विनय एक्सप्रेस समाचार, जयपुर। राजस्थान में इस बार अब तक एंटी इनकम्बेंसी नहीं बनने से BJP हैरान और चिन्तित है। कारण है कि 2018 विधानसभा चुनाव के बाद साढ़े 3 साल से ज्यादा वक्त कांग्रेस सरकार का गुजर चुका है। सिर्फ जिला परिषद चुनाव के अलावा सभी बड़े चुनावों में BJP ने कांग्रेस से बाजी हारी है। राज्यसभा के हालिया चुनाव में विधायक शोभारानी कुशवाह की कांग्रेस के पक्ष में क्रॉस वोटिंग से पार्टी को बड़ा झटका लगा है। आंतरिक गुटबाजी पर लगाम कसना भी पार्टी नेतृत्व के लिए बड़ी चुनौती है।
पंचायतराज चुनाव में विपक्षी दल होते हुए बीजेपी ने जोड़-तोड़ कर 18 जिला प्रमुख बनाए और कांग्रेस 15 जिला प्रमुख बना सकी। लेकिन 6 महापौर के चुनाव में कांग्रेस के 4, बीजेपी के 2 ही चुने गए। 8 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव में 6 पर कांग्रेस, 2 पर बीजेपी जीती। 7 सीटों पर राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस 5 और बीजेपी 2 सीटों पर जीत सकी। 196 नगर निकायों में 125 पर कांग्रेस और 64 पर बीजेपी की जीत हुई। कुल 7500 पार्षदों में से कांग्रेस के 3036 और बीजेपी के 2676 हैं। कुल 353 पंचायत समिति प्रधान में कांग्रेस 182 और बीजेपी 139 ही प्रधान बनवा सकी।
पिछले 30 साल का सियासी ट्रेंड, 5-5 साल कांग्रेस-BJP करते हैं राज
प्रदेश में पिछले 30 सालों का सियासी ट्रेंड यह है कि 5 साल कांग्रेस और 5 साल बीजेपी सरकारें राज करती आई हैं। 1993 से 1998 तक प्रदेश में BJP के भैरों सिंह शेखावत मुख्यमंत्री रहे। 1998 से 2003 तक कांग्रेस से अशोक गहलोत CM रहे। 2003 से 2008 तक BJP की वसुंधरा राजे CM रहीं। 2008 से 2013 तक फिर अशोक गहलोत CM चुने गए। लेकिन 2013 से 2018 तक वसुंधरा राजे ने दोबारा राज किया। 2018 से 2013 तक तीसरी बार CM गहलोत का कार्यकाल जारी है। अब BJP को उम्मीद है कि ट्रेंड के मुताबिक 2023 में पार्टी के हाथ में राजस्थान की बागड़ोर आएगी। लेकिन अबकी बार लगातार बीजेपी की हार ने पार्टी को विधानसभा चुनाव की नए सिरे से स्ट्रेटेजी बनाने को मजबूर कर दिया है। जयपुर में पिछले दिनों कूकस के 5 सितारा होटल में राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक के फैसलों के बाद अब फिर से BJP राजस्थान के सीनियर और राष्ट्रीय नेता कोटा में एक मंच पर आएंगे।
चुनाव स्ट्रेटेजी नए सिरे से बनेगी,कोटा में आज से दो दिवसीय बैठकों का दौर
BJP ने विधानसभा चुनाव 2023 में जीत की स्ट्रैटेजी पर अभी से काम शुरु कर दिया है। इसके लिए पार्टी के सभी सीनियर नेताओं को एक मंच पर लाकर गुटबाजी दूर करने की कोशिश बीजेपी नेतृत्व कर रहा है। इसी कड़ी में आज से कोटा में बीजेपी की प्रदेश कार्यसमिति और पदाधिकारियों की दो दिवसीय बैठक बुलाई गई है। आज शाम 6 बजे कोटा में बीजेपी प्रदेश पदाधिकारी और मोर्चा प्रदेशाध्यक्षों की बैठक होगी। 15 जून को प्रदेश कार्यसमिति की बैठक होगी। इसके साथ ही सांसदों और विधायकों को बूथ मजबूत करने का टास्क भी पार्टी ने दिया है।
जेपी प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह, प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, प्रदेश संगठन महामंत्री चन्द्रशेखर मिश्रा, पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे, केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, अर्जुनराम मेघवाल, कैलाश चौधरी, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचन्द कटारिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ समेत कई राष्ट्रीय पदाधिकारी, प्रदेश कोर कमेटी सदस्य, प्रदेश पदाधिकारी, मोर्चों के राष्ट्रीय पदाधिकारी, मोर्चों के जिलाध्यक्ष, कार्यसमिति सदस्य, जिलों के प्रभारी और जिलाध्यक्ष समेत सीनियर लीडर बैठक में शामिल होंगे।
बूथ की मजबूती के लिए सांसद-विधायकों को टास्क
पार्टी ने बूथ की मजबूती के लिए बूथ सशक्तिकरण अभियान भी शुरू किया है। जून-जुलाई में संगठन स्तर पर पार्टी की मजबूती के लिए कई प्रोग्राम तय किए गए हैं। सभी सांसदों को बूथ मैनेजमेंट से जुड़े टास्क दिए गए हैं। इसी तरह विधायकों को भी बूथ की मजबूती के लिए लगाया गया है। जनप्रतिनिधियों को पार्टी संगठन के साथ जोड़कर जनता के बीच जाने का यह अभियान 31 जुलाई तक जारी रहेगा। पन्ना प्रमुख अभियान, सशक्त मंडल अभियान, मोदी सरकार की स्कीम्स के लाभार्थी लोगों के सम्मेलन के साथ ही सांसदों-विधायकों के प्रवास यानी जिलों के दौरे तय किए जाएंगे। जनता के बीच जाकर पार्टी की कमजोरियां पता की जाएंगी। गुटबाजी रोकने के उपायों पर राय-मशविरा कर पार्टी नेतृत्व को फीडबैक दिया जाएगा।