विनय एक्सप्रेस समाचार, पाली। पेयजल संकट का सामना कर रहे पाली जिले के लिए राज्य सरकार ने गर्मियों की शुरूआत के साथ ही पर्याप्त पेयजल व्यवस्था सुनिश्चित करने की दिशा में कदम उठाए हैं। पाली जिले में वर्ष 2021 में मानसून की पर्याप्त वर्षा नहीं होने के कारण अधिकांश बांधों में पानी की आवक नगण्य रही है। जिले के मुख्य पेयजल स्रोतों जवाई – हेमावास बांध में पानी की नगण्य आवक होने के कारण पेयजल की आपातकालीन परिस्थति उत्पन्न हुई है।
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉ. महेश जोशी ने बताया कि पाली जिले के 260 गांवों और 140 ढाणियों में जल स्रोत विकसित कर तथा 221 टैंकरों के माध्यम से प्रतिदिन कुल 950 ट्रिप कर जलापूर्ति की जा रही है। पाली शहर की पेयजल मांग 45 एमएलडी है। वर्तमान में पाली शहर के लिए जोधपुर से रेल मार्ग द्वारा 6 एमएलडी भूजल स्रोतों से 3 एमएलडी, से बाणियावास के डेड स्टोरेज से 6 एमएलडी तथा पाली के आसपास स्थित माइन्स से 6 एमएलडी सहित कुल 21-22 एमएलडी पेयजल की व्यवस्था की जा रही है।
डॉ. महेश जोशी ने बताया कि पेयजल व्यवस्था के लिए राज्य आपदा मोचन निधि (एसडीआरएफ) से 1963.59 लाख रूपए की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की गई। विभाग के प्रयासों से जोधपुर जिले के भगत की कोठी रेलवे स्टेशन से रेलवे वैगन में पेयजल भरवाने एवं पाली रेलवे स्टेशन पर वैगन खाली करवाने की व्यवस्था की गई। 17 अप्रैल 2022 से रेलमार्ग द्वारा पाली के लिए पेयजल परिवहन शुरू कर प्रतिदिन दो फेरे तथा बाद में इसे बढ़ाकर तीन फेरे प्रतिदिन कर पेयजल उपलब्ध करवाया गया। उन्होंने बताया कि कुल 161 फेरों से 32 करोड़ लीटर पेयजल का परिवहन पाली के लिए किया जा रहा। इस सम्बन्ध में मैंने केन्द्रीय रेल मंत्री को पत्र लिखकर जोधपुर से पाली तक रेलमार्ग से पेयजल परिवहन को निःशुल्क करने का आग्रह किया गया था, लेकिन केंद्रीय रेल मंत्रालय द्वारा निशुल्क परिवहन उपलब्ध नहीं कराए जाने से इसका भुगतान नियमित रूप से राज्य सरकार द्वारा किया जा रहा है।
जलदाय मंत्री ने बताया कि पाली जिले में पेयजल व्यवस्था बनाए रखने के लिए जवाई बांध के विकल्प के रूप में उपलब्ध सभी स्रोतों से जिनमें पाली शहर के नजदीक स्थित बाणियावास, खारडा, कन्टालिया आदि बांधों से पानी लेकर तथा भूजल स्रोतों का निर्माण करवाकर पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था की गई थी, लेकिन वर्तमान में समस्त सतही जल स्रोतों में पेयजल की उपलब्धता नगणय होने पर इन सतही स्रोतों के स्थान पर वैकल्पिक व्यवस्था कर जलापूर्ति की जा रही है।
डॉ. महेश जोशी ने बताया कि कुडी रोहट के मध्य बिछी पाइप लाइन की मरम्मत का कार्य भी तेजी से प्रगति पर है। पेयजल व्यवस्था सुचारू बनाए रखने के लिए कुल 281 प्रस्ताव स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें 78 हैण्ड पम्प, 305 नलकूप, 43 खुले कुएं 488 किमी पाइप लाइन, 738 पम्प मशीनरी तथा 508 अन्य कार्य स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 90-95 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुके हैं तथा शेष प्रगति पर हैं। ये सभी स्वीकृतियां राज्यमद से जारी की गई हैं।