विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। कला एवं संस्कृति मंत्री डाॅ. बी. डी. कल्ला ने कहा कि राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता शीघ्र मिले, इसके लिए सामूहिक प्रयास करने चाहिए। राजस्थानी सशक्त होने से हिंदी को और अधिक मजबूती मिलेगी।
कला एवं संस्कृति मंत्री ने सोमवार को पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के सभागार में राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सालीणा जळसा, पुरस्कार एवं सम्मान संमेळो (वार्षिक उत्सव, पुरस्कार एवं सम्मान समारोह) के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा कि राजस्थानी विश्व की पुरानी और समृद्धतम भाषाओं में है। इसमें प्रचुर साहित्य सृजन हुआ है। इसका शब्दकोष समृद्ध है तथा दुनिया भर में दस करोड़ से अधिक लोग इस भाषा को बोलते और समझते हैं। इसके बावजूद केन्द्र सरकार द्वारा अब तक इसे आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रत्येक राजस्थानी को आगे आना होगा और राजस्थानी भाषा के सम्मान के लिए पैरवी करनी होगी।
डाॅ. कल्ला ने कहा कि राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी प्रदेश की पहली और इकलौती अकादमी है, जो कला, साहित्य एवं संस्कृति के लिए कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि इस अकादमी के विकास में किसी प्रकार की कमी नहीं आने दी जाएगी। उन्होंने बताया कि अकादमी के ऑडिटोरियम एवं अन्य आवश्यकताओं के लिए जमीन आवंटन शीघ्र ही करवाया जाएगा। अकादमी के गत तीन वर्षों के पुरस्कार दिए जाने के लिए वांछित राशि उपलब्ध करवाने के लिए आवश्यक कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि अकादमी के रिक्त पदों को भरने, स्कूलों में राजस्थानी भाषा शिक्षकों के पद स्वीकृत करवाने, महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय में स्थाई राजस्थानी भाषा विभाग की स्थापना करवाने की दिशा में कार्य किया जाएगा।
राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के अध्यक्ष श्री शिवराज छंगाणी ने कहा कि अकादमी द्वारा राजस्थानी भाषा के विकास के लिए सतत प्रयास किए जा रहे हैं। कार्यकारिणी के मनोनयन के पश्चात राजस्थानी लेखकों को प्रकाशन के लिए सहायता और विभिन्न पुरस्कार दिए गए हैं। उपाध्यक्ष डाॅ. भरत ओला ने स्वागत उद्बोधन दिया और अकादमी की विभिन्न आवश्यकताओं के बारे में बताया। सचिव शरद केवलिया ने अकादमी का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इस दौरान मधु आचार्य ‘आशावादी’ और रामबक्ष जाट ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन हरीश बी. शर्मा ने किया। सम्मानित साहित्यकारों को शाॅल, श्रीफल, स्मृति चिन्ह आदि प्रदान किए गए।
