यावज्जीवेत सुखं जीवेद, ऋणं कृत्वा घृतं पिवेत
विनय एक्सप्रेस समाचार, जयपुर। भारतीय दार्शनिक चार्वाक के इस कथन का अर्थ है- जब तक जीएं सुख से जीएं और कर्ज लेकर घी पीएं।
CM अशोक गहलोत की बजट घोषणाओं की तुलना विरोधी इसी कथन से कर रहे हैं।
राजस्थान के बजट में 2023 के चुनाव को देखा जा रहा है। गहलोत के तीसरे कार्यकाल का ये चौथा बजट है। बजट में जिस तरह से सभी को खुश रखने का गणित बिठाया गया, उससे विपक्ष ही नहीं, पक्ष भी हैरान है। नफा-नुकसान ढूंढे जा रहे हैं, लेकिन एक ही बात सभी के मुंह पर है- बिना जादू की छड़ी घुमाए इसे जमीन पर नहीं उतारा जा सकता है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि लगातार बढ़ रहे कर्जे को सरकार कंट्रोल कैसे करेगी और बढ़ते कर्ज का असर आम आदमी पर आना ही तय है।
बजट को इन सवालों के जरिए समझने की कोशिश करते हैं…
1. क्या बजट संतोषजनक है?
ये पूरी तरह राजनीतिक बजट है। केंद्रीय बजट में जनता को जिस तरह निराशा हुई, उसको राज्य बजट में जनता के पक्ष में भुनाने की ‘जादूगरी’ की गई है। गांव, गरीब और किसान के साथ यूथ और महिलाओं को सेंटर में रखा गया है।
2. क्या सरकार के पक्ष में इससे माहौल बनेगा?
घोषणाओं के हिसाब से हां। क्योंकि इसमें सरकारी कर्मचारियों से लेकर यूथ तक के लिए कुछ न कुछ किया गया है। इसमें माइनस प्वाइंट यह है कि वक्त कम बचा है और अगर ये घोषणाएं जमीन पर नहीं आईं तो नेगेटिव माहौल बनने का खतरा भी उतना ही बड़ा है।
3. गहलोत ने विरोधियों को चुप कर दिया है?
हां। बजट में जिस तरह की घोषणाएं हुई हैं, उसके बाद सभी मुद्दे गौण हो गए हैं। हालांकि राजस्थान में कहावत है ‘भूखो धापियो पतीजै…’ यानी भूखा तो पेट भरने के बाद ही खुश होता है। विरोधी फिलहाल चुप हो गए हों, लेकिन छह महीने में विरोध बढ़ने का खतरा भी बढ़ गया है।
4. बजट में मुस्कुराने की सबसे बड़ी वजह क्या है?
बिजली दरें। देशभर में महंगी बिजली के लिए बदनाम राजस्थान में अल्प आय वर्ग के उपभोक्ताओं के लिए 50 यूनिट मुफ्त बिजली की घोषणा की गई है। सभी घरेलू उपभोक्ताओं को 150 यूनिट तक 3 रुपए और 150 से 300 यूनिट तक 2 रुपए और इससे ऊपर के कंज्यूमर को भी स्लैब के हिसाब से अनुदान महंगाई के इस दौर में मुस्कराने वाला कदम है।
5. सबसे बड़ी खुशी कौन मना सकते हैं?
सरकारी कर्मचारी। क्योंकि पुरानी पेंशन योजना बहाल कर दी गई है। अंशदायी पेंशन योजना को खत्म कर 2004 से पहले वाली पुरानी पेंशन प्रणाली फिर से बहाल करना खुशियों को बढ़ाने वाला फैसला है। संविदा कर्मचारियों के मानदेय में भी 20 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।
6.क्या बजट में इसके अलावा कोई बड़ी राहत मिली है?
इलाज की सुविधा बढ़ाना काफी अच्छा कदम है। चिरंजीवी योजना के अंतर्गत अब बीमा राशि 5 लाख से बढ़ाकर सालाना 10 लाख रुपए की गई है। कई बड़ी बीमारियों का इलाज और जटिल ऑपरेशन भी योजना में हो जाएंगे।
7. क्या गहलोत ने हाईकमान को खुश करने की भी कोशिश की है?
हां। महिलाओं के लिए जिस तरह खुलकर घोषणाएं की गई हैं, इसमें प्रियंका गांधी का प्रभाव है। महिलाओं को डिजिटल बनाने के लिए सरकार 1 करोड़ 33 लाख महिलाओं को स्मार्ट फोन देगी। सिर्फ फोन ही नहीं, बल्कि 3 साल की इंटरनेट सेवा भी फ्री दी है। CM वर्क फ्रॉम होम योजना भी काफी महत्वपूर्ण है।
8. व्यापारी के लिए क्या है?
कोविड की परिस्थितियों के मद्देनजर कोई नया कर नहीं लगाया गया है। बाकी कुछ छूट के अलावा कुछ नहीं है।
9. बजट में कौन निराश हुआ है?
संभाग और जिले बनने की वर्षों पुरानी मांग पूरी नहीं होने से जनता को निराशा हुई है। कई कांग्रेसी विधायकों के लिए अब जनता को जवाब देना मुश्किल होगा। बालोतरा विधायक ने तो जिला नहीं बनाने पर जूते उतार दिए। क्योंकि उन्होंने संकल्प लिया था, बालोतरा जिला नहीं बना तो वे जूते नहीं पहनेंगे।
10. अब बजट में बहस क्या होगी?
सिर्फ एक ही बहस बची है, पैसे कहां से आएंगे? क्या ये सिर्फ चुनावी और राजनीतिक बजट है?
11. पहला कृषि बजट प्रदेश में पेश किया गया। इसमें क्या खास देखते हैं?
किसानों की सबसे बड़ी मांग थी कि कॉर्मिशयल बैंकों की कर्जमाफी हो जाए, जो अधूरी रह गई। एक खास बात हुई। कृषि में 11 मिशन शुरू किए गए हैं। ये पहली बार है।
12. रोजगार को लेकर ऐलान किए गए हैं, उससे भरपाई हो जाएगी?
बिल्कुल। नए अवसरों से फायदा मिलेगा। खास यह कि सरकार इन भर्तियों को समय पर करेगी तो ही लाभ मिलेगा।