वाणी संयम दिवस के रूप में  पर्युषण महापर्व का चतुर्थ दिवस मनाया गया

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। पर्युषण महापर्व का चतुर्थ दिवस आज वाणी संयम दिवस के रूप में सेवाकेन्द्र व्यवस्थापिका साध्वी श्री पावनप्रभा जी के सान्निध्य में शांति निकेतन में आयोजित किया गया। साध्वीश्री पावनप्रभाजी ने अपने उद्बोधन में वाणी संयम का महत्त्व बताते हुए कहा कि वाणी का संयम मनुष्य को अनेक समस्याओं से बचाता है। जिस व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान दिखाई देती हैए वह आनन्दित व प्रसन्न जीवन जीता है। पवित्र आत्मा वाले व्यक्ति के मुखमंडल पर सहज ही मुस्कान का सागर लहराता है। परिवार के सदस्यों के बीच में हो उस वक्त भी भाषा का विवेक रहे यह आवश्यक है। शब्दों का अविवेक परस्पर कटुता बढ़ाता है पर कर्म बन्धन भी होता है। जिसका परिणाम जन्म जन्मान्तर में अवश्य मिलेगा। नीति शास्त्र में कहा गया है कि हार कण्ठ में सुशोभित होता है तथा कटु शब्द करने वाले नूपुर को पैरों में स्थान मिलता है।


उन्होंने भगवान महावीर के जीवन प्रसंगों का वर्णन करते हुए कहा कि क्रोध का दमन करके वैराग्य  की दिशा में बढ़ना ही आत्मा का सही दिशा में प्रस्थान है। साध्वियों ने सामूहिक गीत द्वारा जीवन सार के बारे में बताया। वाणी संयम दिवस के अवसर पर साध्वी श्री रम्यप्रभाजी ने कहा  व्यक्ति के व्यक्तित्व का परिचय देती है भाषा। एक वाक्य श्रोता के दिल में जहां दरार पैदा कर देता है वहीं दूसरा वाक्य टूटते दिलों को जोड़ देता है।  साध्वीश्री शुक्लप्रभाजी ने भी अपने विचारों को गीतिका के माध्यम से  प्रबोधन किया। साध्वी पावन प्रभा जी ने तपस्या करनेवालों को प्रत्याख्यान करवाया।
तेरापंथ भवनए गंगाशहर में पर्यूषण महापर्व पर मुनिश्री शांतिकुमार जी के सान्निध्य में अखंड नवकार महामंत्र के जप तथा सायंकालीन प्रतिक्रमण में अनेक  श्रावक.श्राविका भाग लेकर  लाभांवित हो रहे हैं।