विनय एक्सप्रेस समाचार, भरतपुर। जिले में वर्षा की स्थिति को देखते हुए कृषकों द्वारा लगभग 3.90 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेंहू, जौ, सरसों, तथा चना की बुवाई एक साथ होने के कारण फसल में पहली सिंचाई के समय यूरिया देने के कारण उर्वरक की मांग बढ़ी है।
आत्मा परियोजना के पीडी योगेश शर्मा ने बताया कि जिला प्रशासन तथा कृषि विभाग द्वारा राज्य सरकार के माध्यम से यूरिया उर्वरक की निरंतर आपूर्ति के प्रयास किये जा रहे हैं जिसके फलस्वरूप जिले में निजी तथा सहकारी क्षेत्र में यूरिया उर्वरक की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध है तथा जिले में नवम्बर 2022 में यूरिया की 13 हजार मैट्रिक टन आपूर्ति हो चुकी है, तथा निरंतर प्रयास किया जा रहा है जिससे जिले में यूरिया की आपूर्ति बढी है लेकिन वर्तमान परिस्थितियों के कारण जिले में यूरिया की अचानक आई मांग को ध्यान में रखते हुए, किसानों को सुगमता से खाद उपलब्ध कराने के लिए कृषि विभाग के अधिकारी निरंतर रैक पॉइंट से लेकर विक्रेता तक पहुंचने की सूचना वाट्स एप समूह के माध्यम से फील्ड स्टाफ को नियमित उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने समस्त आदान विक्रेताओं के यहां स्थानीय कृषि पर्यवेक्षक तथा सहायक कृषि अधिकारियों की देखरेख में यूरिया उर्वरक किसानों को नियमानुसार वितरित कराया जा रहा है और उपलब्धता की सूचना सभी को निरंतर भेजी जा रही है। उन्होंने कृषकों को यूरिया उर्वरक आसानी से उपलब्ध हो सके, इसके लिए जिले भर के आदान विक्रेताओं का वाट्स एप समूह बनाया हुआ है जिसके माध्यम से हर दिन यूरिया की उपलब्धता और शेष बचे हुए स्टॉक की जानकारी ली जा रही है।
उन्होंने कृषकों से अपील है कि सभी कंपनियों द्वारा सप्लाई किए जाने वाले यूरिया उर्वरक की गुणवत्ता एक समान ही होती है, इसलिए कृषक कंपनी विशेष के यूरिया की मांग ना करते हुए, बाजार में उपलब्ध यूरिया को अपनी वर्तमान आवश्यकतानुसार खरीदें और अनावश्यक भंडारण नहीं करें। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग की सलाह, मिट्टी की जांच अथवा मृदा स्वास्थ्य कार्ड में की गई सिफारिश के आधार पर ही अपनी फसलों में यूरिया का प्रयोग करें।