विनय एक्सप्रेस समाचार, अजमेर। सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 812वें उर्स का झंडा सोमवार शाम दरगाह के बुलंद दरवाजे पर चढ़ाया जाएगा।
भीलवाड़ा का गौरी परिवार यह रस्म अदा करेगा। उर्स विधिवत रूप से रजब का चांद दिखाई देने पर शुरू होगा। इससे पहले सोमवार को ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह के बुलंद दरवाजे पर भीलवाड़ा के लाल मोहम्मद गौरी के पोते फखरूद्दीन झंडा चढ़ाने की रस्म अदा करेंगे।
झंड़ा चढ़ाने की रस्म के साथ उर्स की औपचारिक शुरुआत हो जाएगी। ढोल-ताशे के बीच दरगाह गेस्ट हाउस से झंडे का जुलूस निकाला जाएगा। शाही कव्वाल कलाम पेश करते चलेंगे। उर्स का झंडा विभिन्न मार्गों से होकर निजाम गेट, शाहजहांनी गेट होते हुए बुलंद दरवाजे तक पहुंचेगा। यहां गौरी परिवार झंडे को चढ़ाने की रस्म अदा करेगा।
25 तोपों की सलामी होगी
जुलूस के दरगाह गेस्ट हाउस से शुरू होकर लंगरखाना गली व निजाम गेट होते हुए बुलंद दरवाजा तक पहुंचने के दौरान सूफीयाना कलाम व 25 तोपों की सलामी होगी। इस साल उर्स में 2.50 से 3.50 लाख जायरीन के उर्स में शामिल होने की उम्मीद की जा रही है। उर्स का झंडा तैयार हो चुका है। पुष्कर रोड अद्वैत आश्रम स्थित ओमप्रकाश वर्मा और उनके पुत्र सुभाषचंद्र का परिवार 70 साल से झंडा तैयार कर रहे हैं। पहले ओमप्रकाश के पिता गणपतलाल फलोदिया झंडे की सिलाई करते थे।
फैक्ट फाइल
75 फीट ऊंचा है बुलंद दरवाजा
14-15वीं शताब्दी में खिलजी वंश ने कराया था निर्माण
500 साल पुराना है बुलंद दरवाजा.