विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर.ब.ज.सि. रामपुरिया जैन विधि महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना की दोनों इकाईयों के द्वारा आज विश्व मानवाधिकार दिवस पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया । परिचर्चा का विषय ‘‘मानवाधिकार पर वैश्वीकरण का प्रभाव‘‘ पर अपने विचार रखे।
परिचर्चा में वक्ता के रूप में अपने विचार रखते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अनन्त जोशी ने कहा कि मानवाधिकार किसी मानव के वे अधिकार है जो उसे एक मानव होने के नाते मिले है तथा जिसके कारण वह गरिमापूर्ण तरीके से अपना जीवन यापन कर सके। अतः ये अधिकार उसको सम्पूर्ण विश्व में प्राप्त होते है। वर्तमान वैश्वीकरण के दौर में मानवाधिकारों को एक नई ताकत मिली है जिससे कोई भी व्यक्ति जो विश्व में कहीं भी निवास करने वाला क्यों न हो वह मानव होने के नाते अपने अधिकारों की प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि रासेयो के माध्यम से युवा पीढी को आगे आकर मानवाधिकारों की रक्षा हेतु प्रयासरत रहना चाहिए तथा साथ ही विधि से जुडे व्यक्तियों मानवाधिकारों की रक्षा के लिए कार्य करना चाहिए।
परिचर्चा को सम्बोधित करते हुए महाविद्यालय के वरिष्ठ व्याख्याता श्री एस. के. भाटिया ने कहा कि वैश्वीकरण के इस दौर में विश्व का प्रत्येक वह देश जो संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य है वह यूएनओ तथा मानवाधिकार से संबंधित चार्टर एवं उससे जुडे अभिसमयों का पालन करने के लिए वचनबद्ध है इसी कारण आज विश्व के किसी कोने में मानवाधिकार उल्लंघन की घटना को अन्तर्राष्ट्र्ीय मंच पर रेखांकित करके उस देश को मानवाधिकारों की रक्षा के लिए बाध्य किया जाता है।
परिचर्चा को सम्बोधित करते हुए डॉ. रीतेश व्यास, ने मानवाधिकार की उत्पति, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से लेकर अभी वर्तमान में मानवाधिकार की जमीनी हकीकत के स्वंयसेवकों को जानकारी दी। उन्होंने वर्तमान में महिलाओं के अधिकारों, एलजीबीटी के अधिकारों पर न्यायालयांे के महत्वपूर्ण वादों पर चर्चा की।
परिचर्चा में कार्यक्रम अधिकारी डॉ. प्रीति कोचर ने अपने विचार रखते हुए बताया कि आज विश्व के अनेक देशों में वैश्वीकरण के कारण ही मानवाधिकारों की रक्षा हेतु अपनी राष्ट्रीय विधियों में संशोधन किया है तथा आवश्यकता पडने पर नई विधियों का निर्माण भी किया है।
परिचर्चा को सम्बोधित करते हुए महाविद्यालय के व्याख्याता एवं रासेयो कार्यक्रम अधिकारी डॉ. शराफत अली ने कहा कि वैश्वीकरण व उदारीकरण का सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों ही प्रभाव पडे है। लेकिन निश्चित रूप से वैश्वीकरण की अवधारणा ने सभी मानवों को विश्व परिवार का एक सदस्य स्वीकार करते हुए उनकी गरिमा एवं स्वतंत्रता संबंधी मूलभूत अधिकारों की रक्षा में अपनी महती भूमिका निभाई है।
इस परिचर्चा में मानवाधिकारों से संबंधित ज्वलंत विषय यथा कन्या भ्रूण हत्या, पुलिस अभिरक्षा में मृत्यु, महिलाओं पर होने वाले घरेलु हिंसा एवं बाल श्रमिकों के शोषण जैसे विषयों एवं संबंधित विधियों के प्रभावों पर महाविद्यालय के व्याख्याता डॉ. बालमुकुन्द व्यास, डॉ. राकेश धवन ने भी अपने अपने विचार रखे। इस परिचर्चा में सभी का यह मत था कि मानवाधिकारों के संरक्षण में रासेयो स्वयंसेवकों तथा युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
कार्यक्रम के अंत में सभी स्वयंसेवकों ने राष्ट्रगान किया और मानवाधिकारों को अक्षुण्ण रखने की शपथ ली।