विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। सखा संगम संस्थान द्वारा सखा गौरव सम्मान समारोह नरेंद्र सिंह ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया। इस दौरान संगीत मनीषी डॉ. मुरारी शर्मा की जयंती भी मनाई गई।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. भीमराव अंबेडकर फाउंडेशन के महानिदेशक मदन गोपाल मेघवाल थे। उन्होंने कहा कि मित्रता निस्वार्थ होती है। यह दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण रिश्ता होता है, जो जन्म से नहीं होता, लेकिन आजीवन चलता है। उन्होंने बीकानेर की कला, साहित्य, संस्कृति, संगीत और रंगमंच की परंपरा को नायब बताया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि कथाकार राजेंद्र जोशी ने कहा कि डॉ. मुरारी शर्मा ने बीकानेर की संगीत परंपरा को नई पहचान दी। उन्होंने शास्त्रीय संगीत तीन पीढ़ियों तक पहुंचाया। शहर की ऐसी विभूतियों की स्मृतियां बनी रहें और युवा पीढ़ी को इनके कृतित्व की जानकारी मिले, इसके मद्देनजर शहर के प्रमुख चौराहों और मार्गों का नामकरण ऐसी प्रतिभाओं के नाम से किया जाए।
विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद जनसंपर्क विभाग के सहायक निदेशक हरि शंकर आचार्य ने कहा कि बीकानेर में दशकों से संगीत, रंगमंच और साहित्य की त्रिवेणी प्रवाहमान रही है। अनेक प्रतिभाओं ने बीकानेर का मान देश और दुनिया में बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि डॉ. मुरारी शर्मा ने भी इसी श्रंखला की एक कड़ी थी, युवा पीढ़ी को इनकी साधना और समर्पण से सीख लेनी चाहिए।
सखा संगम के चेयरमैन चंद्रशेखर जोशी ने बताया कि इस वर्ष का सखा गौरव सम्मान समाज सेवा के लिए निर्मल धारीवाल और संगीत क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए गौरी शंकर सोनी को दिया गया।
धारीवाल और सोनी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के बारे में कमल रंगा और अशफाक कादरी ने विचार रखे। पत्रवाचन संजय पुरोहित और शशांक शेखर जोशी ने किए। सखा संगम के अध्यक्ष एन डी रंगा ने संस्था की गतिविधियों के बारे में विस्तार से बताया। खूमराज पवार ने आभार जताया। इस दौरान संगीतमय प्रस्तुतियां भी दी गई। पुखराज शर्मा, गौरी शंकर सोनी तथा ज्योति बंधवा रंजना ने डॉ. मुरारी शर्मा को स्वरांजलि अर्पित की। गुलाम अली ने तबले पर संगत की। कार्यक्रम का संचालन ज्योति प्रकाश रंगा ने किया।
इनकी रही उपस्थिति
कार्यक्रम में डॉ. अजय जोशी, नागेश्वर जोशी, आत्मा राम भाटी, गिरिराज पारीक, डॉ फारूक़ चौहान, ज्ञानेश्वर सोनी, पवन सोनी , कमल पारीक, राकेश बिस्सा, कन्हैया शर्मा, कामिनी भोजक, नितिन वत्सस, मंगल चंद रंगा, ऋषि अग्रवाल, शिवशंकर शर्मा, जुगल पुरोहित, बीएल नवीन, रंगा राजस्थानी आदि मौजूद रहे।