विनय एक्सप्रेस समाचार, पाली। अतिरिक्त जिला कलेक्टर प्रशासन श्री चंद्रभानसिंह भाटी ने कहा कि बाल विवाह सामाजिक बुराई ही नहीं, एक अभिशाप भी है। इसके दुष्प्रभाव नाबालिग दूल्हा-दुल्हन ही नहीं समाज को भी झेलने पड़ते हैं। पाली जिले में आगामी आखा तीज सहित अन्य मौकों पर संभावित बाल विवाहों की रोकथाम के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।
एडीएम श्री भाटी राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के दिशा-निर्देशों के अध्यधीन मंगलवार को जिला कलेक्टर के निर्देशन में आयोजित बाल विवाह रोकथाम संबंधित बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बाल विवाह उन्मूलन के लिए गंभीरता से काम कर रही है, इसी के परिणामस्वरूप 5वीं राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में बाल विवाहों में 40 फीसदी तक कमी आई है। अभी भी प्रदेश में आखातीज, पीपल पूर्णिमा सहित अन्य मौकों पर बाल विवाह होते हैं। उन्होंने पुलिस, आईसीडीएस, शिक्षा एवं श्रम सहित अन्य विभागों से साझा प्रयास करते हुए जिले में बाल विवाहों पर अंकुश लगाने के निर्देश दिए।
प्रारंभ में बाल अधिकारिता विभाग की सहायक निदेशक डॉ टीना अरोड़ा ने राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के दिशा-निर्देशों की जानकारी दी। एडीएम श्री भाटी ने बाल विवाह रोकथाम के लिए गांव, पंचायत, ब्लॉक एवं जिला स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए। जागरूकता कार्यक्रमों में आमजन के साथ ही विवाह समारोह के सर्विस प्रोवाइडर्स यथा टेंट व्यवसायी, कार्ड पब्लिशर, कैटरर्स, पंडित जी आदि को भी जोड़ते हुए कानूनी प्रावधानों से अवगत कराने को कहा। बैठक में जिला शिक्षाधिकारी माध्यमिक श्री राहुल राजपुरोहित, पुलिस उपाधीक्षक मंगलेश चूंडावत, सहायक निदेशक महिला एवं बाल विकास श्री राजेश कुमार एवं उपायुक्त श्रम श्री आसकरण मालवीय उपस्थित रहे।
शिकायत/सूचना पर हो त्वरित कार्रवाई
एडीएम श्री भाटी ने बाल विवाह की शिकायत या सूचना प्राप्त होने पर त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए। उन्होंने सभी उपखण्ड मजिस्ट्रेट, कार्यपालक मजिस्ट्रेट, पुलिस अधिकारियों, आईसीडीएस, बाल अधिकारिता, महिला अधिकारिता अधिकारियों को ऐसी किसी भी सूचना को गंभीरता से लेते हुए तुरंत एक्शन लेने की हिदायत दी।
ड्रॉपआउट बच्चों को पुनः जोड़ें विद्यालय से
विद्यालय से ड्रापआउट बच्चों के बाल विवाह अथवा बाल श्रम की सर्वाधिक आशंका रहती है। अतिरिक्त जिला कलेक्टर श्री भाटी ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को जिले भर के ड्राप आउट बच्चों की ब्लॉक वार सूची तैयार कर पुलिस, आईसीडीएस, श्रम व अन्य संबंधित विभागों से समन्वय करते हुए उन्हें ट्रेस करने तथा पुनः विद्यालय से जोड़ने के निर्देश दिए।