प्रिया शर्मा की कृति ’विस्मृत कलम का अनहद-नाद लोकार्पण कार्यक्रम हुआ आयोजित

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। युवा लेखिका प्रिया शर्मा की कृति ‘विस्मृत कलम का अनहद-नाद’ का लोकार्पण आज स्थानीय टी.एन.ऑडिटोरियम ने हुआ। शिवबाड़ी स्थित लालेश्वर महादेव मंदिर के अधिष्ठाता विमर्शानंदजी महाराज के सानिध्य में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ रंगकर्मी, पत्रकार व साहित्यकार मधु आचार्य आशावादी ने की। मुख्य अतिथि नोखा विधायक बिहारीलाल बिश्नोई और विशिष्ट अतिथि साहित्यकार-पत्रकार हरीश बी.शर्मा थे।


विमर्शानंदजी महाराज ने इस अवसर पर कहा कि यह देश जब आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, उस समय नोखा जैसे ग्रामीण अंचल से इतनी महत्वपूर्ण कृति का आना एक महत्वपूर्ण घटना है। इस कृति में न सिर्फ आजादी की अलख जगाने वाले 75 कवि-कवयित्रियों की कालजयी रचनाएं हैं बल्कि अगर कहीं कुछ गलती रह गई है तो उसे भी सुधारकर सही कवि की सही कविता व गीत को सामने लाने का महती प्रयास हुआ है।


कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नोखा विधायक बिहारीलाल बिश्नोई ने कहा कि  उनके लिए यह व्यक्तिगत गौरव की बात है कि उनके विधानसभा क्षेत्र से एक बालिका ने बहुत ही कम उम्र में जो काम किया है, उसके बाद में हमारी जिम्मेदारी बढ़ गई है। हमारा प्रयास होगा कि यह किताब पाठ्यक्रम में शामिल की जाए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ रंगकर्मी पत्रकार व साहित्यकार मधु आचार्य ‘आशावादीÓ ने कहा कि जिन कविताओं की वजह से आजादी के आंदोलन में चेतना का काम किया, उन कविताओं का संकलन के रूप में आना आज की पीढ़ी के लिए सबसे बड़ा तोहफा है। आजादी के अमृत महोत्सव में हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हर बच्चे के पास यह किताब होगी।


कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि साहित्यकार-पत्रकार हरीश बी. शर्मा ने कहा कि  यह कृति एक संकल्प के साथ अभिव्यक्ति हुई है। प्रिया ने जो कार्य किया है, वह राष्ट्रीय स्तर का है और इसकी प्रतिष्ठा इसी रूप में होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में जब अनसंग हीरोज को सामने लाने का प्रयास हो रहा है तो यह इससे भी महत्वपूर्ण काम है, जिसमें आजादी के तराने लिखने वालों को सही नाम के साथ सामने लाने का प्रयास हुआ है।
अपने लेखकीय वक्तव्य में प्रिया शर्मा ने कहा कि पहले उनका कार्य ओज के स्वर लिए हुए राष्ट्रीय कवियों की रचनाओं का संकलन करना था, लेकिन जैसे-जैसे शोध किया तो बहुत सारी ऐसी जानकारियां सामने आई, जो चौंकाने वाली थी। एक कविता या गीत के दो-दो रचनाकार कैसे हो सकते हैं, इस विषय पर जब खोज की तब सही जानकारियों सामने आई, जिसे इस कृति के माध्यम से सामने रखा है।


लोकर्पित कृति पर पत्रवाचन करते हुए सुमेरसिंह बारहठ ने बताया कि आज तक हम जो पढ़ रहे हैं, उस की असलियत क्या है, इस कृति से निकलने पर पता चलता है। जैसे ‘कोशिश करने वालों की हार नहीं होती’ सोहनलाल द्विवेदी, ‘सरफरोशी की तमन्ना’ बिस्मिल अजीमाबादी, ‘जो भरा नहीं है भावों से’ कविता गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेहीÓ और ‘क्या हार में क्या जीत में’ गीत शिवमंगलसिंह  ‘सुमन’ की रचना है, जिसे हम दूसरे-दूसरों के नाम से पहचानते हैं।
प्रारंभ में स्वागत उद्बोधन साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत युवा कवि आशीष पुरोहित ने दिया। कार्यक्रम का संचालन कवयित्री-कथाकार ऋतु शर्मा ने किया। आभार आदर्श विद्या भारती के प्रधानाध्यापक मुरलीराम शर्मा ने स्वीकार किया। इस अवसर पर गायत्री प्रकाशन के प्रबंध संचालक गायत्री शर्मा ने प्रिया शर्मा का शॉल, स्मृति चिह्न और किताबों का सैट देकर सम्मानित किया।
कार्यक्रम में कांग्रेस नेता और रायसर से पूर्व सरपंच जितेंद्रसिंह रायसर, पूर्व महापौर नारायण चौपड़ा, भाजपा महिला मोर्चा अध्यक्ष सुमन छाजेड़, साहित्यकार अजय जोशी, इरशाद अजीज, योगेश व्यास ‘राजस्थानी’ राजभारती शर्मा, रवि माथुर, विनीता शर्मा, भूरमल सोनी, पुखराज सोनी, सत्यनारायण उपाध्याय, डॉ.विक्रम राजावत, भगवान उपाध्याय, किस्तुराराम मांझू, सुखदेव जोशी सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे।