समग्र विकास के लिए महापुरुषों के जीवन मूल्यों को आत्मसात करने की महती आवश्यकता- श्री राजेश्वर सिंह

विनय एक्सप्रेस समाचार, अजमेर। राजस्व मंडल अध्यक्ष श्री राजेश्वर सिंह ने कहा कि आदर्श सुसंस्कृत एवं संस्कारित भावी पीढ़ी के निर्माण के लिए हमें महापुरुषों के जीवन मूल्यों, प्रतिभा एवं आदर्शों से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है।

 

वे शनिवार को नागौर जिले के थांवला ग्राम के चारभुजा मंदिर प्रांगण में वीरवर राव श्री जयमल राठौड़ संस्थान की ओर से आयोजित मीरा व्याख्यानमाला समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने भक्तिमती मीराबाई के जीवन चरित्र को लक्ष्य प्राप्ति के क्षेत्र में श्रेष्ठ प्रेरणादायी उदाहरण बताते हुए कहा कि उन्होंने बाल्यावस्था में ही अपने जीवन को लक्ष्य के साथ एकाकार कर लिया था। वे ईश्वर द्वारा चयनित शुद्ध आत्मा थीं, जिनका वरण स्वयं ईश्वर ने किया। आज के परिपेक्ष्य में गुरु, माता- पिता, परिजन एवं समाज को मीराबाई के जीवन की प्रासंगिकता को अपनाते हुए आदर्श भावी पीढ़ी का निर्माण करने की आवश्यकता है।


राजस्व मंडल अध्यक्ष ने कहा कि परमात्मा द्वारा निर्धारित कर्तव्यों का बोध करते हुए हमें उनकी इस तरह पालना करनी चाहिए कि हमारा जीवन अग्रणी राष्ट्र निर्माण के क्षेत्र में श्रेष्ठ उदाहरण साबित हो। उन्होंने मातृशक्ति को उन्नत समाज की श्रेष्ठ समाज बताते हुए कहा कि उन्हें भारतीय संस्कृति के मूल्यों के अनुरूप भावी पीढ़ी के निर्माण का बड़ा दायित्व निभाने की आवश्यकता है। उन्होंने विशेषतः बालिकाओं को स्वास्थ्य, बौद्धिक एवं शैक्षिक स्तर से पूर्ण समर्थ बनाने की बात कही।
आशीर्वचन प्रदान करते हुए नांद-पुष्कर से संत समताराम जी महाराज ने कहा कि जीवन में समर्पण व संघर्ष से बड़े से बड़ा लक्ष्य हासिल किया जा सकता है आज सामाजिक ढांचे में सुधार एवं विकास के लिए मीराबाई के चरित्र को आत्मसात करने की आवश्यकता है। उन्होंने सामाजिक, सांस्कृतिक ढांचे के निर्माण के लिए बच्चों को सुसंस्कार देने की आवश्यकता जताई।


मुख्य वक्ता शिक्षाविद श्री सुरेंद्र सिंह राव ने मां दुर्गा, मां लक्ष्मी एवं मां सरस्वती को उद्धृत करते हुए कहा कि आदिकाल से स्त्रीशक्ति का श्रेष्ठ स्थान है। वेदों में मां की महत्ता को परिभाषित किया गया है इतिहास में मां, पत्नी व बहनों की अनंत गाथाएं हैं उन्होंने पद्यावलियों के माध्यम से राष्ट्र वीरता एवं शौर्य का बखान करते हुए राष्ट्रवादी मूल्यों की पुनर्स्थापना की जरूरत बताई। अतिथि वक्ता श्री अभिमन्यु सिंह राजवी ने कहा कि पारंपरिक लोकगीतों लोरियों एवं पुरखों के स स्मरणों में वीरता के प्रेरक प्रसंग समाहित हैं हमें गौरवमयी इतिहास से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है।
समाजसेवी श्री गोपाल सिंह सिसोदिया ने कहा कि आध्यात्मिक गुरु ने वैज्ञानिक और प्रामाणिक ज्ञान के आधार पर भारत को विश्व गुरु बनाया। वैदिक व पौराणिक संस्कृति को अपनाकर स्वस्थ एवं विकसित राष्ट्र की कल्पना की जा सकती है। अतिरिक्त प्रादेशिक परिवहन अधिकारी श्री वीरेंद्र सिंह ने कहा कि अध्यात्म एकाग्रता के लिए सशक्त माध्यम है आज देश में बड़े स्तर पर सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा कम करने के लिए मन को एकाग्र बनाना होगा। न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रीमती कंचन कंवर राजावत, श्री रुद्र कुमार शर्मा, जन प्रतिनिधि श्रीमती प्रगति कुमारी खेजड़ला, श्री दलपत सिंह सहित अन्य वक्ताओं ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। स्वागत उद्बोधन श्री गजे सिंह का गुड़ा ने दिया जबकि आभार श्री जसवंत सिंह चांदावत ने जताया। कार्यक्रम में उल्लेखनीय सेवाओं के लिए स्मृति चिन्ह व प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किए गए। समारोह में बड़ी संख्या में गणमान्य लोग, समाजसेवी एवम नागरिकगण मौजूद रहे।