आपराधिक गतिविधयों को बेनकाब करने से फोरेंसिक सांईस का महत्व बढ़ा है- ऊर्जा मंत्री भाटी, संभाग स्तरीय फॉरेंसिक साईंस सेमिनार

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। ऊर्जा मंत्री भंवर भाटी ने कहा कि आपराधिक गतिविधियों के चलते आज फोरेंसिक एक्सपर्ट का महत्व बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि संगीन अपराध व मर्डर, रैप आदि की घटनाओं में अनुसंधान अधिकारी द्वारा किसी नतीजे पर नहीं पहुंचने पर फॉरेंसिक साईंस का रोल बढ़ जाता है।


भाटी शनिवार को बीकानेर के सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज में स्वर्गीय श्री नारायण प्रसाद खत्री की पवित्र स्मृति में आयोजित संभाग स्तरीय फॉरेंसिक साईंस सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि फोरेंसिक विज्ञान क्राइम इंवेस्टीगेशन की तीसरी आंख है। आज भारत ही नहीं दुनिया भर में फोरेंसिक विशेषज्ञों की जरूरत है। क्राइम इंवेस्टीगेशन में फोरेंसिक विज्ञान का विशेष महत्व है लेकिन किसी अंतिम निर्णय पर पहुंचने से पहले हमें हर पहलू पर गम्भीरता से विचार मंथन कर लेना चाहिए। जल्दबाजी में की गई कोई भी जांच न्याय प्रक्रिया को बाधित कर सकती है।
ऊर्जा मंत्री भाटी ने कहा कि फोरेंसिक अन्वेषण तकनीक से कई संगीन अपराधों का खुलाशा हुआ और पीड़ित को न्याय दिलाया गया है। आज के समय में अपराध करने तरीके से बढ़ रहे है और अपराध की गहराई तक पहुंचने के लिए फोरेंसिक अन्वेषण तकनीक का सहारा लेकर, अपराधियों को सजा दिलाई गई है।


इस अवसर पर मुख्यमंत्री के सलाहकार डॉ.जितेन्द्र सिंह ने कहा कि फोरेंसिक साईंस तकनीक के महत्व को पुलिस प्रशासन बखुबी जानता है। पुलिस अनुसंधान में रही कमियों को फोरंेसिक साईंस के जरिये न्याय दिलाया जाता है। उन्होंने नेपोलियन की डेथ का उदाहरण देते हुए कहा कि फोरेंसिक साईंस की तकनीक से डेथ की वज़ह का पता चला। उन्होंने महाराजा गंगासिंह का स्मरण करते हुए कहा कि बीकानेर में मेडिकल सुविधा का विस्तार करने में उनके योगदान सभी जानते है। पीबीएम में कैंसर के उपचार के लिए कॉबाल्ट मशीन लगाई गई। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने सभी को फ्री चिकित्सा की व्यवस्था की है। देश का राजस्थान पहला राज्य है, जहां 10 लाख रूपये तक चिकित्सा फ्री की जा रही है। आज सभी जिलों में मेडिकल कॉलेज खोले गए है।


संभागीय आयुक्त ने कहा कि इस सेमीनार में फॉरेंसिक साईंस की बारीकियों को समझा जाए। उन्होंने कहा कि सेमीनार में आए तकनीकी विशेष डॉक्टर द्वारा प्रस्तुत पत्र को ध्यान से सुना जाए।  किन चीजों में अनुसंधान में ख्याल रखा जाए जिनके माध्यम से अनुसंधान की प्रकिया ना केवल सुदृढ हो बलिक प्रोसीक्यूसन को भी अंतिम उसके अंजाम तक ले जाया जाए। अगर फॉरेंसिक एवीडेंस उपलब्ध हो तो उनको काट पाना किसी भी कोर्ट के लिए मुश्किल होगा। उन्होंने कहा कि इस वर्कशॉप को रूटीन वर्कशॉप ना समझते हुए, यहां से कुछ ज्ञान लेकर जाए।


सेमीनार  में एम्स नई दिल्ली के पूर्व निदेशक एवं मुख्य वक्ता डॉ. टी.डी. डोगरा ने सेमिनार की थीम पर प्रकाश डाला। उन्होंने फोरेंसिक अन्वेषण तकनीक के वर्तमान परिदृश्य तथा नए रुझानों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि फोरेंसिक अन्वेषण तकनीक को भविष्योन्मुखी बनाना समय की मांग है।


