क्षमा के लिए अहं का विलय जरूरी : मुनि जितेंद्र कुमार, रक्षाबंधन जैन संस्कार विधि कार्यशाला आयोजित

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विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर-गंगाशहर। तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अधिशास्ता परमपूज्य आचार्य महाश्रमणजी के आज्ञानुवर्ती मुनि शांतिकुमारजी एवं सुशिष्य मुनि जितेंद्रकुमार जी ठाणा-9 के पावन सान्निध्य में रविवार को तेरापंथ भवन में व्यक्तित्व विकास कार्यशाला के अंतर्गत क्षमा विषय पर विशेष व्याख्यानमाला का आयोजन हुआ। साथ ही इस अवसर पर तेरापंथ युवक परिषद, गंगाशहर द्वारा रक्षा बंधन जैन संस्कार विधि कार्यशाला का भी आयोजन किया गया।

पिछले शनिवार हुई ‘मैं भी बनूं प्रतिभावान प्रतियोगियों को भी सम्मानित किया गया। मंगल प्रवचन में मुनि शांतिकुमारजी ने एक कथानक के द्वारा प्रेरणा देते हुए कहा की क्षमा वीरों का आभूषण होता है। हमारे जीवन में उत्तम क्षमा रहे। गलती हो जाए तो क्षमा मांगें तथा औरों को भी क्षमा करें।

क्षमा को धारण करने से व्यक्ति जीवन में आगे बढ़ सकता है। मुख्य उद्बोधन प्रदान करते हुए मुनिश्री जितेंद्रकुमार जी ने कहा कि भगवान महावीर से पूछा गया कि भंते! क्षमा करने से जीव क्या प्राप्त करता है। भगवान ने कहा क्षमा से जीव मानसिक प्रसन्नता को प्राप्त करता है। हमारे जीवन में क्षमा का बहुत बड़ा महत्व है। क्षमा करना और क्षमा देना दोनों जरूरी है।

जो व्यक्ति क्षमा नहीं करता और मन में गांठ बांध कर रखता है उसके भवभवांतर तक द्वेष का क्रम चलता रहता है। अहंकार के विलय से ही क्षमा संभव है। सरल हृदय के साथ हमें क्षमा की चेतना अपने भीतर जागृत करनी चाहिए। जैन धर्म में संवत्सरी महापर्व आता है। उसके अगले दिन सभी से क्षमा मांगी जाती है। कोई वर्षभर में उस दिन भी अगर क्षमायाचना ना मांगी जाए तो घोर कर्मों का बंधन होता है।.

तत्पश्चात मुनिश्री सुधांशु कुमार जी ने क्षमा की महत्ता बताई। मुनिश्री अनुशासन कुमार  ने कहा कि हमें अपने मन से वैर की गांठें खोल कर क्षमा के द्वारा द्वेष को धो देना चाहिए। ज्ञान का सार क्षमा है। कोई कितना ही रूपवान, गुणवान, ज्ञानी क्यों न हो जीवन में क्षमा नहीं है तो जीवन उन्नत नहीं बन सकता।


रक्षा बंधन की जैन संस्कार विधि का डेमोस्ट्रेशन
कार्यक्रम में अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के तत्वावधान में तेरापंथ युवक परिषद गंगाशहर द्वारा जैन संस्कार विधि से रक्षा बंधन पर्व मनाने की कार्यशाला आयोजित हुई। जिसमें रक्षा बंधन पर्व जैन संस्कार विधि द्वारा मनाने का प्रशिक्षण दिया गया। तेयुप अध्यक्ष अरूण नाहटा के निर्देशन में जैन संस्कारक धर्मेंद्र डाकलिया, पीयूष लूनिया, रतनलाल छलानी, पवन छाजेड़, देवेन्द्र डागा ने स्वास्तिक बना कर मंत्रोच्चार कर विधि का डेमोस्ट्रेशन किया।


पुरस्कार प्रदान समारोह
तेरापंथ युवक परिषद, गंगाशहर के तत्वावधान में तेरापंथ किशोर मंडल द्वारा गत शनिवार आयोजित मैं भी बनूं प्रतिभावान प्रतियोगिता के विजेताओं पुरस्कृत किया गया। संस्था के पदाधिकारियों ने प्रथम स्थान प्राप्त अजीत संचेती, द्वितीय गरिमा सेठिया एवं तृतीय संजू लालानी को पुरस्कार प्रदान किया गया।