विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। रविवार धरणीधर रंगमंच पर बीकानेर के वरिष्ठ रंगकर्मी, पत्रकार व साहित्यकार मधु आचार्य ‘आशावादी’ की 15 कृतियों के लोकार्पण हुआ। इस लोकार्पण के साथ ही मधु आचार्य की प्रकाशित पुस्तकों की संख्या 100 हो गई। इस मौके पर शहर के अलग-अलग क्षे़त्रों के गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत में पत्रकार धीरेंद्र आचार्य ने उपस्थित सभी मंचासीन और श्रोताओं का आभार जताया। जिसके बाद मधु आचार्य की एक साथ 15 कृतियों का लोकार्पण डॉ अर्जुनदेव चारण, रमेश सैनी, रमेश तिवारी मधु आचार्य और गायत्री शर्मा और श्रोताओं की उपस्थिति में हुआ। प्रकाशित कृतियों पर पत्रवाचन मनीषा आर्य सोनी द्वारा किया गया।
सामाजिक सरोकारों से भरपूर लेखन रहा है मधु आचार्य का – रमेश तिवारी
लोकार्पण के कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर जबलपुर से पधारें वरिष्ठ साहित्य समालोचक रमेश त्तिवारी ने अपने उदबोधन ने बताया कि मधु आचार्य आशावादी ने एकांकी होकर अपना लेखन नही किया है क्योंकि उनके संघर्ष के पीछे उनके मित्रों परिवार का सहयोग रहा । इसलिए मधु आचार्यजी ने अपने लेखन में सामाजिक सरोकारों को भरपूर जिम्मेदारी के साथ निभाया है। साहित्य की जिस परम्परा ने मधु आचार्य ने खुद को जोड़ा है वो ही परम्परा मुंशी प्रेमचंद और हरिशंकर परसाई की रही।
लेखक की सक्रियता ही सात्विक सत्ता की स्थापना: अर्जुन देव चारण
राजस्थानी भाषा के पुरजोर पक्षधर और कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और वरिष्ठ आलोचक व नाटककार डॉ अर्जुनदेव चारण ने लोकार्पण के मौके पर अपने प्रभावशाली उदबोधन में कहा कि एक लेखक की सक्रियता से सात्विक सत्ता की स्थापना होती है। चारण ने कहा की इस संसार में दो व्यवस्थाएं प्रभावी हैं पहली समाज व्यवस्था जो प्रकृति प्रदत्त है और दूसरी है राज व्यवस्था जो मानव निर्मित है। इन दोनों व्यवस्थाओं में के बीच बड़ा अंतर है। इसलिए समाज व्यवस्था की आवाज को लोक व्यवस्था तक पहुंचाने का काम लेखक का होता है।
ये शुरूआत है, जानता हूं आगे का रास्ता कठिन है – मधु आचार्य
मधु आचार्य ने कहा की मुझे आज ऐसा लग रहा है कि जैसे मैंने आज एक किताब लिखकर पूर्ण कर ली है। इन कृतियों का प्रकाशन एक प्रस्थान बिंदू हैं, जहां से आगे की यात्रा कठिन जरूर है लेकिन मेरी रास्ता रोक नहीं पायेंगी।
साहित्य सृजन के क्षेत्र में मधु आचार्य से दोहरे शतक की उम्मीद: पूर्व काबीना मंत्री देवीसिंह भाटी
लोकार्पण कार्यक्रम में आज की अध्यक्षता में पूर्वनियोजित भामाशाह रामकिशन आचार्य की तबियत के नासाज हो जाने से उन्ही की मौजूदगी को पूरा करने राजस्थान के दबंग नेता रहें और पूर्व काबीना मंत्री देवीसिंह भाटी ने बड़ी साफगोई से अपने उदबोधन में बताया कि साहित्य सृजन की ये यात्रा निश्चित रूप से अचंभित करने वाली है। भाटी ने अपने संस्मरण का जिक्र करते हुए कहा कि मैं खुद किताब लिखने का प्रयास करता रहा हु मगर अभी भी बहुत सारे सुधार की ज़रूरत महसूस होती रही है
मधु आचार्य ने जितना इस सृजन कर्म से खुद को निखारा है मैं इस सृजन यात्रा में ‘मधु शतक’ की बधाई देते मधुजी आचार्य अनवरत लिखते हुए दोहरा शतक लगाए।
साहित्यकार समाज के बदलावों में दिशा देने का काम करता है: रमेश सैनी
‘मधु शतक’ के कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर नई दिल्ली से आये प्रसिद्ध व्यंग्यकार ने लोकार्पण के मौके पर अपने उदबोधन में कहा कि एक साहित्यकार समाज में हो रहें अच्छे और बुरे बदलावों को लेकर आमजन को सही दिशा के लिए लगातार अपने लेखन से प्रयत्न करता रहता है। मधु आचार्य के लिखे व्यंग्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज इस तरह के लेखन में बहुत कमी दिख रही है। अधिकतर लेखक इस दौर में हर चीज़ को तराजू में नफा नुकसान से तौलकर देख रहा हु उस दौर में तीखें व्यंग्य करना मधु आचार्य की कर्म निष्ठा को दर्शाता है।