विनय एक्सप्रेस समाचार, अजमेर। राजस्थान में नामांतरण, बंटवारे, रास्ता विवाद ,घोषणात्मक दावे सहित विविध आयामी राजस्व प्रकरणों में त्वरित न्याय की आस लगाये बैठे कृषक समुदाय को राहत प्रदान करने के लिये राजस्व न्यायालयों की कार्यप्रणाली में सुधार हेतु राजस्व मंडल स्तर से कई नवाचारी गतिविधियों एवं प्रभावी कदमों ने राज्य की राजस्व न्याय व्यवस्था की फिजां बदली है।
राजस्व मंडल अध्यक्ष राजेश्वर सिंह के मंडल का दायित्व संभालने के साथ ही राजस्थान के राजस्व न्यायालयों में गुणवत्तापूर्ण, त्रुटिविहीन एवं पूर्ण विधिसम्मत रूप से निर्णय पारित किये जाने को लेकर राजस्व मंडल स्तर से विगत तीन वर्ष के काल खंड में उठाये गये कारगर कदमों से निर्णय लेखन व न्यायिक प्रक्रिया में सापेक्ष सुधार देखने को मिला है।
निर्णय लेखन कार्यशालाओं में दी न्यायिक कार्यप्रणाली की सीख
राजस्व मंडल स्तर से अधीनस्थ राजस्व न्यायालयों में संभाग स्तर से लेकर उपखंड स्तर तक के अधिकारियों की विविध स्तरीय कार्यशालाएं आयोजित की गई जिनमें निर्णयों के आधारभूत तत्वों एवं विधिक प्रावधानों, नियम एवं विनियमों पर गहन चर्चाएं, वैचारिक आदान-प्रदान, तकनीकी सत्रों में पीठासीन अधिकारियों ने विषय विशेषज्ञों के माध्यम के निर्णय के मूलभूत पहलुओं को समझा और जाना।
सर्वश्रेष्ठ निर्णय लेखन प्रतियोगिताओं से निर्णयों की परख
पीठासीन अधिकारियों के माध्यम से प्रतिवर्ष पारित किए जाने वाले न्यायिक प्रकरणों की गुणवत्ता जांचने को लेकर पीठासीन अधिकारियों से ही अपने स्तर से पारित निर्णयों में से सर्वश्रेष्ठ निर्णय का चयन कर उन्हें राजस्व मण्डल में सर्वश्रेष्ठ निर्णय लेखन प्रतियोगिता में शामिल करवाया गया। निर्णयों के विविध पहलुओं यथा भाषा, तनकी, साक्ष्य, त्रुटिविहीनता, समुचित विधिक आधार, तथ्य, उद्धरणों का विषय विशेषज्ञों से परीक्षण करवाते हुए राज्य, संभाग एवं जिला स्तरीय पुरस्कार के लिए चुना गया। इन तीन वर्षों में संबंधित पीठासीन अधिकारियों को राज्य स्तरीय समारोह में प्रशस्ति पत्र एवं प्रतीक चिन्ह से सम्मानित भी किया गया।
राज्य स्तरीय निबंध लेखन प्रतियोगिता
राजस्व नियमों एवं न्यायालयों की कार्यप्रणाली में गुणात्मक सुधार हेतु सुझावों को लेकर मंडल स्तर से तीन वर्षों के दौरान प्रतिवर्ष पांच वर्गों की निबन्ध लेखन प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। इनमें आईएएस, आरएएस, राजस्व अधिकारी/कर्मचारी, अधिवक्ता एवं आम नागरिक श्रेणी से लेखकों ने उत्साहपूर्ण भागीदारी निभायी। रचनाओं में दीर्घ अनुभव प्राप्त लेखकों ने उपयोगी सुझाव प्रदान किये। इन रचनाओं का भी राजस्व मण्डल स्तर से गठित समिति ने मूल्यांकन कर प्रत्येक श्रेणी से प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान के लिए चयन कर उन्हें राजस्व मण्डल स्तर से राज्य स्तरीय समारोह में सम्मानित किया भी गया।
न्यायिक प्रक्रिया में सुधार हेतु मंडल का मार्गदर्शन
