अजित फाउण्डेशन जिला स्तरीय स्कूली शतरंज प्रतियोगिता का आगाज
विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। अजित फाउण्डेशन जिला स्तरीय स्कूली शतरंज प्रतियोगिता का उद्घाटन सम्भागीय आयुक्त बीकानेर तथा अध्यक्ष्स बार एसोशिएसन बीकानेर विवके शर्मा एवं सुप्रसिद्ध शतरंज प्रषिक्षक शंकरलाल हर्ष के कर कमलो द्वारा किया गया।
उद्घाटन अवसर पर कार्यक्रम अध्यक्ष्यता करते हुए नीरज के. पवन, सम्भागीय आयुक्त बीकानेर ने कहा कि शतरंज हमें जीवन जीने की कला सिखाती है। शतरंज से हम खेल के साथ जीवन में भी सफल होने का तरीका सीखते है। बच्चों को पाठ्य पुस्तकों के साथ-साथ इतिहास-कला एवं विज्ञान आदि विषयों की अन्य पुस्तके भी पढ़ने की आदत विकसित करनी चाहिए।
विवेक शर्मा, अध्यक्ष, बार एसोशिएसन बीकानेर ने बच्चों को सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में भागदौड़ के जीवन में बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद के लिए भी समय निकालना चाहिए ताकि मानसिक एवं शारीरिक विकास हो सके। ष्
कार्यक्रम के संयोजक एवं अन्तर्राष्ट्रीय प्रशिक्षक एवं खिलाड़ी शंकरलाल हर्ष ने बताया कि शतरंज को केवल खेल ही नहीं बल्कि जीवन का सर्वांगीण विकास करने वाला खेल बताया। उन्होंने कहा कि शतरंज पूर्ण अनुषासन का खेल है जिसमें बुद्धि को प्ररखा जाता है।
राजस्थान शतरंज संघ के उपाध्यक्ष एवं बीकानेर शतरंज संघ के सचिव अनिल बोड़ा ने कहा कि शतरंज का सीधा संबंध बच्चे के सर्वांगीण विकास से होता है एवं इसके माध्यम से गणना की प्रवृति भी बढ़ती है।
एडवोकेट राजेश राजपुरोहित ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में माता-पिता और विद्यालयों द्वारा बाल्यावस्था में ही बच्चों को मात्र पढाई करने के लिए दबाव दिया जा रहा है।
अजित फाउण्डेषन के समन्वयक संजय श्रीमाली ने अजित फाउण्डेशन की गतिविधियों पर प्रकाष डालते हुए कहा कि गत 18 वर्षों से संस्था द्वारा स्कूली शतरंज प्रतियोगिता का नियमित आयोजित किया जा रहा है। श्रीमाली ने बताया कि इस प्रकार की प्रतियागिता से आज शहर में शतरंज का माहौल बना है।
अजित फाउण्डेशन शतरंज प्रतियागिता में तीन श्रेणी में प्रतियोगिता आयोजित की गईं। बालक वर्ग में 38 टीमों के 114 खिलाड़ी, बालिका वर्ग में 10 टीमों के 10 खिलाड़ी एवं सीनीयर वर्ग में 4 टीमों के 12 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। आज बालक वर्ग में 4 राउण्ड, बालिका वर्ग में 4 राउण्ड तथा सीनीयर वर्ग में 3 राउण्ड खेले गये।
प्रतियोगिता के मुख्य निर्णायक राम कुमार रहे तथा सहायक निर्णायक में कपिल पंवार, ऊषा ओझा, हनी जोषी एवं भानू आचार्य रहे।