श्री भक्तामर पूजन व अभिषेक विधान : भक्ति, आत्मा को परमात्मा बनाने की प्रक्रिया-साध्वीश्री मृगावती

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में साध्वीश्री मृगावती, सुरप्रिया व नित्योदया के सान्निध्य में चल रहे श्री भक्तामर पूजन व अभिषेक विधान में रविवार को भक्तामर स्तोत्र की 27 व 28 वीं गाथा के अनुसार भगवान आदि व यंत्र का पूजन व अभिषेक किया गया। पूजा व प्रभावना का श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष, भीखमचंद, धीरजकुमार,अशोक कुमार, रौनक कुमार बरड़िया परिवार ने लिया।


’’रक्ष-रक्ष जिनेश्वर, आदिनाथ परेश्वर’’, ’’वंदन हो गिरिराज ने, म्हारा प्यारा आदिनाथ ने’’ के साथ नवंकार महामंत्र के जाप के साथ सवा घंटें चले अभिषेक व पूजन में साध्वीश्री मृगावती ने गाथाओं का विवेचन किया। उन्होंने कहा कि भक्ति का संगीत आत्मा को परमात्मा बनाने की प्रक्रिया है। निष्काम व अनन्य भक्ति से सराबोर भक्त संसार के सभी सुख व वैभव होने के बाद भी परमात्मा भक्ति को नहीं छोड़ता। भक्ति से आत्मा पर पड़ा गुणों का पर्दा उठता है तथा काम,क्रोध, लोभ, मोह व अहंकार आदि कषाय दूर होते है। भक्ति की पराकाष्ठा आत्मा को परमात्मा बनाने में है। ज्ञान वाटिका की बालिकाओं ने भक्ति गीत प्रस्तुत किया।