जिला कलेक्टर ने ली समीक्षा बैठक
वर्तमान उर्वरक उपलब्धता के मद्देनजर जिला कलक्टर ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि विकल्प 1 डीएपी के स्थान पर विकल्प 2 एसएसपी को बढावा देने हेतु कृषि पर्यवेक्षक/सहायक कृृषि अधिकारी व्यापक प्रचार-प्रसार करें व किसानों को इस बात से व्यापक रूप से अवगत करवाया जाए।
जिला कलक्टर ने कृृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि उनके समस्त कृषि आदान निरीक्षक क्षेत्र मे रहें, जिससे उर्वरकों की जमाखोरी व कालाबाजारी को रोका जा सके। साथ ही उपनिदेशक परस्पर समन्वय से यह भी सुनिश्चित करें कि जिले को उर्वरक की उपलब्धतानुसार समान रूप से वितरण किसानों को किया जावे जिससे किसी भी प्रकार के असंतोष की स्थिति से बचा जा सके।
जिले में रबी सीजन में लगभग साढ़े छह लाख हैक्टेयर में फसलों की बुवाई संभावित है। जिसमें साढ़े तीन लाख हैक्टेयर नहरी क्षेत्र में व तीन लाख हैक्टेयर कुआं आधारित क्षेत्र में बुवाई की जाएगी।
उप निदेशक कृषि (विस्तार) कैलाश चौधरी ने बताया कि किसानों को फॉस्फोरस तत्व की पूर्ति के लिए डीएपी के विकल्प के रूप में सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) के उपयोग की सलाह दी जाती है। उन्होंने बताया कि जिले में यूरिया चम्बल का उर्वरक प्राप्त हो चुका है। यूरिया व डीएपी की आपूर्ति सतत रहेगी।
डीएपी के विकल्प के रूप में एसएसपी का उपयोग आर्थिक व पोषक तत्व उपलब्धता दोनों के मद्देनजर बेहतर है। फॉस्फोरस तत्व के लिए डीएपी के विकल्प के रूप में एसएसपी उर्वरक डीएपी की अपेक्षा सस्ता तथा बाजार में सुगमता से उपलब्ध हो रहा है। साथ ही प्रति इकाई लागत में तुलनात्मक रूप से सस्ता उर्वरक है। प्रति बैग डीएपी में 23 किग्रा फॉस्फोरस व नौ किग्रा नाइट्रोजन पाया जाता है। जबकि प्रति बैग एसएसपी में आठ किग्रा फॉस्फोरस एवं 5.5 किग्रा सल्फर पाया जाता है । यदि डीएपी के विकल्प के रूप में 3 बैग एसएसपी एवं साथ में एक बैग यूरिया का प्रयोग किया जाता है तो इन दोनों उर्वरकों से डीएपी की तुलना में कम मूल्य पर नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस की अधिक पूर्ति होने के साथ साथ द्वितीय पोषक तत्व के रूप में सल्फर एवं केल्शियम भी प्राप्त किया जा सकता है।
चौधरी ने बताया कि डीएपी उर्वरक विकल्प के रूप में दानेदार एसएसपी व यूरिया के उपयोग से फसल उत्पादन की लागत में कमी होने के साथ साथ सल्फर एवं केल्शियम तत्व की भी पूर्ति होती है जो कि विशेष कर तिलहनी सरसों व दलहनी चना फसलों के लिए बहुत ही उपयोगी है। उन्होंने कृषकों को सलाह कि विकल्प 2 के अनुसार डीएपी के स्थान पर एसएसपी व यूरिया का प्रयोग करें।