जितेंद्र निर्मोही को नानूराम संस्कर्ता साहित्य सम्मान : प्रमोद शर्मा को राजस्थानी सेवा सम्मान

साहित्यिक विरासत को सहेजना हमारी पहली जिम्मेवारी डॉ.सारस्वत

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। राजस्थानी साहित्य की एक हजार वर्षों की समृद्धि को सहेजना हमारी पहली जिम्मेवारी है। नई पीढ़ी तक इस विरासत को पहुंचा कर ही हम अपनी संस्कृति के मूल्यों को संरक्षित कर सकते हैं। यह उद्गार चर्चित कवि पत्रकार डॉ. हरिमोहन सारस्वत ‘रूंख’ ने व्यक्त किए। डॉ.सारस्वत रविवार को लूणकरणसर के काळू स्थित ढूढाणी आदर्श विद्या मंदिर सभागार में नानूराम संस्कर्ता राजस्थानी साहित्य सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। अध्यक्षता करते हुए प्रख्यात साहित्यकार व साहित्य अकादमी के राजस्थानी परामर्श मंडल के संयोजक मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने कहा कि मायड़ भाषा राजस्थानी के संरक्षण से राजस्थानी संस्कृति बच पाएगी। उन्होंने कहा कि आज के अर्थकेन्द्रित युग में संवेदना का सागर सूखता जा रहा है, साहित्य ही समाज में भाव व विचार की सत्ता को बचा सकता है।


समारोह में कोटा के जितेंद्र निर्मोही को उनके खण्ड काव्य ‘गाधिसुत’ पर नानूराम संस्कर्ता राजस्थानी साहित्य सम्मान से नवाजा गया। विशिष्ट अतिथि नामी कहानीकार राजेंद्र जोशी ने कहा कि संस्कर्ता के अवदान पर गहन शोध व समुचित मूल्यांकन की जरूरत है। सरदारशहर के शिक्षाविद् ज्ञानचंद गुप्ता ने संस्कर्ता के साहित्यिक अवदान को भावी पीढ़ी के लिए प्रेरक बताया। जितेंद्र निर्मोही ने नानूराम संस्कर्ता के नाम पर सम्मान को गौरव का विषय बताया। समाजसेवी हजारीराम सारस्वत ने कहा कि राजस्थानी साहित्य की समृद्ध थाती को सुरक्षित रखने की जरूरत है।

इस अवसर पर प्रमोद शर्मा जयपुर को राजस्थानी सेवा सम्मान अर्पित किया गया। डॉ. मदन गोपाल लढ़ा ने संस्कर्ता के व्यक्तित्व व कृतित्व पर पत्रवाचन किया। युवा रचनाकार कमल किशोर पिंपलवा ने निर्मोही का परिचय प्रस्तुत किया। कवि-कथाकार राजूराम बिजारणियां ने मंच संयोजन करते हुए कळायण से दोहों का सस्वर वाचन किया। इससे पूर्व बाल साहित्यकार रामजीलाल घोड़ेला ने आगंतुकों का स्वागत किया। सम्मान के तहत निर्मोही को श्रीफल, शॉल, साहित्य, प्रतीक चिह्न, सम्मान पत्र व पत्रम पुष्पम से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में, शिवराज संस्कर्ता आदि ने विचार प्रकट किए।

ये रहे उपस्थित
छैलदान चारण ‘छैल’, पूनमचंद गोदारा ‘पुन्नू बीकानेरी’, कमल पीपलवा, कान्हा शर्मा, दुर्गाराम स्वामी, छोगाराम कूकणा, महिपाल सारस्वत, विकास बांगड़वा, मुकेश रंगा।