राजस्व मण्डल के स्तर से न्यायिक प्रक्रिया में सुधार के लिए समय-समय पर राज्य के अधीनस्थ राजस्व न्यायालयों को परिपत्र जारी कर दिशा निर्देश प्रदान किये गये। इन परिपत्रों में समयबद्धता, नियमों की पूर्ण पालना एवं न्यायिक प्रकरण निस्तारण के लिए आवश्यक एवं निर्णय के मूलभूत तत्वों का विस्तार से उल्लेख किया गया। इसी प्रकार पुलिस अन्वेषण के प्रयोजन से मंडल अथवा अधीनस्थ राजस्व न्यायालय की पत्रावली तलब किये जाने की स्थिति में राजस्व न्यायालयों की व्यवस्था निर्बाध बनाये रखने संबंधी कारगर प्रक्रिया भी अपनायी गयी।
अन्य राज्यों की कार्यप्रणाली का अध्ययन
राज्य में राजस्व न्यायालयों की कार्यव्यवस्था को अधिक सुदृढ़ बनाने, प्रकरणों के त्वरित निस्तारण एवं प्रशासनिक ढांचे में सुधार को लेकर राजस्व मंडल स्तर से सदस्यों को मनोनीत कर देश के अन्य राज्यों की न्यायिक कार्यप्रणाली का अध्ययन कराया गया। उत्तरप्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब उत्तराखंड एवं ओडिशा राज्यों की विविधस्तरीय कार्यप्रणाली यथा कोर्ट केस मेनेजमेन्ट सिस्टम, प्रशासनिक एवं न्यायिक व्यवस्था में सुधार संबंधी नवाचारों, न्यायालयों की गुणवत्ता में सुधार आदि के संबंध में तैयार विस्तृत रिपोर्ट के आधार पर महत्वपूर्ण प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भिजवाये गये हैं।
जीसीएमएस से प्रकरणों का पंजीयन
मंडल स्तर से जनरलाइज्ड कोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम के तहत जीसीएमएस पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन राजस्व प्रकरण दर्ज कराने की विशेष सुविधा उपलब्ध कराई गई, जिससे अभिभाषक किसी भी स्थान से इन्टरनेट का उपयोग करते हुए प्रकरण दर्ज कर पंजीयन हेतु राजस्व मण्डल को अग्रेषित कर सकते हैं।
ई समन व वर्चुअल हियरिंग भी प्रस्तावित
मंडल स्तर से जीसीएमएस पोर्टल से ई समन की सुविधा भी आरंभ करने की महत्वपूर्ण कार्ययोजना प्रस्तावित है इसमें वादी एवं प्रतिवादी को जीसीएमएस पोर्टल के जरिये ऑनलाइन नोटिस भेजे जायेंगे तथा उनकी तलबी रिपोर्ट भी ऑनलाइन ही प्राप्त हो सकेगी। इससे समय एवं श्रम दोनों की बचत होगी व न्यूनतम समय में पूर्ण सुरक्षित ढंग से नोटिस तलब किये जा सकेंगे।
इसी प्रकार जीसीएमएस पोर्टल के जरिये वर्चुअल हियरिंग की सुविधा उपलब्ध कराया जाना भी प्रस्तावित है। इस सुविधा से काॅजलिस्ट बनाते समय प्रत्येक प्रकरण अनुसार संबंधित अभिभाषक को व्यक्तिशः मोबाइल मैसेज अथवा ई मेल के जरिये वीडियो कान्फ्रेसिंग लिंक (मीटिंग आईडी) भेजी जायेगी। लिंक क्लिक कर कम्प्यूटर, लेपटाॅप अथवा स्मार्टफोन के जरिए न्यायालय, पक्षकार व अभिभाषक को जोड़कर प्रकरणों की ऑनलाइन सुनवाई किया जाना संभव होगा।
तीन वर्षों में 3.99 लाख प्रकरण निस्तारित
विगत तीन वर्षों के दौरान राजस्व मण्डल सहित राज्य के संभागीय आयुक्त, अतिरिक्त संभागीय आयुक्त, राजस्व अपील अधिकारी, भू प्रबन्ध अधिकारी पदेन राजस्व अपील अधिकारी, जिला कलक्टर, अतिरिक्त जिला कलक्टर, उपखण्ड अधिकारी, सहायक कलक्टर, सहायक कलक्टर (फास्ट ट्रेक), उपनिवेशन, तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार आदि अधीनस्थ राजस्व न्यायालयों के माध्यम से लगभग 4 लाख से अधिक राजस्व प्रकरणों का निस्तारण किया जा सका। मंडल अध्यक्ष के स्तर से समय-समय पर आयोजित बैठकों एवं वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग में प्रकरणों की प्राथमिकता निर्धारित करते हुए उनके त्वरित निस्तारण के आदेश भी प्रदान किये गए।
