्य अतिथि महापौर सुशीला कंवर ने कहा कि भाषा की उत्पति समाज से होती है तथा यही पल्लवित-पोषित होकर भाषा वृहद क्षेत्र तक पहुंच पाती है। उन्होंने कहा कि भाषा को जन-जन तक पहुंचाने में साहित्य की भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण होती है। इस मामले में राजस्थानी भाषा बेहद समृद्ध है। यहां लिखित और लोक साहित्य का अकूत भंडार है तथा सुखद बात है कि आज भी अनवरत साहित्य सृजन हो रहा है।
वरिष्ठ कवि, साहित्यकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि मां को बच्चे की पहली शिक्षिका माना जाता है। इस कारण एक मां अथवा महिला, भाषा को एक से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचानो में प्रभावी भूमिका निभा सकती है। उन्होंने कहा कि हिंदी या अंग्रेजी को अपनाना गलत नहीं है, लेकिन कोई भी अपनी मातृभाषा को विस्मृत नहीं करे, इसका विशेष ध्यान रखना जरूरी है।
विशिष्ठ अतिथि एन.डी. रंगा ने कहा कि राजस्थानी भाषा का वृहद् प्रभाव ही तैस्सितोरी जैसे विद्वानों को राजस्थान की ओर खीच लाया। राजस्थानी भाषा और साहित्य के विकास में उनके अवदान को सदियों तक याद रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि संस्था द्वारा उनकी स्मृति में प्रतिवर्ष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
संस्था की अध्यक्ष डॉ. कल्पना शर्मा ने कहा कि राजस्थानी साहित्य की विशेषताओं, यहां की परम्पराओं और इसके विकास में समाज की भूमिका महत्वपूर्ण है। अतिथियों ने एवं आगंतुकों ने तैस्सितोरी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। प्रारंभ में साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने संस्था की ओर से स्वागत भाषण देते हुए संस्था का परिचय दिया तथा केन्द्रीय साहित्य अकादेमी में राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक मधु आचार्य ”आशावादी“ ने तैस्सितौरी के व्यक्तित्व एवं कृत्तिव्व पर प्रकाश डाला ।
संस्था सचिव कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने बताया कि मंगलवार को प्रातः 11ः15 बजे स्थानीय बीकानेर व्यापार उद्योग मंडल, मॉर्डन मार्केट के सभागार में तैस्सितौरी अवार्ड कार्यक्रम आयोजित होगा, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजस्थान राज्य अभिलेखागार के निदेशक डॉ. महेन्द्र खडगावत होंगे तथा सुधीर सक्सेना एवं राजाराम स्वर्णकार को वर्ष 2020 एवं 2021 का अवार्ड दिया जाएगा।
इस अवसर पर कार्यक्रम में डॉ. अजय जोशी, नासिर जैदी, विष्णु शर्मा, संजय जनागल, बुलाकी शर्मा, डॉ. गौरीशंकर प्रजापत, डॉ. नीरज दइया, जुगल पुरोहित, एडवोकेट महेन्द्र जैन, ऋषि अग्रवाल, विमल शर्मा, नवनीत पांडें, मांगीलाल भद्रवाल सहित अनेक लोग उपस्थित थेे।