नव वर्ष 2025 में कैसे रहेगा आपका स्वास्थ्य राशिफल, पढ़िए डॉ. आलोक व्यास का ज्योतिषिय आलेख

विनय एक्सप्रेस ज्योतिष आलेख, नई दिल्ली। स्वास्थ्य केवल रोग या दुर्बलता की अनुपस्थिति नहीं है बल्कि दैहिक, मानसिक और सामाजिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ होना ही स्वास्थ्य है।जैसे कहा गया है “पहला सुख निरोगी काया“ अतः जीवन में अनुकूल स्वास्थ्य सबसे बड़ी संपत्ति होती है। जन्म कुंडली में लग्न,चतुर्थ,षष्ठम अष्टम एवं द्वादश भाव तथा इनके भाव अधिपति की स्थिति व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को दर्शाता है। जातक का संपूर्ण स्वास्थ्य जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति, दशा महादशा, जातक की आयु,विशेषयोग, खानपान व जीवनशैली आदि पर भी निर्भर करता है। वर्ष 2025 में बृहस्पति, शनि, राहु, केतु एवं मंगल की स्थिति के कारण विभिन्न राशियों में निम्नलिखित स्वास्थ्य समस्याएं अथवा दैनिक क्रियाकलाप की क्षमता में उतार-चढ़ाव परिलक्षित हो सकता है। सात्विक भोजन, नियमित व्यायाम, ध्यान व प्राणायाम इत्यादि से राशिजन्य शारीरिक कष्ट या पीड़ा के प्रभाव को सीमित अथवा समाप्त किया जा सकता है।

मेष : वाणी अथवा नेत्र दोष, हृदय संबंधी परेशानी, पैर अथवा टखने की समस्या, प्रथम छमाही में दैनिक क्रियाकलाप में अड़चन, त्वचा रोग। सात्विक भोजन, नियमित व्यायाम व हनुमान उपासना या मंगलवार को व्रत से लाभ।

वृषभः श्वसन संबंधी विकार, आमाशय संबंधी परेशानी, घुटने संबंधी पीड़ा मानसिक कष्ट, अनुकूल दैनिक क्रियाकलाप। ध्यान, प्राणायाम तथा देवी उपासना या शुक्रवार को व्रत से लाभ।

मिथुनः दंत पीड़ा, मन में बेचैनी, मानसिक कष्ट ,हृदय संबंधी विकार, घुटने से संबंधित समस्या, स्वप्नदोष किन्तु अनुकूल दैनिक किर्याकालाप क्षमता। सात्विक भोजन, योगाभ्यास, ध्यान व गणेश उपासना या बुधवार को व्रत से लाभ।

कर्कः मानसिक पीड़ा, शवसन संबंधी विकार, टखने या जाँघ से संबंधित परेशानी, स्वप्नदोष, अनुकूल दैनिक क्रियाकलाप क्षमता, नकारात्मक मानसिकता। प्राणायाम, ध्यान व शिव उपासना या सोमवार को व्रत से लाभ।

सिंहः नेत्र, वाणी अथवा दंत विकार, गुप्तांग अथवा बवासीर संबंधी पीड़ा , घुटने या टखने संबंधी कष्ट, दुर्बल मानसिक स्वास्थ्य, अनुकूल दैनिक क्रियाकलाप क्षमता। सात्विक भोजन, संतुलित वजन व सूर्य उपासना या रविवार को व्रत से लाभ।

कन्याः जननांग संबंधित विकार, दैनिक क्रियाकलाप में अड़चन, कमर संबंधित पीड़ा, त्वचा रोग, एड़ी या घुटने से संबंधित कष्ट, मानसिक पीड़ा। सात्विक भोजन, नियमित व्यायाम व गणेश उपासना या बुधवार को व्रत से लाभ।

तुलाः दुर्बल शारीरिक स्वास्थ्य, दैनिक क्रियाकलाप में रुकावट, त्वचा रोग, पेट या अमाशय से संबंधित विकार, कमर संबंधी पीड़ा, प्रथम छमाही में दुर्बल मानसिकता। सात्विक भोजन, योगाभ्यास, ध्यान व देवी उपासना या शुक्रवार को व्रत से लाभ।

वृश्चिकः हृदय संबंधी विकार, पेट अथवा अमाशय से संबंधित परेशानी, कमर सम्बंधी कष्ट, जननांग संबंधी पीड़ा, दुर्बल मानसिकता। सात्विक भोजन, योगाभ्यास व हनुमान उपासना या मंगलवार को व्रत से लाभ।

धनुः मन में बेचैनी, हृदय संबंधी विकार, श्वसन संबंधी रोग, प्रथम छमाही में दैनिक क्रियाकलाप में अड़चन, त्वचा रोग, जननांग संबंधी कष्ट, घुटने से संबंधित पीड़ा। सात्विक भोजन, नियमित व्यायाम, विष्णु उपासना अथवा गुरुवार को व्रत से लाभ।

मकरः श्वसन संबंधी रोग, नेत्र, वाणी व दंत विकार, पेट अथवा अमाशय संबंधित परेशानी, दैनिक क्रियाकलाप में अड़चन, त्वचा रोग, टखनों से संबंधी पीड़ा, अनुकूल मानसिक स्वास्थ्य। प्राणायाम, संतुलित आहार विहार व शनिदेव की उपासना अथवा शनिवार को व्रत से लाभ।

कुंभः नेत्र, दंत अथवा वाणी दोष, हृदय संबंधी विकार, मन में बेचैनी, पेट या अमाशय संबंधित पीड़ा, दुर्बल मानसिक स्वास्थ्य। संतुलित आहार विहार, योगाभ्यास व शनिदेव की उपासना अथवा शनिवार को व्रत से लाभ।

मीनः मानसिक कष्ट,श्वसन संबंधी रोग, स्वप्नदोष, हृदय संबंधी विकार, मन में बेचैनी, गुप्तांग अथवा जननांग संबंधी पीड़ा। सात्विक भोजन, प्राणायाम व विष्णु की उपासना अथवा गुरुवार को व्रत से लाभ।