विनय एक्सप्रेस स्वास्थ्य आलेख । स्त्री एवं प्रसूती रोग तथा निः संतानता विशेषज्ञ डॉ. प्रीति राजपुरोहित बताती है कि गत कुछ वर्षों से नि:संतानता विश्व भर में चिंता का विषय है। भारत में नि:संतानता से 10 से 14 प्रतिशत आबादी प्रभावित है जिनमें से 20 से 25 प्रतिशत दम्पतियों में नि:संतानता का एक प्रमुख कारण पुरुषों में शुक्राणु की गुणवत्ता एवं संख्या में कमी है।
मेडिकल क्षेत्र ने बहुत विकास किया है परिणामस्वरूप आज हम बहुत सी तकनीकों से अपने जीवन की विभिन्न कमियों को पूरा कर सकते हैं। ICSI उपचार पुरुष निःसंतानता इलाज की उन्ही अत्याधुनिक एवं सफल तकनीकों में से एक है।
जिन पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या, गति या गुणवत्ता बेहद कम होती है, वहां IVF तकनीक ज्यादा कारगर नहीं होती।
IVF प्रक्रिया में अंडे और शुक्राणुओं को नियंत्रित परिस्थितियों में फर्टिलाइज़ेशन के लिए छोड़ दिया जाता है जबकि ICSI प्रक्रिया में स्वस्थ शुक्राणु को सीधे महिला के अंडे में ICSI मशीन से प्रवेश करवाया जाता है जिससे फर्टिलाइजेशन की संभावनाए बढ़ जाती है।
कुछ पुरुषों में शुक्राणु तो बनते हैं लेकिन बाहर नहीं आ पाते है, ऐसे में ICSI TESA प्रक्रिया के जरिए शुक्राणु निकाल कर एवं स्वस्थ्य शुक्राणु को छांट कर उन से भी गर्भधारण करवाया जा सकता है ।
बताते हुए प्रसन्नता हो रही है की बीकानेर में भी अब अत्याधुनिक ICSI मशीन से उपचार उपलब्ध है। ICSI प्रक्रिया से ऐसे कई जटिल नि:संतानता समस्याओं का सफल उपचार किया जा रहा है।
चिकित्सा विज्ञान के तमाम ऊंचाइयां छूने के बावजूद, आज भी कई नि:संतान दंपत्ति सही जानकारी एवं उपचार के अभाव में निःसंतानता विशेषज्ञ से सलाह नहीं लेते एवं इसे अपनी नियति मान लेते हैं। निःसंतानता की समस्या अक्सर दम्पतियों को निराशा की ओर ले जाती है।
डॉ. राजपुरोहित बताती है की ऐसी कण्डिशन मे कपल हिम्मत ना हारें एवं अपने निःसंतानता विशेषज्ञ से ICSI जैसे अत्याधुनिक नि:संतानता उपचार के बारे में सलाह लें। पुरुष निःसंतानता समस्याओं में ICSI उपचार बेहतर सफलता देता है एवं कम अच्छे शुक्राणुओ से भी गर्भधारण किया जा सकता है।