राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर शुरू होगा जन-जागरण
विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। कुष्ठ रोग या हैनसेन रोग कोई शाप नहीं एक सामान्य जीवाणु (माइकोबैक्टीरियम लेप्रे) जनित बीमारी है जिसका आसान सा इलाज होता है। सभी रोगी सामने आजाएं तो बहुत जल्दी इस रोग का हमेशा के लिए उन्मूलन संभव है। इसी विचार को केंद्र में रखते हुए चिकित्सा एवं स्वाथ्य विभाग राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि यानिकी शहीद दिवस पर सोमवार से “स्पर्श” कुष्ठ रोग जागरूकता पखवाड़ा शुरू करने जा रहा है जो 13 फरवरी तक चलेगा।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मोहम्मद अबरार पंवार ने बताया कि सोमवार को जिला कलेक्टर द्वारा कुष्ठ उन्मूलन की प्रतिज्ञा दिलवाई जाएगी। शहर से लेकर गाँव तक जहां मौन रखकर बापू को श्रद्धांजलि दी जाएगी वहीं उनके द्वारा कुष्ठ रोगियों की सेवा को भी याद किया जाएगा और विभिन्न आयोजनों द्वारा कुष्ठ रोग के प्रति जागरूकता का प्रसार किया जाएगा।
सुंन्न दाग, बदरंग निशान, कुष्ठ रोग की है पहचान
राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी व डिप्टी सीएमएचओ डॉ. लोकेश गुप्ता ने जानकारी दी कि चमड़ी पर चमड़ी के रंग से फीका, एक या एक से अधिक दाग या धब्बे जिसमें सुन्नपन, सूखापन, पसीना न आता हो, खुजली या जलन, चुभन न होती हो तो कुष्ठ रोग हो सकता है। शरीर पर, चेहरे पर भौंहो के उपर कानों के उपर सूजन-गठान, दाने या तेलीय चमक दिखाई पड़े, तो कुष्ठ रोग हो सकता है।
जीवाणु संक्रमण से नसों, श्वसन मार्ग, त्वचा और आंखों को नुकसान हो सकता है । इस तंत्रिका क्षति के परिणामस्वरूप दर्द महसूस करने की क्षमता की कमी हो सकती है, जिससे बार-बार चोट लगने या अनजाने घावों के माध्यम से संक्रमण से व्यक्ति के हाथ पैरों के कुछ हिस्सों को नुकसान हो सकता है।
कुष्ठ रोग के लक्षण एक वर्ष के भीतर शुरू हो सकते हैं, लेकिन, कुछ लोगों के लिए लक्षण प्रकट होने में 20 वर्ष या उससे अधिक समय लग सकता है। हाथ पैर में सुन्नता, सूखापन एवं कमजोरी होने पर भी कुष्ठ की जाँच करवानी चाहिए। बहु औषधीय उपचार-एमडीटी (कुष्ठ निवारक औषधी) कुष्ठ की शार्तिया दवा है, जो सभी सरकारी अस्पतालों एवं स्वास्थ्य केन्द्रों पर मुफ्त में उपलब्ध है।