राजस्थानी के विकास हेतु सामूहिक प्रयास तेज करने होंगे : डॉ. लक्ष्मीकांत व्यास

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर।  ‘विश्वविद्यालय में राजस्थानी’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय राजस्थानी समाज की तरफ से आयोजित ऑनलाइन संगोष्ठी में डॉ. लक्ष्मीकांत व्यास (अजमेर), डॉ. सुरेश सालवी (उदयपुर) डॉ. गजेसिंह राजपुरोहित (जोधपुर), डॉ. जगदीश गिरी (जयपुर), डॉ. नमामीशंकर आचार्य (बीकानेर) और डॉ. नीरज दइया (बीकानेर) ने अपने अपने विचार रखें।
फेसबुक और यूट्यूब चैनल पर प्रसारित चर्चा में विद्यालय और विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम से लंबे समय तक जुड़े डॉ. लक्ष्मीकांत व्यास ने बोलते हुए कहा कि राजस्थानी साहित्य को विषय के रूप में विश्वविद्याल पाठ्यक्रम में शामिल करना ही पर्याप्त नहीं है, इसके विकास हेतु हमें सामूहिक प्रयास तेज करने होंगे। डॉ. जगदीश गिरी ने कहा कि विश्वविद्यालय में विद्यार्थी विद्यालय से आते हैं और बहुत कम स्कूलों में राजस्थानी विषय खोला गया है। राजस्थानी को भले सरकारी मान्यता नहीं हो किंतु जनता को चाहिए वह राजस्थानी के विकास के लिए प्रयास के साथ प्रत्येक उच्च माध्यमिक विद्यालय में राजस्थानी को विषय के रूप में पढ़ाए जाने की मांग करे।


डॉ. सुरेश सालवी ने कहा कि नियमित और स्वयंपाठी विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में भेदभाव को दूर किया जाना चाहिए। विश्वविद्यालय को विद्यार्थियों की आवश्यकता और वर्तमान संदर्भों के साथ कार्य करने चाहिए। डॉ. गजेसिंह राजपुरोहित ने कहा कि विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम में आधुनिक सोच और दूरदृष्टि से ही विद्यार्थियों के लिए उपयोगी बनाया जा सकता है। पाठ्यक्रम में समयानुसार परिवर्तन अनिवार्य है।
डॉ. नमामीशंकर आचार्य ने कहा कि पाठ्यक्रम में जिन रचनाओं को विश्वविद्यालय सामिल करता है उसके अनुरूप पाठ्यसामग्री और पुस्तकों के अभाव को भी देखना चाहिए, सामग्री के अभाव में राजस्थानी के विद्यार्थी कम हो रहे हैं। डॉ. नीरज दइया ने कहा कि विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में समरूपता होनी चाहिए और संपादन के नाम पर भाषा की स्थानीयता और आंचलिकता को बदलना ठीक नहीं है।
अंतरराष्ट्रीय राजस्थानी समाज की तरफ से आयोजित ऑनलाइन संगोष्ठी में डॉ. शारदा कृष्ण, देवकिशन राजपुरोहित, मधु आचार्य ‘आशावादी’, श्याम जांगिड़, मीठेश निर्मोही, श्यामसुंदर भारती, शिवराज भारतीय, ओम नागर, मोहन थानवी, संतोष चौधरी, भंवरलाल सुथार, शंकर धाकड़, राकेश कुमार शर्मा, डॉ. लहरी मीणा, नीरज जोशी, प्रमोद शर्मा, हरिचरण अहरवाल, डॉ. अनिता जैन, विजय बाना, कुमार राजेंद्र सेन, प्रशांत जैन, मंजू कुमारी, श्रेयस व्यास, प्रमोद कुमार शर्मा, नीलम पारीक,  राहुल कुमावत, भारती व्यास, दयाराम पंवार, जगदीश शर्मा आदि ने चर्चा में भाग लिया।