हमारा सम्मान कार्य के प्रति हमारी जिम्मेदारी
को और बढ़ा देता है: अजय जोशी
विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। ‘‘ जिस कार्य के लिए हमारा सम्मान होता है उस कार्य को अधिक गुणवत्ता से करने के प्रति हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। ये उद्बोधन प्रो. अजय जोशी ने कौशलाचार्य सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में अभिव्यक्त किए। प्रो.जोशी ने कौशलाचार्य सम्मान से सम्मानित संदर्भ व्यक्तियों से अपने प्रशिक्षणार्थियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रशिक्षण कार्य की गुणवत्ता को निरंतर तराशने का संदेश दिया।
अवसर था – भारत सरकार के कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय द्वारा संचालित जन शिक्षण संस्थान, बीकानेर द्वारा 5 सितंबर, शिक्षक दिवस के अवसर पर स्थानीय डॉ.श्रीलाल मोहता सभागार में आयोजित कौशलाचार्य सम्मान समारोह का। इस कौशलाचार्य सम्मान समारोह में जन शिक्षण संस्थान के शहरी क्षेत्र एवं ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल विकास कार्यक्रमों को संचालित करने वाले संदर्भ व्यक्तियों को कौशलाचार्य सम्मान से सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर संदर्भ व्यक्तियों एवं प्रशिक्षणार्थियों ने विभिन्न गीतों और कवितााओं के माध्यम से गुरूमहिमा की अभिव्यक्तियां भी दीं। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय कौशलाचार्य सम्मान 2022 के लिए संस्थान की संदर्भ व्यक्ति श्रीमती मीना तंवर का नाम भी मंत्रालय को प्रस्तावित किया गया है।
विशिष्ट अतिथि श्रवण कुमार छींपा, वरिष्ठ लेखाअधिकारी, जिला परिषद, बीकानेर ने कहा कि हमारा सीखना कभी रूकना नहीं चाहिए। शिक्षक सबसे पहले विद्यार्थी होता है इसलिए अपने काम को बेहतर बनाने के लिए निरंतर नया सीखते रहें और अपने शिक्षकों के प्रति सदैव कृतज्ञ रहें।
सान्निध्य उद्बोधन के तहत बीकानेर प्रौढ़ शिक्षण समिति के अध्यक्ष शिक्षाविद डॉ.ओम कुवेरा ने कहा कि गुरु हमारे जीवन में अज्ञान के अंधेरे को दूर करके ज्ञान का प्रकाश फैलाता है।
उन्होंने ‘‘ जूते सीधे कर दिए थे एक दिन उस्ताद के, उसका बदला ये मिला किस्मत सीधी हो गई’’ उक्ति के माध्यम से गुरू की कृपा को अपरम्पार बताया। अध्यक्षीय उद्बोधन के तहत संस्थान के वाईसचेयरमैन एडवोकेट गिरिराज मोहता ने कहा कि हमारे जीवन में माता, पिता, भाई, मित्र आदि कईं रिश्ते होते हैं लेकिन गुरु के साथ शिष्य के रिश्ते में जीवन के सभी रिश्ते शामिल होते है। इसलिए गुरु शिष्य का रिश्ता बहुत वृहत होता है।
इस अवसर पर शिक्षाविद डॉ.विभा बंसल ने कहा कि गुरू का व्यक्तित्व बहुआयामी होता है। इसी क्रम में प्रख्यात उद्यमी पवन देवाणी ने कहा कि गुरू हमें अपने हर आचरण से नया सीखाते ही रहते हैं। निदेशक ओम प्रकाश सुथार ने आगंतुकों का स्वागत करते हुए कहा कि गुरु को जानने का प्रयास करेंगे तो हमारा जन्म भी कम पड़ जाएगा और यदि गुरु को श्रद्धापूर्वक मान लिया उसी पल हमारा कल्याण हो जाएगा।
आयोजन के प्रभावी संयोजन के तहत कार्यक्रम अधिकारी महेश उपाध्याय ने सम्मानित संदर्भ व्यक्तियों के कार्यों से सदन को अवगत कराया।कार्यक्रम का प्रारंभ मां शारदे और डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण जी के छायाचित्र के समक्ष दीपप्रज्ज्वलन और माल्यार्पण कर किया गया।
कार्यक्रम सहायक तलत रियाज एवं लेखाकार लक्ष्मीनारायण चूरा ने आगंतुकों का स्वागत करते हुए सबकों शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं दी। आयोजन के व्यवस्थापन में संस्थान परिवार के विष्णुदत्त मारू और श्रीमोहन आचार्य की सक्रिय सहभागिता रही। कार्यक्रम सहायक उमाशंकर आचार्य ने आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए संस्थान के कार्यों को निरंतर प्रगति देते रहने का संदेश दिया।