विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। मुक्ति संस्था,बीकानेर के तत्वावधान में तीसरा पोकरमल राजरानी गोयल राजस्थानी कथा साहित्य पुरस्कार समारोह देर शाम होटल राजमहल में आयोजित हुआ।
इस दौरान कथाकार-आलोचक डाॅ. मदन सैनी को उनके राजस्थानी कहानी संग्रह आस-औलाद और जयपुर की उपन्यासकार प्रेमलता सोनी को उनके राजस्थानी कहानी संग्रह रावणखंडी के लिए पुरस्कार अर्पित किया गया। दोनों को पुरस्कार स्वरूप शॉल, साफा, श्रीफल और अभिनंदन पत्र के अलावा ग्यारह-ग्यारह हजार रुपए दिए गए।
समारोह की मुख्य अतिथि डीन गृह विज्ञान महाविद्यालय राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय डॉ. विमला ढुकवाल थी एवं समारोह की अध्यक्षता शिक्षाविद-आलोचक डॉ. उमाकांत गुप्त ने की.
मुख्य अतिथि प्रोफेसर मेघवाल ने कहा कि राजस्थानी लेखकों को प्रोत्साहित करना अच्छी परंपरा है। इससे नए लेखकों को प्रेरणा मिलेगी और राजस्थानी साहित्य सृजन में विविधता और परिपक्वता आएगी।
अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद-आलोचक डाॅ.उमाकांत गुप्त ने कहा कि राजस्थानी भाषा साहित्य और संस्कृति के पेटे आधारभूत कार्य के उपक्रम में मुक्ति द्वारा साहित्य साधना के जीवन्त तपस्वी श्री मदन सैनी और प्रेमलता सोनी को पोकरमल राजरानी गोयल स्मृति पुरस्कृत किया जाना साहित्य की मानवतावादी अभिप्रेत और आदर्शों के प्रोत्साहन और सम्प्रेरणा का शानदार उदाहरण है। गुप्त ने कहा कि संस्थान का सामाजिक – सांस्कृतिक विवेक के उन्नयन का सार्थक प्रयास है। उन्होंने कहा कि साहित्य ही छलनाओं से लड़ने, मुश्किलों से टकराने तथा संयम का आइना बनकर समाज की पहचान का सही आधार बनता है।
युवा उद्यमी एवं कार्यक्रम समन्वयक डाॅ.नरेश गोयल ने स्वागत उद्बोधन दिया। उन्होंने पोकरमल राजरानी गोयल चैरिटेबल ट्रस्ट के बारे में जानकारी दी।
मुक्ति संस्थान के सचिव कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कार्यक्रम की रूपरेखा के बारे में बताया। जोशी ने बताया कि पुरस्कार के लिए देश भर के विभिन्न राज्यों से 19 पुस्तकें प्राप्त हुई। चयन समिति द्वारा इनमें से दो पुस्तकों का चयन किया गया।
उन्होंने कहा कि ने कहा कि गत दशक में राजस्थानी साहित्य सृजन में आमूलचूल इजाफा हुआ है। जोशी ने कहा कि राजस्थानी भाषा की मान्यता के दृष्टिकोण से अच्छे संकेत हैं। उन्होंने कहा कि आज के राजस्थानी लेखक प्रयोग धर्मी हैं, इससे लेखन की गहराई में और इजाफा हुआ है।
कार्यक्रम में पुरस्कार प्राप्त लेखक डाॅ.मदन सैनी और प्रेमलता सोनी ने अपनी रचना प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया।
इस दौरान जयचंद लाल सुखाणी ने पोकरमल-राजरानी गोयल के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विचार व्यक्त किए। वहीं डाॅ.मदन सैनी और प्रेमलता सोनी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर डॉ. नमामी शंकर आचार्य और राजाराम स्वर्णकार ने विचार व्यक्त करते हुए अभिनंदन पत्रों का वाचन किया। कार्यक्रम का संचालन कवियत्री-आलोचक डाॅ.रेणुका व्यास ने किया। कार्यक्रम में एडवोकेट हीरालाल हर्ष, सुरेश कुमार गोयल, राजेश गोयल, परवेश गोयल,महावीर इंटरनेशनल के पूर्व अध्यक्ष पूर्णचंद राखेचा,एडवोकेट महेंद्र जैन, मधु आचार्य, वरिष्ठ वैज्ञानिक एस.सी.मेहता, कल्याणमल सुथार,
एडवोकेट ओम भदानी, कमल रंगा, पृथ्वीराज रतनू, विजय गहलोत, जाकिर अदीब, पूनमचंद सुराणा, कल्याणमल सुथार, संजय कोचर, बृजमोहन अग्रवाल ,गजेंद्र सिंह राठौड़, जगदीश रत्नू, अविनाश व्यास, हरीश बी शर्मा, मुकेश पॉपली, डॉ गौरी शंकर प्रजापत, चित्रकार योगेंद्र पुरोहित, संजय जनागल, नरसिंह बिनानी,डॉ. गौरीशंकर प्रजापत, एन.डी. रंगा मेघराज बोथरा, खूमराज पंवार, दिनेश चूरा, रवि आचार्य ,रवि पुरोहित, मनीष जोशी, मोइनुद्दीन कोहरी, गुलाम मोईनुद्दीन माहिर, आशा जोशी, नवनीत पांडे, शंशाक शेखर जोशी, इरशाद अजीज, असद अली असद, इसरार हसन कादरी सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे। आगंतुकों का आभार व्यंगकार-सम्पादक डॉ. अजय जोशी ने जताया।