विनय एक्सप्रेस विशेष आलेख, हिमांशु सिंह, जनसंपर्क अधिकारी, झुंझुनूं ।समय-समय पर आप ओजोन परत को लेकर बातें सुनते रहते होंगे कि इसे सुरक्षित रखना है, ओजोन परत पिघल रही है आदि। यही नहीं, इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कई कदम भी उठाए जाते हैं। इसी कड़ी में हर साल 16 सितंबर को वर्ल्ड ओजोन दिवस मनाया जाता है और लोगों को जागरूक किया जाता है कि ओजोन परत की कैसे सुरक्षा की जा सकती है। हमें ये समझना होगा कि जितना जरूरी मानव शरीर के लिए ऑक्सीजन है, उतनी ही ओजोन परत भी। इसलिए समय-समय पर वैज्ञानिक इस परत को लेकर लोगों को जागरूक करते हैं। तो चलिए ओजोन दिवस के मौके पर जनसंपर्क अधिकारी, झुंझुनूं , हिमांशु सिंह आपको कुछ जरूरी बातें बता रहे हैं, उनको समझते है।
पृथ्वी पर वायुमंडल की विभिन्न परतों में से एक महत्वपूर्ण परत ओजोन मंडल है। यह धरती से 20 से 50 किमी की ऊंचाई पर पाई जाने वाली गैस है। इसका सबसे महत्वपूर्ण कार्य सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को रोकना है। ओजोन की खोज ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर गॉर्डन डॉबसन ने 1957 में की थी। अगले 3 दशकों में इस पर विस्तृत अध्ययन हुआ, जिसमें सामने आया कि लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण के चलते ओजोन परत कमजोर पड़ती जा रही है, इसे ही ओजोन में छेद होना कहते हैं। इसको बढ़ते दुष्प्रभाव को रोकने के लिए 1957 में कनाडा के मांट्रियल शहर में संयुक्त राष्ट्र महासभा और 45 देशों ने एक संधि पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाली हानिकारक गैसे (ग्रीन हाऊस गैसे यथा क्लोरोफ्लोरो कार्बन इत्यादि) के उत्सर्जन में कमी लाना था। इसीलिए 19 दिसंबर 1994 से 16 सितंबर के ही दिन विश्व ओजोन दिवस मनाने की घोषणा हुई, जिसके बाद 16 सितंबर 1995 में पहला विश्व ओजोन दिवस मनाया गया। इस वर्ष 27वां विश्व ओजोन दिवस मनाया जा रहा है, जिसकी थी मांट्रियल @35- पृथ्वी पर जीवन की रक्षा करने वाला वैश्विक सहयोग’ है। यानी मांट्रियल प्रोटोकोल को 35वां वर्ष है।
ओजोन परत की क्षय का मुख्य कारण क्लोरोफ्लोरो कार्बन यानी सीएफसी नामक गैस है, जिसका उपयोग हम रेफ्रीजरेटर और एयर कंडीशनर में करते हैं, इसके अलावा एयरोसॉल स्प्रे और कुछ उद्योगों में भी इसका उपयोग होता है। इसके अलावा नाईट्रोजन ऑक्साईड, मिथाइल ब्रोमाइड और हैलोजन गैसें भी इसके लिए उत्तरदायी हैं। विश्व ओजोन दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को ओजोन परत के क्षय और इसको रोकने के लिए जागरुक करना है।
ओजोन क्षय को रोकने के उपाय– ओजोन क्षय को मुख्यतया सीएफसी और ओजोन क्षय के लिए जिम्मेदार गैसों के उत्सर्जन को कम करके रोका जा सकता है, वहीं अधिक से अधिक पौधारोपण करके भी इसे निंयत्रित किया जा सकता है। नए शोधों में यह भी स्पष्ट हुआ है कि राजस्थान और झुंझुनूं की जलवायु के मुताबिक कैक्टस और एलोविरा यानी ग्वारापाठा के पौधे ग्रीनहाऊस गैसों विशेषतौर पर सीएफसी को सोखने में कारगर साबित हो रहे हैं। यह पौधे कम पानी में लगते हैं और अधिक तापमान को भी सहन कर सकते हैं। हम इन पौधों को अधिकाधिक लगाकर ओजोन परत के क्षय को रोकने में अपना योगदान दे सकते हैं।