विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। शास्त्रीय संगीत मर्मज्ञ बहुआयामी प्रतिभा के धनी स्वर्गीय पंडित परमानंद जी जोशी की पुण्य स्मृति में मंगलवार को अंत्योदय नगर स्थित वीणा नृत्य अकैडमी और मानव चेतना जागृति प्रन्यास के तत्वाधान में शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम आयोजित किया कार्यक्रम की मुख्य अतिथि श्रीमती माधवी कलाल जी ने दीप प्रज्वलन किया और गुरुजनों को पुष्पांजलि अर्पित की तथा शास्त्रीय संगीत के प्रचार प्रसार हेतु छात्र छात्राओं को प्रेरित किया पंडित परमानंद जी जोशी की अर्धांगिनी श्रीमती गायत्री जोशी द्वारा सभी संगीत सीखने वाले विद्यार्थियों को आशीर्वाद दिया गया कार्यक्रम में जिसमें पंडित नवरत्न जोशी एवं तेजस जोशी द्वारा एकल तबला वादन एवं संगत दी गई कार्यक्रम में विदुषी श्रीमती प्रभा किराडू ने मालकोश राग में तराना एवं भजन प्रस्तुत किया कृष्ण कुमार जोशी ने राग यमन में विलंबित ख्याल प्रस्तुत किया एवं श्रीमती कामना पारीक ने राग बिहाग में में छोटा ख्याल जिसके बोल है मेरो मन अटकयो सुंदर ध्यान की सुंदर प्रस्तुति तानो सहित की सुश्री प्रशाली शर्मा ने राग बागेश्वरी में छोटा ख्याल प्रस्तुत किया जिसके बोल थे कौन करत तोरी विनती पियरवॉ सबसे कम उम्र की संगीत छात्राएं लविष्का और गरवी राठी ने भजन प्रस्तुत किया सितार के द्वारा शालु ब्यास रश्मि आचार्य एवं श्री अंकुर जी पुरोहित ने क्रमशः विलंबित गत और नगमा संगत की अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नृत्यांगना वीणा जोशी की छात्राओं ने कथक नृत्य में आमद गत निकास एवं सवाल जवाब इत्यादि प्रस्तुत किए कथक नृत्य प्रस्तुत करने वाले छात्राओं के नाम है युक्ति,वेदांशी,बरखा,अराध्या, साध्या,प्रीशा,हिमानी, दीक्षिता,मिष्टी,आयुषी, हर्षिता दीक्षा किराडू आगंतुकों का आभार व्यक्त किया और कार्यक्रम का संचालन प्रिया किराडू कार्यक्रम संयोजक आचार्य राजेंद्र जोशी ने इस अवसर पर यह बताया कि शीघ्र ही पंडित परमानंद जी जोशी के सभी प्रेमियों शुभचिंतकों साथ में काम करने वाले संगीतकारों के साथ में एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा शास्त्रीय संगीत गुरु शिष्य परंपरा में सीखना चाहता है उसके लिए किसी प्रकार का कोई भी शुल्क इत्यादि का बंधन पंडित शिवनारायण परमानंद जी जोशी फाउंडेशन के द्वारा नहीं रहेगा आचार्य राजेंद्र जोशी ने बताया गुरु शिष्य परंपरा ही वह मार्ग है जो समस्त भेदभाव और बंधनों से मुक्त है पंडित परमानंद जी जोशी से 40 वर्ष से जुड़े हुए ओमप्रकाश जी कपूर ने उनके साथ बिताए हुए क्षणों को याद किया और यह बताया कि मैंने इंसान के रूप में एक फरिश्ता देखा था वे थे हमारे परमानंद जी जोशी