वैज्ञानिक भेड़ एवं बकरी पालन से उद्यमिता विकास पर सात दिवसीय प्रशिक्षण प्रारम्भ

कौशल विकास और तकनीक अपनाने पर विशेष ध्यान दें पशुपालक- डॉ अरुण कुमार

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। वैज्ञानिक तरीकों से भेड़ एवं बकरी पालन के माध्यम से उद्यमिता विकास विषय पर सात दिवसीय प्रशिक्षण मंगलवार को स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में प्रारम्भ हुआ। मानव संसाधन विकास विभाग सभागार में आयोजित प्रशिक्षण के उद्घाटन सत्र में कुलपति डॉ अरुण कुमार ने कहा कि वैज्ञानिक तरीकों से भेड़ एवं बकरी पालन के माध्यम से उद्यमिता विकास की व्यापक संभावनाएं हैं। वैज्ञानिक तरीकों को अपना कर न केवल आय के अतिरिक्त स्रोत सृजित किये जा सकते हैं, बल्कि स्वरोजगार सृजन में भी यह महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। डॉ अरुण कुमार ने कहा कि किसानों और पशुपालकों को तकनीक और अनुसंधान का अधिकतम लाभ मिले, इसके लिए विश्वविद्यालय द्वारा नियमित रूप से प्रशिक्षण आयोजित किया जा रहे हैं। पशुपालक प्रशिक्षण लेकर उचित स्थानीय नस्ल का चयन करें। ब्रीडिंग, बीमारी से बचाव आदि पर ध्यान देने के साथ मार्केटिंग स्किल सीखें।

उन्होंने प्रशिक्षण के दौरान विपणन, प्रोजेक्ट फॉरमेशन सहित विभिन्न प्रायोगिक जानकारियां देने की बात कही।उन्होंने पशुपालकों को प्रशिक्षण का अधिकतम लाभ लेते हुए अन्य लोगों को भी इससे जोड़ने का आह्वान किया।

विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार देवाराम सैनी ने कहा कि जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए किसानों को खेती के साथ-साथ पशुपालन और इससे उद्यमिता विकास की दिशा में आगे बढ़ना होगा। बढ़ती जनसंख्या की दूध और दुग्ध उत्पादों की आवश्यकता पूरी करने में उद्यमिता विकास एक सकारात्मक पहल है। इस क्षेत्र में व्यापक उद्यमिता विकास से मिलावटीखोरी पर अंकुश में सहयोग के साथ पशुपालक राष्ट्रहित में भी बड़ा योगदान दे सकते हैं। सैनी ने कहा कि प्रशिक्षण में युवा पीढ़ी का आगे आना संतोषजनक है। उन्होंने कहा कि भेड़ और बकरी के पोषण प्रबंधन में वैज्ञानिक तरीके अपनाएं , प्रशिक्षण के दौरान गंभीरता से सीखे और अन्य लोगों को भी प्रेरित करें।

वित्त नियंत्रक पवन कस्वां ने पशुपालकों को खेती के अतिरिक्त आय सृजित करने के लिए भेड़ एवं बकरी पालन के माध्यम से उद्यमिता विकास से जुड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पश्चिमी राजस्थान में पशुपालन आजीविका का अहम जरिया रहा है। पशुओं को बीमारियों से बचाव के साथ-साथ विपणन और तकनीक हस्तानांतरण जैसे बिंदुओं को प्रशिक्षण का मुख्य हिस्सा बनाया जाए। छात्र कल्याण निदेशक डॉ एन एस दहिया ने स्वागत उद्बोधन दिया और प्रशिक्षण की रुपरेखा बताई। उन्होंने कहा कि इस प्रशिक्षण के जरिए किसानों को खेती के साथ भेड़ और बकरी पालन के वैज्ञानिक तरीकों से परिचित करवाया जाएगा। प्रायोगिक जानकारियां दी जाएगी तथा विषय विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान दिये जाएंगे। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण में राजस्थान, पंजाब झारखंड सहित आठ राज्यों के पशुपालक हिस्सा ले रहे हैं।

प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ नीना सरीन ने पशुपालकों को प्रशिक्षण से सीखे ज्ञान का उपयोग करने की अपील की। मानव संसाधन विकास निदेशक डॉ दीपाली धवन ने धन्यवाद ज्ञापित किया। श्रीगंगानगर के रावला से मनोज कुमार , पंजाब से चमकौर सिंह तथा अविनाश गुर्जर ने अपने अनुभव साझा किए। इस दौरान भू-राजस्व एवं सदृश्यता निदेशक डॉ दाताराम, सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ विमला डुकवाल, डा एच एल देशवाल, अनुसंधान निदेशक डॉ विजय प्रकाश सहित अन्य अधिष्ठाता और निदेशक सहित पशुपालक उपस्थित रहे।