विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। खरतरगच्छ पट््ट परत्परा कि 40 वें पटधर, गच्छाधिपति श्रीपूज्य जिन चन्द्र सूरिश्वरजी का 50 वां पाटोत्सव 3 से 5 फरवरी तक होगा। पाटोत्सव के तहत नाल व बीकानेर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
आयोजन से जुड़े सुरेन्द्र डागा ने बताया कि बड़ा उपासरा खरतरबच्छ श्रीसंघ व जैन यति गुरुकुल संस्थान, नाल के तत्वाधान में सुबह नौ बजे से दोपहर दो बजे तक 3 फरवरी कुशलायतन नाल परिसर में रक्तदान शिविर आयोजित किया जाएगा। मुख्य अतिथि नगर विकास न्यास के पूर्व अध्यक्ष, लघु उद्योग प्रकोष्ठ भाजपा के प्रदेश सह संयोजक महावीर रांका व विशेष अतिथि मोहन सिंह चौहान होंगे।
रक्तदान शिविर में सहयोग रोटरी क्लब, बीकानेर मिडआउन का रहेगा। इसी दिन शाम को कुशलायतन नाल में ही भक्ति संध्या होंगी जिसमें पिंटू स्वामी, मोहित बोथरा व महेन्द्र कोचर भक्ति गीत पेश करेंगे। कार्यक्रम सुप्रसिद्ध नर्तक व कोरियोग्राफर डॉ.श्रेयांस जैन के संयोजन में होगा।
उन्होंने बताया 4 फरवरी शनिवार को दादाबाड़ी नाल में स्नात्र पूजा एवं दादा गुरुदेव की बड़ी पूजा व उसके बाद स्वामीवात्सल्य का आयोजन होगा। इसी दिन शाम को छह बजे बीकानेर के रविन्द्र रंगमंच पर गुरुदेव के जीवन आदर्शों पर आधारित कार्यक्रम सत्य साधक’ होगा। कार्यक्रम में उज्जैन की सुविख्यात सांस्कृतिक संस्थान के कलाकारों द्वारा सत्य साधक नाट््य प्रस्तुति दी जाएगी। कार्यक्रम में कुशलायतन नाल के स्कूल का वार्षिकोत्सव होगा। रविवार 5 फरवरी को सुबह साढ़े आठ बजे गंगाशहर रोड की पार्श्वचन्द्र दादाबाड़ी से वरघोड़़ा ’’शोभायात्रा’’ 50 वां पाटोत्सव महोत्सव आलोक यात्रा का शुभारंभ होगा। जो रांगड़ी चौक के बड़ा उपासरा में होगा। सोमवार 6 फरवरी से 17 फरवरी तक कुशलायतन नाल में सत्य साधना शिरि का आयोजन किया जाएगा।
भगवान महावीर स्वामी के मंदिर में ध्वजारोहण, भक्ति संगीत के साथ पूजा
बीकानेर, 31 जनवरी। आसानियों व रामपुरिया मोहल्ले के भगवान महावीर स्वामी के मंदिर में मंगलवार को भगवान महावीर स्वामी, पार्श्वनाथ व शांति नाथ ध्वजारोहण, भक्ति संगीत के साथ किया गया। पार्श्वचन्द्र गच्छ की साध्वीश्री पदम्प्रभा व सुव्रताश्रीजी के सान्निध्य में पार्श्व महिला मंडल ने जैन विधि के अनुसार पूजा करवाई। श्री पार्श्वचन्द्र गच्छ संघ के मंत्री प्रताप सिंह रामपुरिया के निवास से ध्वजाएं जयकारों के साथ मंदिर तक लाई गई। मंदिर में साध्वीवृंद ने मंगलाचरण, नवंकार महामंत्र और जैन आगम के मंत्रों और वासक्षेप से ध्वजाओं का शुद्धिकरण किया गया।