विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। अजित फाउण्डेशन द्वारा पुस्तक चर्चा कार्यक्रम की कड़ी में साहित्यकार चंद्रशेखर जोशी की पुस्तक ‘एक संध्या सखा सागर में’ पर चर्चा आयोजित की गई। कार्यक्रम में वक्ताओं ने पुस्तक के विभिन्न पक्षों के विभिन्न पक्षों पर चर्चा करते हुए कविताओं की मीमांसा की ।
कार्यक्रम के अध्यक्ष व्यंग्यकार लेखक डा0 अजय जोशी ने कहा कि साहित्यिक विधाओं में सबसे सशक्त विधा कविता है जिसे रचना बहुत मुश्किल और चुनौतिपूर्ण कार्य है । उन्होने कहा कि कविता साहित्य को समर्थ और सशक्त करती है । उन्होने कहा कि जो कविता पाठक के मन तक पहुंच जाये वहीं सफल है । कार्यक्रम में वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने पुस्तक की विस्तृत समीक्षा करते हुए कहा कि पुस्तक मेें जीवन के विविध रंगों से ओतप्रोत 64 कविताए मानव मन को प्रभावित करती है । उन्होेने कहा कि कवि चन्द्रखर की रचनाओं में देशप्रेेम, स्नेह, स्निग्धता, संवेदना, श्रद्धा, विश्वास और आस्था के सतरंगी इन्द्रधनुश के रंग है । उन्होने कहा कि पुस्तक में कवि के आसपास का परिवेश, सखाओं की आत्मीयता, फाल्गुनी हवाओं, उमडती घटाओं, चन्द्रमा की छटाओं, बहारों की सौगातों को अनुभूत किया जा सकता है । कार्यक्रम में कवि कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि पुस्तक कवि की भावनाओं, अनुभूतियों और परिवेश का विस्तृत केनवास है जिसमें कवि की संवेदना और आत्मीयता के रंग है । कार्यक्रम में लेखक अशफाक कादरी ने कहा कि पुस्तक रचनाकार के व्यक्तित्व कृतित्व का प्रतिबिम्ब है । पुस्तक में बीकानेर की सांझी संस्कृति और सखा भाव की जीवंत झांकीे है । कवि नरसिंह बिन्नाणी ने कहा कि जोषी के काव्य संग्रह में बीकानेर की संस्कृति, गौरवपूर्ण परम्परा संजोयी गयी है । गिरीराज जोशी ने कहा कि पुस्तक की सारगर्भित रचनाओं दिल में स्थान बनाती है । पुस्तक के रचियता कवि चन्द्रशेखर जोशी ने अपने रचनाकर्म को साझा करते हुए अपनी कविताएं प्रस्तुत की ।
कार्यक्रम के आरम्भ में संस्था समन्वयक संजय श्रीमाली ने कार्यक्रम की रूपरेखा बताते हुए कहा कि पुस्तक चर्चा कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बीकानेर के लेखक की पुस्तक को ज्यादा से ज्यादा पाठकों तक पहुंचाया जाए तथा पढ़ने की प्रवृति का विकास हो सके।
कार्यक्रम में वरिष्ठ रंगकर्मी बी0 एल0 नवीन, ब्रजगोपाल जोषी, आर0 के0 शर्मा, भगवानदास पडिहार, खूमराज पंवार, सुभाष जोषी, डा0 मोहम्मद फारूख, पुष्पा श्रीमाली, जुगलकिशोर जोषी, प्रेमनारायण व्यास, डा0 नमामी शंकर आचार्य, शिवशंकर शर्मा, सहित गणमान्य शामिल थे ।