विनय एक्सप्रेस समाचार,जयपुर। संसदीय कार्य मंत्री श्री शान्ति कुमार धारीवाल ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि स्वास्थ्य केन्द्राें के नवीन भवनों का निर्माण एनआरएचएम द्वारा कराया जाता है तथा जर्जर भवन को नकारा घोषित करने के लिए आवेदन जिला कलक्टर को दिया जाता है। उन्होंने आश्वासन दिया कि कोटा के ढीपरी चम्बल स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के भवन की मरम्मत के लिए राशि यदि चिकित्सा विभाग द्वारा उपलब्ध करा दी जाती है तो मरम्मत का कार्य पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा करवा दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस भवन में 5 कमरे हैं, जिनमें से दो कमरों में काम चालू है व तीन कमरे काम में लेने योग्य नहीं हैं।
श्री धारीवाल प्रश्नकाल में विधायकों द्वारा इस संबंध में पूछे गये पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कोटा के ढीपरी चम्बल स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के भवन को नकारा घोषित करने के लिए कलेक्टर को आवेदन करने के लिए कहा। उन्होंने बताया कि आवेदन करने के बाद जिला कलेक्टर सार्वजनिक निर्माण विभाग के माध्यम से भवन का अससमेंट करवाता है और एनआरएचएम को भेजता है। उन्होंने बताया कि नवीन भवन का निर्माण हमेशा एनआरएचएम द्वारा ही करवाया जाता है।
इससे पहले विधायक श्री रामनारायण मीना के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में श्री धारीवाल ने बताया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ढीपरी चम्बल का निर्माण वर्ष 1990-91 एवं अतिरिक्त निर्माण वर्ष 1995-96 में लगभग 25 से 30 वर्ष पूर्व करवाया गया था। भवन निर्माण बाबत् संवेदक एवं निर्माण कार्य की देखरेख करने वाले विभागीय अभियन्ताओं के खिलाफ कोई कार्यवाही अमल में नहीं लाई गई है। वर्तमान में भवन उपयोग में लिया जा रहा है। भवन मरम्मत एवं रखरखाव के अभाव में क्षतिग्रस्त है।
उन्होंने बताया कि नवीन भवन निर्माण हेतु राशि रू 186.70 लाख के प्रस्ताव अधिशाषी अभियंता, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के पत्रांक 176 दिनांक 29 मई 2019 द्वारा मुख्य अभियंता, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, जयपुर को प्रेषित किया गया है। वांछित स्वीकृति जारी किया जाने बाबत् निर्णय सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा नहीं किया जाकर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग (एनआरएचएम) द्वारा किया जाना है।
उन्होंने बताया कि इस भवन को नकारा/कन्डम घोषित करने बाबत् पत्र प्रभारी अधिकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ढीपरी चम्बल द्वारा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कोटा को लिखा गया है। भवन को नकारा घोषित करने बाबत् जिला कलेक्टर द्वारा अधीक्षण अभियंता सार्वजनिक निर्माण विभाग से प्राप्त रिपोर्ट पर निर्णय लेने के पश्चात् ही नकारा घोषित किया जा सकता है तत्पश्चात् नवीन भवन के निर्माण की स्वीकृति एनआरएचएम द्वारा दी जाती है तथा निर्माण भी एनआरएचएम द्वारा किया जाता है।