फसल अवशेषों का प्रबंधन कर बढाये अपनी उपज

विनय एक्सप्रेस समाचार, भरतपुर। उपनिदेशक कृषि सीएल यादव ने कहा कि किसान फसल कटाई के पश्चात फसल अवशेषों को खेत में नहीं जलाये अन्यथा जुर्माने की कार्यवाही की जायेगी।
उपनिदेशक कृषि सीएल यादव ने कहा कि जिले में किसानों द्वारा फसल कटाई पश्चात फसल अवशेषों को खेत में ही जलाने की प्रवृत्ति है इससे वायु प्रदूषण होता है, खेत में मौजूद लाभदायक कीडे मर जाते हैं तथा जीवाणुओं की क्रियाशीलता कम हो जाती है। पर्यावरण विभाग द्वारा फसल अवशेषों को जलाने की प्रवृत्ति को सम्पूर्ण राज्य में प्रतिबंधित किया गया है इसलिये फसल अवशेषों से खाद बनाने व कृषि मशीनरी यथा हैपीसीडर, टर्बाेसीडर, थ्रेशर, जीरो सीडकम फर्टिलाइजर ड्रिल आदि के प्रयोग से अवशेषों को भूमि में ही उपयोग में लेवें जिससे भूमि में जीवांश की मात्रा बढती है, जल धारण क्षमता बढती है, लाभदायक जीव जैसे केंचुआ आदि की संख्या बढती है तथा पोषक तत्वों की उपलब्धता भी बढती है। फसल अवशेषों से कम्पोस्ट, वर्मीकम्पोस्ट खाद तैयार की जा सकती है जो कि खेती के लिये वरदान है। इस प्रकार कृषक भूमि सुधार के साथ साथ अधिक उपज ले सकता है।


फसल अवशेषों को जलाने वाले कृषकों के क्षेत्र की पहचान भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली द्वारा सैटेलाइट इमेजज के माध्यम से दैनिक मॉनीटिरिंग की जाती है। फसल अवशेषों को जलाने वाले के कृषकों के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही के रूप में 2 एकड से कम भूमि वाले कृषक पर 2 हजार 500 रूपये, 2 से 5 एकड भूमि वाले कृषकों पर 5 हजार व 5 एकड़ से अधिक भूमि वाले कृषकों पर 15 हजार रूपये तक का जुर्माने का प्रावधान है।