विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। राजस्थान संस्कृत अकादमी, पांडुलिपि संसाधन केन्द्र वैदिक हेरिटेज पाण्डुलिपि शोध संस्थान, जयपुर और श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ, सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को दो दिवसीय पाण्डुलिपि प्रशिक्षण कार्यशाला शनिवार को को साध्वीश्री चंदन बाला के सानिध्य में शुरू हुई। कार्यशाला में पांच दर्जन के करीब प्रशिक्षणार्थी हिस्सा ले रहे है।
रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में हुए कार्यशाला के उद््घाटन में साध्वीश्री चंदनबाला ने कहा कि प्राचीन संस्कृत व प्राकृत भाषा की पांडुलिपियां भारतीय संस्कृति की धरोहर है। इनका संरक्षण व संवर्द्धन करना सभी का नैतिक दायित्व है। बीकानेर का अभय जैन ग्रंथागार, राजस्थान राज्य अभिलेखागार शोधार्थी विद्यार्थियों के लिए प्रेरणादायक है। इनमें जो अनमोल खजाना है, उनका शोध व पुनर्लेखन करना आवश्यक है।
राजस्थान संस्कृत अकादमी की अध्यक्ष डॉ.सरोज कोचर ने कहा कि पांडुलिपियां साहित्य की धरोहर ही नहीं आत्मा है। ज्ञान के अनमोल भंडार है। अकादमी इनके संरक्षण व संवर्द्धन के हर प्रयास कर रही है। उन्होंने बताया कि पांडुलिपियों के संरक्षण, संवर्द्धन, पुर्न लेखन के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए यह कार्यशाला आयोजित की गई है। कार्यशाला में विशेषज्ञों ने पांडुलिपियों की भाषा, लिपियों, उसको पढ़ने के तरीकों आदि से अवगत करवाया जाएगा। अकादमी की ओर से अप्रेल माह में संस्कृत को रोजगारोन्मुखी बनाने, आमजन से जोड़ने के लिए पोर्टल शुरू किया जाएगा। पोर्टल के माध्यम से प्रतिभाओं को तलाश कर उन्हें तराशा जाएगा तथा कम्प्यूटर, पांडुलिपि संरक्षण, आभूषण व अन्य वस्तुओं के निर्माण, संस्कृत सम्भाषण आदि का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसका सम्पूर्ण कार्य अकादमी निदेशक संजय झाला के नेतृत्व में लगभग पूरा किया जा चुका है।
उन्होंने नाहटा चौक के अभय जैन ग्रंथागार में शुरू हुई कार्यशाला के प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि वे ईमानदारी, लगन व निष्ठा के साथ प्रशिक्षण प्राप्त करें। इस ग्रंथागार में संरक्षित व सुरक्षित करीब एक लाख पांडुलिपियों का पुनर्लेखन में सहभागी बनें। उन्होंने कहा कि कार्य में प्राथमिकता व ईमानदारी को कभी नहीं खोए, कार्य के प्रति विश्वास को कायम रखें।
मुख्य अतिथि समाजसेवी, सुश्रावक पवन बोथरा ने कहा कि जैन समाज पांडुलिपियों के संरक्षण व संवर्धन के लिए हमेशा आगे रहा है। संस्कृत अकादमी पांडुलिपियों में संग्रहित जैन आगमों के पुर्नलेखन आदि के कार्य के प्रशिक्षण की योजना बनाएंगा तो समाज पूर्ण सहयोग करेंगा।
डॉ.सरोज कोचर का श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट, विचक्षण महिला मंडल की सदस्याओं, श्राविकाओं, श्री खरतरगच्छ संघ के पन्नालाल खजांची, सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा, उपाध्यक्ष निर्मल पारख, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि समाजसेवी, सुश्रावक पवन बोथरा, प्रवीण बोथरा, भीखमचंद बरड़िया संयोजक समन्वयक ऋषभ नाहटा आदि ने सम्मानित किया। जयपुर के प्रशिक्षण समन्वयक डॉ.सुरेन्द्र कुमार शर्मा, प्रोफेसर रामदेव साहू, जय प्रकाश शर्मा, धर्मसंघ संस्कृत महाविद्यालय देवीकुंड सागर के आचार्य विशाल शर्मा, पंडित गायत्री प्रकाश शर्मा का भी दुपट्टा आदि से सम्मानित किया गया।