वर्षीतप अभिनन्दन समारोह का हुआ आयोजन

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। शांति निकेतन, गंगाशहर, 1 मई । श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, गंगाशहर द्वारा आज वर्षीतप अभिनन्दन समारोह का आयोजन किया गया।

समारोह में अपना उद्बोधन देते हुए सेवाकेन्द्र व्यवस्थापिका साध्वीश्री कीर्तिलता जी ने कहा कि जिस प्रकार एक बीज प्रस्फुटित व पल्लवित होकर विशाल वृक्ष बन जाता है, उसी प्रकार छोटा सा तप भी मोक्ष रूपी महान मंजिल तक पहुंचाने का कार्य करता है। वर्षीतप करने वाले तपस्वी एक वर्ष में छः महिने की अवधि का उपवास रखते हैं, निराहार रहते हैं, इन तपस्वियों ने विशिष्ट तप किया है, अतः इनकी तपस्या का अनुमोदन व अभिनन्दन किया जाता है।

साध्वीश्री लावण्ययशा जी ने कथानक के माध्यम से आहार की महत्ता बताई। उन्होंने कहा कि तप करना बहुत कठिन कार्य है। वर्तमान भौतिक युग में तो तप आश्चर्य है। वर्षीतप करने वाले ये तपस्वी धन्य है तो तप के द्वारा कर्म निर्जरा तो कर ही रहे हैं, साथ ही प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ का स्मरण भी कर रहे हैं। साध्वीश्री सोमश्री जी ने सभी तपस्वियों की अनुमोदना करते हुए तप को मोक्ष का सुगम मार्ग बताया। तेरापंथी सभा के मंत्री रतनलाल छलाणी ने बताया कि इस वर्ष गंगाशहर में 9 श्राविकाओं, 4 श्रावकों के साथ- साथ मुनिश्री श्रेयांस कुमार जी तथा साध्वीश्री शुक्लप्रभा जी व साध्वीश्री पूनमप्रभाजी के भी वर्षीतप चल रहे हैं। वर्षीतप करने वालों में 34 वां वर्षीतप करने वाली श्रीमती गवरादेवी सेठिया भी शामिल हैं, तो पहला-दूसरा वर्षीतप करने वाले भी तपस्वी है।


समारोह का शुभारम्भ सुमधुर गायिका सुश्री कोमल पुगलिया द्वारा प्रस्तुत मंगलाचरण से हुआ। तेरापंथी सभा के अध्यक्ष अमरचन्द सोनी, तेरापंथ युवक परिषद् के मंत्री देवेन्द्र डागा, तेरापंथ महिला मंडल से बिन्दु छाजेड़, छाजेड़ परिवार से तेरापंथी महासभा संरक्षक लूणकरण छाजेड़, मुमुक्षु कीर्ति, मनोज देवी गंग, प्रेक्षा गौलछा, अंकित सेठिया, करणीदान रांका, नीतू बोथरा, श्रेयांस व अनुपम ने तपस्वियों के प्रति अनुमोदना करते हुए अपने उद्गार व्यक्त किए। सामसुखा परिवार, छाजेड़ परिवार, चोपड़ा परिवार तथा बुच्चा परिवार की तरफ से गीतिका का संगान कर तप अनुमोदना की गई।

जैन लूणकरण छाजेड़, सभा अध्यक्ष अमरचन्द सोनी, उपाध्यक्ष नवरतन बोथरा, तेयुप अध्यक्ष विजेन्द्र छाजेड़, मंत्री देवेन्द्र डागा, मनोहर नाहटा, सतीश चैपड़ा, जीवराज सामसुखा ने तपस्वियों को साहित्य तथा सम्मान पत्र भेंट कर  सम्मानित किया।