इस दौरान विद्यासागर आचार्य, अकादमी कोषाध्यक्ष राजेंद्र जोशी, कार्यसमिति सदस्य कृष्णकुमार आशु, घनश्याम नाथ कच्छावा, डॉ. सुरेश साल्वी, शारदा कृष्ण, दिनेश पंचाल, सुखदेव राव, अंबिका दत्त, देवकरण जोशी, गौरीशंकर प्रजापत, बसंती पंवार, मंगत बादल, मालचंद तिवारी, जेबा रशीद, सत्यप्रकाश आचार्य, नवनीत पांडे, संजय पुरोहित, दिनेश सक्सेना, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सहायक निदेशक हरिशंकर आचार्य, शंकर सिंह राजपुरोहित, डाॅ एस एन हर्ष, पृथ्वीराज रतनू, इंद्र छंगाणी, सुशील छंगाणी, शालिनी कल्ला, श्रीनिवास थानवी, राजेन्द्र भार्गव, नितिन गोयल, कान सिंह, मनोज मोदी, खुशबू छंगाणी, आदित्य व्यास सहित अनेक साहित्यकार एवं साहित्य प्रेमी मौजूद थे।
इन्हें दिए गए पुरस्कार
वर्ष 2022-23 के लिए सूर्यमल्ल मीसण शिखर पुरस्कार (पद्य) बीकानेर के मधु आचार्य आशावादी कोे, गणेशीलाल व्यास उस्ताद पद्य पुरस्कार बारां के मूल निवासी ओम नागर को, शिवचंद भरतिया गद्य पुरस्कार बीकानेर के कमल रंगा को व मुरलीधर व्यास राजस्थानी कथा साहित्य पुरस्कार अलवर के डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी को दिया गया। बावजी चतर सिंह अनुवाद पुरस्कार लूणकरणसर के राजूराम बिजारणियां को, सांवर दइया पैली पोथी पुरस्कार भीलवाड़ा के मोहन पुरी को, जवाहरलाल नेहरू राजस्थानी बाल साहित्य पुरस्कार रायसिंहनगर की किरण बादळ को, प्रेमजी प्रेम राजस्थानी युवा लेखन पुरस्कार लूणकरणसर के देवीलाल महिया को, राजस्थानी महिला लेखन पुरस्कार बीकानेर की डॉ. कृष्णा आचार्य को, रावत सारस्वत राजस्थानी साहित्यिक पत्रकारिता पुरस्कार ‘राजस्थली’ पत्रिका श्रीडूंगरगढ़ (सं. श्याम महर्षि) को दिया गया।
इसी प्रकार भतमाल जोशी महाविद्यालय पुरस्कार प्रथम स्थान प्राप्त बीकानेर के छात्र योगेश व्यास को व द्वितीय स्थान प्राप्त फालना निवासी अभिमन्यु सिंह इंदा को प्रदान किया गया। मनुज देपावत पुरस्कार प्रथम स्थान प्राप्त बीकानेर के छात्र अरमान नदीम को व द्वितीय स्थान प्राप्त महाजन निवासी कल्पना रंगा को दिया गया।
राजस्थानी भाषा सम्मान अजमेर के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. चन्द्रप्रकाश देवल को, राजस्थानी साहित्य सम्मान जोधपुर के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अर्जुन देव चारण को, राजस्थानी संस्कृति सम्मान बीकानेर के डाॅ. ब्रजरतन जोशी को व राजस्थानी प्रवासी साहित्यकार सम्मान मुंबई के डाॅ. रामबक्ष को प्रदान किया गया। आगीवाण सम्मान प्रदेश के 14 वरिष्ठ साहित्यकारों को अर्पित किया गया, इनमें नंदकिशोर शर्मा (जैसलमेर), मेहरचंद धामू (परलीका, हनुमानगढ़), चांदकौर जोशी (जोधपुर), दीनदयाल ओझा (जैसलमेर), सोहनदान चारण (जोधपुर), भोगीलाल पाटीदार (डूंगरपुर), भंवरलाल भ्रमर (बीकानेर), गौरीशंकर भावुक (तालछापर, सुजानगढ़), पुरुषोत्तम पल्लव (उदयपुर), श्याम जांगिड़ (चिड़ावा, झुंझुनूं), गोपाल व्यास (बीकानेर), मुकट मणिराज (कोटा), बिशन मतवाला (बीकानेर), उपेन्द्र अणु (ऋषभदेव, उदयपुर) शामिल रहे।
अकादमी पुस्तकालय को भेंट की पुस्तकें– समारोह के दौरान पद्मश्री डाॅ. सी. पी. देवल ने अकादमी पुस्तकालय के लिए स्वलिखित 40 पुस्तकें निशुल्क प्रदान कीं। डाॅ. कल्ला ने कहा कि ये पुस्तकें शोधार्थियों व आम पाठकों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होंगी।