विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। आर्थिक चिंतक-विचारक और संपादक प्रोफेसर डॉ.अजय जोशी ने आम बजट के आर्थिक साक्षरता संबंधित प्रावधानों का स्वागत करते हुए कहा कि बजट में आर्थिक साक्षरता बढाने की दृष्टि से किये गए प्रावधान बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। बजट भाषण में वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा है कि आर्थिक साक्षरता बढाने हेतु गैर सरकारी संगठनों एवं संस्थाओं के माध्यम से विशेष कार्यक्रम चलाए जाएंगे।यह प्रावधान आज के दौर की डिजिटल इकॉनमी की दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।
बढ़ती ऑनलाइन फ़्रॉड की घटनाओं को रोकने के लिए डिजिटल आर्थिक साक्षरता बहुत जरूरी है। विनियोजको के लिए भी यह बहुत आवश्यक है। जानकारी के आभाव में आम निवेशकों के ऑनलाइन माध्यम से ठगे जाने की घटनाएं आम है और इनमें लगातार वृद्धि हो रही है।आर्थिक और वित्तीय साक्षरता विशेष रूप से महिलाओं के लिए भी बहुत जरूरी है।अनपढ़ ही नहीं बल्कि पढ़ी लिखी शहरी महिलाओं को भी बैंक और बीमा संबधित कार्यों की जानकारी नहीं होती। इस कारण वो न केवल बाहरी व्यक्तियों वरन परिवार के सदस्यों द्वारा भी धोखाधड़ी की शिकार हो जाती हैं।सेबी,स्टॉक एक्सचेंज एवं विभिन्न संस्थाओं और संगठनों द्वारा यद्यपि विगत वर्षों में इस दिशा में कुछ प्रयास किये जाते रहे हैं लेकिन इनके बहुत सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आये है। अब वित्त मंत्री की घोषणा के अनुरूप इस दिशा में गंभीर प्रयास किये जाने चाहिए ताकि आम जनता में अधिकाधिक वित्तीय जागरूकता विकसित हो सके।
साहित्यक प्रतिक्रिया : राजेंद्र जोशी
कवि -कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि राजस्थानी भाषा को संविधान की आंठवी अनुसूची में शामिल नहीं करना 12 करोड़ राजस्थानियों की भावना आहत हुई है। जोशी ने बजट में पाठ्येतर पुस्तकों के पठन की प्रवर्ती को बढ़ावा देने हेतु राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के माध्यम से पाठ्यक्रम से इतर विषयों पर हिंदी, अंग्रेजी और अन्य भारतीय भाषाओं में अधिकाधिक पुस्तकें प्रकाशित कर पुस्तकालयों और शिक्षण संस्थाओं के माध्यम से विद्यार्थियों तक पहुंचाने हेतु किये गए बजट प्रावधान स्वागत योग्य कदम है।इसके सही क्रियान्वयन से बच्चों में पुस्तकें पढ़ने की प्रवर्ती को बढ़ावा मिलेगा।यह आज बढ़ते डिजीटल युग में बच्चों का पुस्तकों की तरफ रुझान बढ़ाने की दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण है।