लोक अदालतों से मिली राहत
राजस्व मण्डल में एक और नवाचार के तहत पक्षकारों को त्वरित न्याय सुलभ कराने की दिशा में लोक अदालतें लगाने की व्यवस्था की गई। वर्ष 2022 से लेकर अब तक कुल नौ लोक अदालतें लगायी जाकर कुल 910 प्रकरणों का निस्तारण किया गया। लोक अदालतों की सफलता के लिये अध्यक्ष श्री राजेश्वर सिंह ने स्वयं पूर्व बैठकें लेकर राजस्व बार-बैंच के बीच परस्पर समन्वय स्थापित किया।
ऑनलाइन कार्य से राह हुई आसान
राजस्व मण्डल में प्रशासनिक कार्यों के शीघ्र सम्पादन के मद्देनजर ई-फाइल कार्य को पूर्ण प्राथमिकता से लागू किया गया। ई-फाइल प्रणाली से सभी दस्तावेज सुरक्षित, समयबद्धता एवं पारदर्शिता से भेजना और मंगवाना संभव हो पा रहा है। मंडल में अब तक 30448 फाइल्स ऑनलाइन की जा चुकी है।
इसी क्रम में राज्य में डीआईएलआरएमपी (डिजिटल इंडिया लैण्ड रिकाॅर्ड्स माडर्नाइजेशन प्रोग्राम) के तहत जमाबंदी का सेग्रीगेशन (पृथक्करण) खसरा नक्शों का डिजिटलाइजेशन करते हुए सभी तहसीलों को ऑनलाइन करवाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत अब तब राज्य की 426 में से 420 तहसीलें ऑनलाइन होकर कार्य कर रही हैं।
प्रदेश में नवीन राजस्व इकाइयों का सृजन
राजस्थान में प्रशासनिक सेवाओं की आमजन तक पहुंच को सहज व सुगम बनाने की दिशा में नवीन राजस्व ग्राम इकाइयों के गठन की स्वीकृति दी गई। इनमें विगत तीन वर्षों के दौरान तीन संभागीय आयुक्त, 17 जिला कलक्टर, 14 अति. जिला कलक्टर, 30 उपखण्ड, 87 तहसील व 126 उप तहसील कार्यालयों के साथ ही 1162 नवीन राजस्व ग्रामों के सृजन की अधिसूचनाएं जारी की गईं।
पदोन्नतियां एवं नियुक्तियां
राजस्व मंडल स्तर से अधिकारियों एवं कर्मचारियों को पदोन्नतियों का समय पर लाभ दिलाने को लेकर नियमित रूप से पदोन्नति समिति की बैठकें आयोजित की गई। जिसमें विगत तीन वर्षों मेें 311 तहसीलदार तथा नायब तहसीलदार के पद पर 82 कार्मिकों को पदोन्नत किया गया। राज्य के 1088 पटवारियों को भू अभिलेख निरीक्षक के पद पर, तहसील राजस्व लेखाकार से सहायक राजस्व लेखाधिकारी ग्रेड-।। पर पर 28 तथा सहायक राजस्व लेखाधिकारी ग्रेड।। से सहायक राजस्व लेखाधिकारी ग्रेड-। के पदों पर 14 कार्मिकों को पदोन्नति प्रदान की गई। वहीं मंडल व मंडल के अधीनस्थ कार्यालयों में मंत्रालयिक संवर्ग के विभिन्न 233 कार्मिकों तथा निजी सहायक से वरिष्ठ निजी सचिव स्तर तक के 17 पदों पर पदोन्नतियां प्रदान की गई।
आलोच्य अवधि में नायब तहसीलदार के पद पर 139 को चयन एवं प्रशिक्षण प्रक्रिया पूर्ण करवाते नियुक्ति प्रदान की गई वहीं 111 नायब तहसीलदारों को 2 वर्ष के परिवीक्षा काल के तहत नियुक्ति प्रदान की गई। इस अवधि में 5600 नए पटवारियों की भर्ती एवं प्रशिक्षण प्रक्रिया पूर्ण करवाते हुए नियुक्ति प्रदान की गई। इसी प्रकार नायब तहसीलदारों की सीधी भर्ती हेतु 292 पदों की अर्थना मंडल स्तर से राजस्व विभाग भिजवाना, वहीं 1963 नए पटवारियों की भर्ती के लिये अर्थना राजस्थान अधीनस्थ एवं मंत्रालयिक सेवा चयन बोर्ड को भिजवाना भी उल्लेखनीय है। राज्य में नए 90 तहसील राजस्व लेखाकारों की भर्ती प्रस्तावित है जिसमें 40 पदों के लिये वित्तीय स्वीकृति सरकार से मिल चुकी है।