14वां राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव : विरासत मे मिली कला को इनोवेशन से आसमां तक पहुंचाया – टेराकोटा के आधुनिक उत्पाद

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। यूं तो टेराकोटा के उत्पाद बनाने वाले देश में हजारों होंगे, लेकिन कुछ विरले ही बदलते वक्त की कदमताल भांप कर उसके अनुरूप अपने उत्पाद को ढाल लेते हैं। इतना ही नहीं, ऐसे प्रतिभावान आर्टिस्ट विरासत में मिली कला को न सिर्फ दिन ब दिन निखार लेते हैं, बल्कि उसमें नित्य नवीनीकरण कर हर वर्ग की पसंद का उत्पाद तैयार कर लेते हैं।

ऐसे ही एक दस्तकार हैं पानीपत-हरियाणा के गढ़ सरनाई गांव के करमचंद प्रजापति। इन्होंने अपने मटकी बनाने के काम को आगे बढ़ाते हुए कई सुंदर, सजावटी और रोजमर्रा काम में आने वाले टेराकोटा पोटरी उत्पादों की बड़ी श्रृंखला तैयार कर दी, जो आज हर वर्ग की पसंद बन चुके हैं। बीकानेर के डॉ. करणीसिंह स्टेडियम में चल रहे 14 वें राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव में उत्तर क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र, पटियाला की ओर से प्रजापति ने अपनी स्टाल लगाई है।

वे टेराकोटा पोटरी उत्पादों में कप, गिलास, मग, पानी की बोतल के साथ सजावटी और हैंगिंग आइटम्स बना रहे हैं, जिनकी खासी डिमांड है। उन्होंने बताया कि वे मिट्टी की छोटी मूर्तियां बनाने लगे, तब उन्हें मार्केट डिमांड का पता चला कि ग्राहक हैंगिंग आइटम्स पसंद करते हैं। इस पर उन्होंने कार्ड बोर्ड पर प्रतिमाएं पेस्ट कर उनमें खूबसूरत रंगों को संजोकर यह उत्पाद बना दिया। आज इसकी खूब मांग है। वे 8 गुना 10, 16 गुना 20, 8 गुना 24 आदि छोटी बड़ी साइज के ये हैंगिंग आइटम्स बना रहे हैं। इसी तरह, ग्राहकों की गर्मी में पानी ठंडा रखने की बोतल की जरूरत का उन्हें अहसास हुआ तो यह प्रोडक्ट भी मार्केट में लॉन्च कर दिया। अन्य उत्पाद जैसे कप, गिलास आदि भी उन्होंने अपने कार्य में इनोवेशन के तहत बनाने आरंभ किए।

यमुना की मिट्टी से बनता है सबकुछ-

करमचंद बताते हैं कि उनका मुख्य कच्चा माल है यमुना में पहाड़ों से बहकर आई मिट्टी, जो बाढ़ में गांव-खेतों तक पहुंच जाती है। यह लाल रंग की होती है और इसकी खूबी यह है कि इससे बोन चाइना जैसे आइटम्स बनाए जा सकते हैं। इसके अलावा वे फेब्रिक रंगों का इस्तेमाल करते हैं। इतना ही नहीं, पर्यावरण के प्रति जागरूकता के चलते उन्होंने लकड़ी जलाने वाली की भट्टी की बजाय गैस की भट्टी का उपयोग करना शुरु कर दिया।

कई अवार्ड प्राप्त कर चुका है परिवार-

करमचंद खुद अपने इस उम्दा प्रोडक्ट के लिए तीन मर्तबा हरियाणा का स्टेट अवार्ड प्राप्त कर चुके हैं। उनके पिता शोभाराम प्रजापति को इस क्षेत्र में मानद उपाधि के साथ ही स्टेट और नेशनल अवार्ड भी मिला है, तो भाई धर्मवीर भी नेशनल अवार्डी हैं।

30 महिलाएं को देते हैं रोजगार-

करमचंद बताते हैं कि उनके वर्कशॉप में 30 महिलाएं काम कर रही हैं। वे कहते हैं, एक तो महिलाएं दस्तकारी का कार जल्दी सीखती हैं, दूसरे मन लगाकर काम करती हैं। वे बताते हैं उनके उत्पादों का कोरोना महामारी से पूर्व करीब 25 लाख रुपए सालाना का निर्यात होता था, जो कोरोना काल में बंद हो गया, तभी से वे कला मेलों में शिरकत करने लगे हैं। उनका कहना है कि उन्हें उत्तर क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक फुरकान खान और उनके स्टाफ का बहुत प्रोत्साहन मिला, जिससे उनका कला और सांस्कृतिक मेलों में शरीक होने के प्रति उत्साह बढ़ा।