पशुओं में “लम्फी स्किन रोग” से बचाने को लेकर पशुपालकों को दिया ऑनलाइन प्रशिक्षण

विनय एक्सप्रेस समाचार, झुंझुनूं। पशु विज्ञान केंद्र ,झुंझुनूं के प्रभारी अधिकारी डॉ प्रमोद एवं डॉ विनीय कुमार ने बताया कि प्रदेश के पशुओं में एक खतरनाक बीमारी लंफी स्किन डिजीज फैल रही है। जो एक वायरस जनित बीमारी है एवं इस रोग से ग्रसित पशु की त्वचा पर लाल व सफेद चकते, भरी हुई घाटी एवं खुजली वाले घाव हो जाते हैं। साथ ही तेज बुखार भी आता है। पशु दाना पानी छोड़ देता है।आंखों में नाक से स्राव आते हैं और दुधारू पशुओं में दूध उत्पादन भी कम हो जाता है । पशुओं में इस तरह के लक्षण प्रकट होते ही तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सालय में सूचना देते हुए पशु चिकित्सक से उपचार अवश्य करवाना चाहिए। रोग ग्रसित पशु एवं उसके स्रावों के संपर्क में आने पर यह रोग अन्य स्वस्थ पशुओं में फैल सकता है। अतः पशुपालकों को इस बीमारी में रखी जाने वाली उचित सावधानी के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी तथा पशुपालकों को जिस क्षेत्र में संक्रमित पशु है उसकी 5 किलोमीटर की परिधि में टीकाकरण नहीं करवाने के निर्देश दिए तथा राजूवास के द्वारा तैयार आयुर्वेद फॉर्मूला 100 ग्राम अश्वगंधा की जड़, 100 ग्राम हल्दी पाउडर, 100 ग्राम आंवला पाउडर, 100 ग्राम गिलोय इन सब को मिलाकर 50 ग्राम सुबह-शाम गुड व बाजरे के आटे के साथ 10 15 दिन तक पशु को खिलाएं एवं नीम का पानी उबालकर उसमें 50 ग्राम फिटकरी डालकर पशु को नहलाएं एवं पशु के शरीर पर बने गांठदार फोड़ो जलन व पीड़ा को कम करने के लिए 500 ग्राम नीम के पत्ते वह 100 ग्राम तुलसी के पत्ते को 1 लीटर पानी में उबालें तथा जब तक पानी आधा लगभग 500ml बचे तब तक उबालें उसके बाद में छलनी से छानकर पानी को ठंडा कर ले उसके बाद में 500 ग्राम ग्वारपाठा की लुगदी व 20 ग्राम हल्दी पाउडर मिलाकर पशु के गांठदार फोड़ो पर लगाएं।