वृषभ राशि में बृहस्पति के प्रवेश से विभिन्न राशियों में लाएगा उतार चढ़ाव, पढ़िए ज्योतिष आचार्य डॉ. आलोक व्यास का यह आलेख

विनय एक्सप्रेस ज्योतिष आलेख विशेष। वैदिक ज्योतिष परंपरा में बृहस्पति को देवगुरु माना गया है एवं जन्म कुंडली में बृहस्पति की अनुकूल स्थिति जातक को सुख, वैभव, धन, संपदा, मंगलमय जीवन, सुखद विवाह, संतान सुख, विधा, मान-सम्मान प्रदान करते है। इसके विपरीत नीच राशि, शत्रु राशि, अशुभ ग्रहों से युक्त अथवा दृष्ट बृहस्पति जीवन में कष्टों में बढ़ोतरी करते है। जातक के जीवन में धन का अभाव, सुख संपदा में कमी, गृह क्लेश, संतान सुख व सम्पनता में कमी हो जाती है।

बृहस्पति ग्रह 1 मई 2024 को दोपहर 2ः29 पर अग्नि तत्व की मेष राशि से भू तत्व की राशि वृषभ में प्रवेश करेंगे व14 मई 2025 तक इस राशि मे रहेंगे।
अपनी शत्रु राशि में प्रवेश करने पर समाज में नैतिकता , ज्ञान कौशल व अन्न उत्पादकता में कमी हो सकती है और साथ ही भौतिकता में वृद्धि के संकेत भी दृष्टिगोचर होंगे। बृहस्पति ग्रह के वृषभ राशि मे प्रवेश करने पर विभिन्न राशियों पर निम्न उतार-चढ़ाव देखने को मिलेंगे।

ज्योतिष आचार्य डॉ. आलोक व्यास

मेष : पारिवारिक कार्य अथवा पारिवारिक जिम्मेदारी की अधिकता, स्थाई परिसंपत्ति निर्माण हेतु प्रयास, नेत्र अथवा वाणी दोष, मानसिक पीड़ा में कमी

वृषभः आत्मछवि को लेकर असंतुष्टि, एकांतवास की इच्छा, चिंतन और मनन, व्यय में कमी, आर्थिक अनुकूलता।

मिथुनः व्यय में बढ़ोतरी, आर्थिक प्रतिकूलता, सुदूर प्रांत अथवा विदेश भ्रमण की इच्छा, आमोद प्रमोद में समय व्यतीत, व्यापार में हानि।

कर्कः आय में वृद्धि हेतु प्रयासों की अधिकता, संपर्क सूत्र में बढ़ोतरी हेतु प्रयास, बड़े भाई बहन से संबंधित चिंता या उनसे मतभेद, कार्य क्षेत्र में अनुकूलता।

सिंहः रोजगार अथवा नौकरी में पदोन्नति हेतु प्रयास, पिता अथवा उच्च अधिकारियों से मतभेद या उनसे संबंधित चिंता, सामाजिक प्रतिष्ठा को लेकर सजगता, कार्य क्षेत्र में अधिक ऊर्जा।

कन्याः उच्च अध्ययन अथवा धार्मिक क्रियाकलाप के अवसर, गुरुजनों का आशीर्वाद, नव संस्कृति से संपर्क, मानसिक अनुकूलता।

तुलाः मन में भय अथवा आशंका, नकारात्मक मानसिकता, भूमिगत वस्तुओं की ओर रुझान, तंत्र-मंत्र यंत्र की ओर झुकाव, ससुराल से असंतुष्टि।

वृश्चिकः जीवनसाथी अथवा मित्रों के सहयोग की अपेक्षा,दैनिक क्रियाकलाप में अनुकूलता, व्यापारिक साझेदारी की ओर रुझान, जल यात्रा की इच्छा, मानसिक दुर्बलता।

धनुः रोग, ऋण अथवा शत्रु पीडा, दैनिक क्रियाकलाप को लेकर असंतुष्टि, तर्क वितर्क में बढ़ोतरी, वैवाहिक जीवन में उतार चढ़ाव, शारीरिक दुर्बलता।

मकरः रचनात्मक कार्यों की ओर रुझान, संतान संबंधी कार्यों में ऊर्जा अथवा उनसे संबंधित चिंता, सट्टेबाजी की मनोवृत्ति, प्रेम प्रसंग के अवसर।

कुंभः भूमि, मकान, वाहन के क्रय विक्रय की इच्छा, गृहस्थान पर नवाचार, माता संबंधित चिंता, मन में बेचैनी।

मीनः कार्य हेतु अल्प दूरी की यात्रा के अवसर, छोटे भाई बहन अथवा अधीनस्थ से मतभेद या उनसे संबंधित चिंता, संप्रेषण कार्य में लाभ, प्रवास की इच्छा।