डा. डोगरा  ने देश के महत्पूर्ण आपराधिक केसेज को हल करने की प्रक्रियाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस प्रकार के आपराधिक केसेज को कैसे हल किया उसे आपराधिक जाँचों में सहयोगात्मक उदाहरण देकर बताया। तथाकथित भंवरी देवी कांड, निठारी सीरीयल किलिंग कांड, गोधरा कांड इत्यादि के अपराधियों तक फोरेंसिक सांईस को उपयोग करते हुए अस्ल अपराधियों के पहचानने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि विज्ञान से सत्य की खोज का रास्ता प्रशस्त होता है लिहाजा आज तकनीक अपग्रेडेशन के साथ-साथ शोध पर ध्यान दिया जाना बेहद जरूरी है।
अपराधियों तक पहुंचने में डॉ.अनुपमा रेना ने डीएनए की भूमिका पर प्रकाश डाला। जैसिका कांड,एनडी तिवाड़ी कांड को सुलझाने में डीएनए ने अहम भूमिका निभाई थी। । डॉ. अनुपमा ने फिंगर प्रिंट तकनीक के बारे में भी जानकारी दी।
सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के डॉ.राजेन्द्र कुलहरी ने फॉरेंसिक मेडिसन में आमजन को होने वाली भ्रांतियों पर प्रकाश डाला।


इस अवसर पर विशेज्ञों ने सेमिनार वाइल्ड लाइफ डीएनए फोरेंसिक के रुझानों एवं चुनौतियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। बढ़ती हुई आपराधिक गतिविधियों के चलते आज फोरेंसिक एक्सपर्ट का महत्व बढ़ गया है। एक फोरेंसिक एक्सपर्ट विज्ञान के सिद्धांतों और नई तकनीकों का उपयोग करते हुए ही क्राइम का इंवेस्टीगेशन करता है। दरअसल, क्राइम को बेनकाब करने के लिए एक्सपर्ट ब्लड, बॉडी फ्लूड, हेयर, फिंगरप्रिंट, फूटप्रिंट, टिशू आदि की मदद लेते हैं।


इस अवसर पर फॉरेंसिक सेमीनार के ओरगनाईजिंग चेयरमैन डॉ.तनवीर मालावत ने फॉरेंसिक मेडिसन में न्याय की अपेक्षा बताते हुए कहा कि न्याय नहीं होने से अपराध जन्म लेते है। फॉरेंसिक विज्ञान से न्याय की अपेक्षा एक स्वाभाविक बात है। यह न्याय की प्रक्रिया की पहली सीढ़ी है। रेडक्रॉस सचिव विजय खत्री ने इस कार्यशाला की प्ररेणा अपने पिता उप पुलिस अधीक्षक रहे श्री नारायण प्रसाद खत्री के अनुसंधान में गहनता के साथ कर सकने की कार्यशैली से ली।


कार्य शाला के सफल आयोजन पर विजय खत्री ने संभाग स्तर से आए हुए अनुसंधान से जुड़े हुए पुलिस विभाग के अधिकारियों सहित अन्य सभी का आव्हान किया कि वे इस कार्यशाला के संदेश को आत्मसात कर जन-जन के दुख दर्द को कम करने की कोशिश करें।


इससे पहले सेमिनार का शुभारम्भ मुख्य अतिथि भंवर सिंह भाटी, मुख्यमंत्री के सलाहकार डॉ. जितेन्द्र सिंह, संभागीय आयुक्त डॉ. नीरज के. पवन ने स्वर्गीय श्री नारायण खत्री को श्रद्धासुमन अर्पित व दीप प्रज्वलित कर की।
सेमीनार में सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ.मोहम्मद सलीम, पीबीएम अधीक्षक प्रमोद कुमार सैनी, एसिस्टेट प्रोफसर, फोरंेसिक मेडिसन डॉ.राजेन्द्र कुलहरी, एडीएम सिटी पंकज शर्मा सहित पुलिस विभाग के अधिकारी शामिल हुए।