डॉ पी सी आचार्य प्रगतिशील चेतना के प्रतिनिधि कवि है : सुन पाते भीतर का संगीत का लोकार्पण

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर l शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्थान एवं मुक्ति संस्था के तत्वावधान में शिक्षाविद् डॉ पी सी आचार्य के कविता संग्रह सुन पाते भीतर का संगीत का लोकार्पण सोमवार को सूरज भवन में किया गया । कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार, शिक्षाविद् एवं राजस्थान राज्य शिक्षा नीति समिति के सदस्य ओमप्रकाश सारस्वत ने की तथा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार ,कवि-आलोचकडॉ नीरज दइया थे एवं समारोह के विशिष्ट अतिथि कवि- कथाकार राजेन्द्र जोशी रहें ।

प्रारंभ में स्वागत भाषण करते हुए साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने डॉ पी सी आचार्य के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला ।
अध्यक्षता करते ओमप्रकाश सारस्वत ने कहा कि डॉ आचार्य की कविताएं लोकोन्मुखी प्रतीत होती है, सुन पाते भीतर का संगीत की रचनाएँ लोक के जन – जीवन और लोक-संघर्षों से परिचित कराने का काम करती है । उन्होंने कहा की डाॅ आचार्य लोकधर्मी कवि होने के कारण अपनी रचनाओं के माध्यम से जनशक्ति के प्रति अपनी आस्था दर्शाते है ।
लोकार्पण समारोह के मुख्यअतिथि डॉ नीरज दइया ने कहा कि डॉ पी सी आचार्य की कविताएं आदमी के जीवन से जुड़ी हुई है डॉ दइया ने कहा कि
डॉ. पी. सी. आचार्य की कविताएं आशा और विश्वास की कविताएं हैं, जो अपने पाठकों को भारतीय सनातन मूल्यों की तरफ प्रेरित करती हैं। आधुनिक जीवन की यांत्रिकता, मूल्यों का पतन और संत्रास के दौर में यहां पीड़ा है तो साथ ही इन कविताओं में आधुनिक युग के खूबसूरत एहसास को भी कवि ने प्रस्तुत किया है। कवि समाज और देश के नवनिर्माण के लिए व्यक्ति को प्रेरक बनने की दिशा में उन्मुख करता है। कवि का विश्वास है कि स्वार्थ की गांठे कभी तो सुलझेगी और मनुष्य नए युग का निर्माण करेगा।
कविता संग्रह सुन पाते भीतर का संगीत के लोकार्पण अवसर पर विशिष्ट अतिथि कवि कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि कवि डॉ आचार्य प्रगतिशीलता के प्रतिनिधि कवि है। कवि समाज के सामने संस्कृति की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते है तभी वे अपनी रचनाओं के माध्यम से लोकजागरण और नवजागरण का राग अलाप रहे है।
उन्होंने कहा कि डॉ आचार्य की कविताएं आदमी के जीवन से जुड़ी हुई है । उन्होंने कहा कि कवि अपने परिवेश के साथ साथ प्राकृतिक जीवन, रेत,तालाबों और नहरों से अपने को जोड़ कर देखता है । उन्होंने कहा कि डॉ आचार्य की कविताओं में आदमी की पीड़ा, प्रतिरोध-संघर्ष का जीवंत चित्रण दिखता है ।
कार्यक्रम में अतिथियों ने डॉ पी सी आचार्य के कविता संग्रह सुन पाते भीतर का संगीत का लोकार्पण किया । इस अवसर पर प्रारंभ में युवा गीतकार ज्योति वधवा रंजना ने सस्वर सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में हीरालाल हर्ष, साहित्यकार बुलाकी शर्मा, डॉ अजय जोशी, डॉ प्रकाश आचार्य , डॉ अजय जोशी, चन्द्रशेखर जोशी, कमल रंगा, बृजगोपाल जोशी, जुगल पुरोहित, डॉ कृष्णा आचार्य , गिरिराज पारीक, एन डी रंगा, नागेश्वर जोशी, अशफ़ाक कादरी,विष्णु शर्मा, पूजा जोशी, अनिल जोशी, सहित अनेक महानुभावों ने शिरकत की । डॉ आचार्य ने अनेक कविताओं का वाचन किया तथा प्रथम प्रति सुनीता आचार्य जी को भेंट की । कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार हरीश बी शर्मा ने किया । अंत में डॉ नमामी शंकर आचार्य ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया ।